
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर 2025: आज कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को देशभर में भाई दूज का पावन पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन भाई-बहन के स्नेह और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। जैसे रक्षाबंधन पर बहनें राखी बांधती हैं, वैसे ही भाई दूज पर वे अपने भाइयों को तिलक लगाकर लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं।
इस दिन दीपावली का पंचदिवसीय पर्व भी समाप्त होता है। धार्मिक मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में भाई दूज की पूजा करने से भाई को दीर्घायु और सौभाग्य प्राप्त होता है।
भाई दूज 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि शुरू: 22 अक्टूबर, बुधवार रात 8:17 बजे
- तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर, गुरुवार रात 10:47 बजे
- उदया तिथि: 23 अक्टूबर (गुरुवार) — इसलिए भाई दूज इसी दिन मनाई जाएगी।
शुभ चौघड़िया मुहूर्त: दोपहर 12:05 बजे से 2:54 बजे तक
अमृत चौघड़िया मुहूर्त: दोपहर 1:30 बजे से 2:54 बजे तक
शास्त्रों के अनुसार, दोपहर के शुभ चौघड़िया में भाई को तिलक लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। अमृत चौघड़िया में भाई के हाथों से अन्न ग्रहण करवाना पवित्र और कल्याणकारी होता है।

भाई दूज पूजा विधि
- पूजा की शुरुआत शुभ मुहूर्त में करें।
- भाई को पूर्व दिशा की ओर और बहन को पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठाएं।
- भाई को स्वच्छ आसन पर बैठाएं।
- बहन भाई के माथे पर रोली और चावल से तिलक करें।
- छोटे भाई को अंगूठे से तिलक लगाएं।
- बड़े भाई को अनामिका से तिलक करें।
- तिलक दीपशिखा के आकार में लगाना शुभ माना जाता है।
- भाई की गोद में नारियल रखें और आरती करें।
- इसके बाद भाई को भोजन कराएं और आशीर्वाद लें।
- भाई बहन को उपहार या वस्त्र भेंट करे।
यह विधि भाई की लंबी उम्र, बल और समृद्धि के लिए की जाती है।
भाई दूज की पौराणिक कथा
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देव और छाया की संतान यमराज और यमुना थे। यमुना अपने भाई यमराज से अत्यंत स्नेह करती थीं और उन्हें बार-बार अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित करती थीं।
एक दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज अचानक यमुना के घर पहुंचे। यमुना ने प्रेमपूर्वक उनका स्वागत किया, तिलक लगाया और स्वादिष्ट भोजन कराया। यमराज उनकी श्रद्धा और स्नेह से प्रसन्न होकर बोले — “मांगो, क्या वर चाहिए?”
यमुना ने कहा, “हे भाई! इस दिन जो भी बहन अपने भाई को तिलक लगाए और भोजन कराए, उसे कभी यमलोक का भय न हो।”
यमराज ने यह वरदान स्वीकार किया। तभी से हर साल यह पर्व भाई दूज के रूप में मनाया जाने लगा, जो भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है।
भाई दूज मंत्र:
तिलक करते समय बहन भाई की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए निम्न मंत्र का जाप कर सकती है – “ॐ यमाय नमः।”
इसके अलावा यह वैदिक मंत्र भी कहा जा सकता है – “ॐ स्वस्ति भद्राणि शुभानि, पूर्णं भवतु ते आयुष्मान् दीर्घायु:”
भाई दूज की थाली में क्या रखें?
भाई दूज की पूजा थाली को शुभता का प्रतीक माना जाता है। इसमें निम्न वस्तुएं अवश्य रखें:
- रोली और चावल
- दीपक (दीया)
- मिठाई (घर की बनी या खरीदी)
- कलावा (मौली)
- फूल
- पान का पत्ता और सुपारी
- नारियल
- गंगाजल
भाई दूज का महत्व
भाई दूज का त्योहार न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते में विश्वास, सुरक्षा और प्रेम की भावना को मजबूत करता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन तिलक करवाने से भाई के जीवन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और उसे दीर्घायु व समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
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