Manish Kumar Ankur | Bihar Election 2025 : बिहार की राजनीति एक बार फिर बड़े भूचाल की ओर बढ़ रही है। सूत्रों के मुताबिक, अब खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी अहसास होने लगा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव के बाद उनका मुख्यमंत्री बनना लगभग नामुमकिन है।
क्योंकि भाजपा (BJP) ने बिहार में भी वही ‘महाराष्ट्र फॉर्मूला’ लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है — यानी सहयोगी को किनारे लगाकर सत्ता अपने हाथ में लेना।
क्या बिहार में भी दोबारा होगी पलटी?
राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि इस बार बिहार में भी ‘महाराष्ट्र मॉडल’ लागू होगा। सवाल ये है कि क्या भाजपा नीतीश कुमार को किनारे कर सत्ता अपने हाथ में ले लेगी?
या फिर नीतीश कुमार एक बार फिर किसी नए गठबंधन से सबको चौंका देंगे?
भाजपा और नीतीश के रिश्ते में बढ़ती दरार
नीतीश कुमार और भाजपा के बीच तनाव अब किसी से छिपा नहीं है।
नीतीश न सिर्फ सीट बंटवारे से नाराज हैं, बल्कि उन्होंने भाजपा पर दबाव डालना शुरू कर दिया है कि उन्हें चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया जाए।
हालांकि भाजपा ने साफ कहा है कि “चुनाव नीतीश के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, लेकिन मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह नतीजों के बाद तय होगा।”
यानी मामला अब बिल्कुल वैसा ही है जैसा महाराष्ट्र में हुआ था —
जहां भाजपा ने पहले शिवसेना को तोड़कर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया, फिर अजित पवार को जोड़कर पूरी सियासत ही पलट दी थी।
जदयू का डर — क्या भाजपा बिहार में दोहराएगी महाराष्ट्र स्क्रिप्ट?
जदयू (JDU) को अब डर है कि भाजपा बिहार में भी वही चाल चल सकती है।
अगर विधानसभा चुनाव के बाद सीटों का गणित नीतीश के खिलाफ गया, तो उनकी कुर्सी से विदाई तय मानी जा रही है।
2020 के चुनाव में भाजपा ने नीतीश को कमजोर करने के लिए चिराग पासवान को आगे किया था।
लेकिन वह रणनीति नाकाम रही — एलजेपी सिर्फ एक सीट जीत पाई।
इस बार हालात अलग हैं — चिराग एनडीए में वापस लौट आए हैं और भाजपा की रणनीति का अहम हिस्सा बन चुके हैं।
सीट बंटवारे में भाजपा और जदयू दोनों को 101-101 सीटें मिली हैं, जबकि चिराग पासवान को 29 सीटें दी गई हैं।
भाजपा का टारगेट अब साफ है — बिहार में अपनी ‘फुल मेजॉरिटी’ हासिल करना।
नीतीश कुमार के लिए मुश्किल वक्त
नीतीश कुमार भले ही राजनीति के पुराने खिलाड़ी हों, लेकिन इस बार हालात और उम्र दोनों उनके खिलाफ हैं।
पिछली बार भाजपा ने 74 सीटें जीतकर भी नीतीश को मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन इस बार पार्टी का मूड बिल्कुल अलग है।
भाजपा अब “नीतीश रहेंगे तो ठीक, नहीं तो भी ठीक” की नीति पर चल रही है।
क्या खत्म होगी नीतीश की राजनीतिक पारी?
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर इस बार नीतीश मुख्यमंत्री नहीं बन पाए, तो उनकी राजनीतिक यात्रा यहीं खत्म मानी जाएगी।
उनके सामने अब दो ही रास्ते हैं — या तो भाजपा के साथ बने रहना और भविष्य की राजनीति के लिए सीमित भूमिका स्वीकार करना,
या फिर किसी नए गठबंधन से एक और ‘पलटी’ मारकर अपनी प्रासंगिकता बचाने की कोशिश करना।
नतीजे तय करेंगे बिहार का भविष्य
बिहार में इस बार चुनाव सिर्फ सत्ता का नहीं बल्कि नीतीश कुमार की साख का भी होगा।
क्या भाजपा बिना नीतीश के सत्ता में लौटेगी?
या नीतीश एक बार फिर सबको चौंका देंगे?
यह तय करेगा कि बिहार की राजनीति में अगला अध्याय कौन लिखेगा — भाजपा या नीतीश कुमार।

लेखक: Manish Kumar Ankur | Khabar 24 Express Digital Desk
Tagline: नई सोच, नया भारत
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