Manish Kumar Ankur | Exclusive Article | Khabar 24 Express | Nagpur

हर साल 3 दिसंबर को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि दिव्यांगजनों के सम्मान, अधिकार, आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान का प्रतीक है। इस खास मौके पर Ammol Wallke ने समाज को एक नई सोच, नई ऊर्जा और सकारात्मक बदलाव का मजबूत संदेश दिया।
अमोल वालके खुद भी दिव्यांग हैं, इसलिए वे दिव्यांगों का दर्द, संघर्ष और उनकी जरूरतों को गहराई से समझते हैं। यही वजह है कि उनका पूरा जीवन आज दिव्यांगजनों के अधिकार, शिक्षा, रोजगार और आत्मनिर्भरता के लिए समर्पित है।

दिव्यांगों के अधिकारों के लिए लगातार संघर्षरत हैं Ammol Wallke
अमोल वालके का मुख्य उद्देश्य दिव्यांगजनों के अधिकारों को लेकर समाज को जागरूक करना, उनके प्रति भेदभाव को खत्म करना और एक समावेशी समाज (Inclusive Society) की नींव को मजबूत करना है।
अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि
जब तक दिव्यांगों को बराबरी का हक नहीं मिलेगा, तब तक असली विकास संभव नहीं है।
उन्होंने विशेष रूप से दिव्यांगों के लिए
- शिक्षा
- रोजगार
- स्वास्थ्य सुविधाएं
- और सहायक उपकरणों
की आवश्यकता पर जोर दिया।

सरकारी योजनाओं से दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने की अपील
Ammol Wallke ने सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं जैसे
- सहायक उपकरण वितरण योजना
- कौशल विकास योजनाएं
- स्वरोजगार योजनाएं
को दिव्यांगों तक पूरी ईमानदारी से पहुंचाने की अपील की।
उनका कहना है कि अगर सही मार्गदर्शन और संसाधन मिल जाएं, तो कोई भी दिव्यांग किसी पर बोझ नहीं बल्कि समाज की ताकत बन सकता है।

संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास से बनी पहचान
अमोल वालके ने अपने जीवन में आई शारीरिक चुनौतियों को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने अपने मजबूत आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत के दम पर न सिर्फ व्यापार के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की, बल्कि समाजसेवा को भी अपने जीवन का मिशन बना लिया।
आज वे एक सफल व्यवसायी हैं, भारतीय जनता पार्टी से जुड़े एक सक्रिय नेता हैं और एक बड़े समाजसेवी के रूप में भी पहचाने जाते हैं।

पैरा वर्ग में भारत का गौरव बने Ammol Wallke, वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया
साल 2025 में पटाया में आयोजित 12वीं वर्ल्ड स्ट्रॉन्गलिफ्टिंग और इन्क्लाइन चैंपियनशिप में Ammol Wallke ने भारत का प्रतिनिधित्व किया।
उन्होंने पैरा (दिव्यांग) वर्ग में 65 किलो वजन के शरीर से कुल 108.25 किलो वजन उठाकर पूरी दुनिया को चौंका दिया।
इस प्रतियोगिता में भारत समेत नेपाल, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान जैसे 12 देशों के खिलाड़ी शामिल थे। आखिरकार जब तिरंगा लहराया और राष्ट्रगान बजा, तो अमोल की आंखों में आंसू थे और सीना गर्व से चौड़ा।
उन्हें
- स्वर्ण पदक
- “वर्ल्ड स्ट्रॉन्ग मैन 2025” का खिताब
- और वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज
होने का गौरव प्राप्त हुआ।

दिव्यांग होकर भी दूसरों के लिए प्रेरणा बने Ammol Wallke
Ammol Wallke साबित करते हैं कि दिव्यांग होना कमजोरी नहीं, बल्कि अगर आत्मविश्वास मजबूत हो तो वही सबसे बड़ी ताकत बन जाती है।
वे कभी किसी की दया पर नहीं जिए, बल्कि अपने आत्मसम्मान, स्वाभिमान और जज्बे के साथ आगे बढ़ते गए। आज वे लाखों दिव्यांगों के लिए एक उम्मीद, एक प्रेरणा और एक रास्ता बन चुके हैं।
समाज के लिए Ammol Wallke का संदेश
अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर Ammol Wallke का साफ संदेश है..
अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती।
अमोल वालके चाहते हैं कि हर दिव्यांग आत्मनिर्भर बने, सिर उठाकर सम्मान के साथ जीए और अपनी पहचान खुद बनाए।
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