
मुंबई का जानामाना अस्पताल लीलावती, इस अस्पताल का नाम एक बड़े घोटाले में सामने आया है। इससे न केवल संगठन की साख को प्रभावित हो रही है, बल्कि इसके संचालन पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
इस अस्पताल का देश दुनिया में नाम है। यह काफी प्रसिद्ध हॉस्पिटल है लेकिन जिस तरह की खबर इस अस्पताल से निकलकर सामने आ रही है उसने सभी को चौंक कर रख दिया है।
मुंबई स्थित प्रसिद्ध लीलावती अस्पताल में 1,500 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है। अस्पताल का संचालन करने वाले चैरिटेबल ट्रस्ट ने पूर्व ट्रस्टियों और उनसे जुड़े लोगों पर घोटाले का आरोप लगाया है। बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश पर इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। पूर्व ट्रस्टियों में ज्यादातर अनिवासी भारतीय हैं और दुबई व बेल्जियम के निवासी हैं। लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय और बांद्रा पुलिस स्टेशन में तीन अलग-अलग शिकायत दर्ज कराई है।
शिकायत में यह भी दावा किया गया है कि अस्पताल परिसर में पूर्व ट्रस्टियों और संबंधित व्यक्तियों की ओर से काला जादू भी किया गया। शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि लीलावती अस्पताल के वित्तीय रिकॉर्ड के फोरेंसिक ऑडिट के दौरान उजागर हुई इस हेराफेरी ने ट्रस्ट के संचालन और अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किया है।
वहीं अब ट्रस्ट प्रबंधन की तरफ से कहा जा रहा है कि लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट की अखंडता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जो भी घोटाला सामने आया है वह वह हमारे लिए ही नहीं मरीजों के साथ भी विश्वासघात है। ट्रस्ट की तरफ से एक समाचार एजेंसी को बताया कि पूर्व ट्रस्टियों और अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ तीन से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं। इन व्यक्तियों के खिलाफ चौथी कार्यवाही अब मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित है, जो काले जादू और गुप्त प्रथाओं के लिए बांद्रा पुलिस स्टेशन में दर्ज हमारी शिकायत पर आधारित है। मेहता ने बताया है कि अस्पताल के परिसर में मानव बाल मिले हैं और सात खोपड़ी वाले सात से ज्यादा कलश भी मिले हैं। इसके लिए महाराष्ट्र एंटी ब्लैक मैजिक एक्ट के तह मामला दर्ज किया गया है।
ट्रस्ट ने जालसाजी और फंड की हेराफेरी के खिलाफ तीन शिकायते बांद्रा पुलिस स्टेशन में दर्ज की है। पहली शिकायत 11.52 करोड़ रुपये की जालसाजी और दुरुपयोग के लिए है जसमें मेफेयर रियल्टर्स और वेस्टा इंडिया में निवेश किया गया था, दूसरी शिकायत 44 करोड़ रुपये की कानूनी फीस के रूप मे ठगी के लिए दर्ज की गई है। इसमे आर्थिक अपराध शाखा ने लीलावती अस्पताल के तीन पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ दर्ज 85 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के मामले की जांच शुरू की है और तीसरी शिकायत 14 पूर्व ट्रस्टियों और 3 निजी कंपनियों पर आरोप है कि बीते 20 सालों में मेडिकल उपकरणों की अवैध तरह से खरीदारी पर 1200 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी का आरोप है।
बताया जा रहा है कि लीलावती किर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के संस्थापक किशोरी मेहता 2002 से बीमार चल रहे थे और इलाज के लिए विदेश चले गए थे। इस बीच उनके भाई विजय मेहता ने ट्रस्ट के कुछ समय के लिए संभाल लिया, आरोप है कि विजय मेहता ने दस्तावेजों की जालसाजी करके अपने बेटे और भतीजों को ट्रस्टी बना दिया और किशेशरी मक मेहता को स्थाी ट्रस्टी के पद से हटा दिया। यह मामला 2016 तक चला और जब किशोरी मेहता ने अपनी स्थिति दोबार प्राप्त करनके लिए उसके बाद 2024 में उनका निधन हो गया और अब उनके बेटे प्रशात महेता स्थायी ट्रस्टी बने हैं और उन्हें वित्तीय अनियमितताओं का पता ल है और उन्होंने इसकी शिकायत दर्ज की है। लीलावती अस्पताल का निर्माण 1997 में मुंबई करवाया गया था।
ब्यूरो रिपोर्ट : आकाश ढाके, मुंबई
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