राजस्थान (Rajasthan) में बीजेपी (BJP) के पास वसुंधरा राजे सिंधिया (Vasundhara Raje Scindia) के अलावा कोई नेता नहीं है। लेकिन इस बार भाजपा ने सीएम फेस (CM Face) नहीं उतारा है वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने वसुंधरा से किनारा कर लिया है।
अब ऐसे में भाजपा के पास राजस्थान में कोई बड़ा नेता नहीं है। भाजपा को राजस्थान में केवल पीएम मोदी के चेहरे के ऊपर भरोसा है।
बीजेपी कर्नाटक (Karnataka) की तर्ज पर राजस्थान (Rajasthan) में भी परिवर्तन का मूड तो बना ही चुकी है, लेकिन यह कहना गलत होगा। क्योंकि कर्नाटक में भाजपा का दाव उल्टा पड़ चुका है। कर्नाटक में भाजपा ने कोई सीएम फेस नहीं उतारा था, पीएम मोदी ने ताबड़तोड़ सभाएं और रैलियां कीं। यहां तक कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूरे कर्नाटक में चुनावी रैलियां, रोड शो किये। बीजेपी के तमाम दिग्गज और लगभग सभी केंद्रीय मंत्री कर्नाटक में चुनाव प्रचार करते नजर आए। लेकिन परिणाम जो निकला उसे शायद बीजेपी अब तक न पचा पाई हो।
कर्नाटक के नतीजों से डरी हुई बीजेपी राजस्थान में कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है। शायद यही वजह है कि पार्टी आलाकमान जब भी दिल्ली या राजस्थान में कोई बैठक करता है तो उसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया (Vasundhara Raje Scindia) को पूरी तवज्जो दी जाती है।
यहां तक कि पार्टी के आला नेता राज्य में जाकर कोई रैली, सभा या सार्वजनिक कार्यक्रम भी करते हैं तो मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री मौजूद रहती हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में अपनी भूमिका स्पष्ट नहीं होने से कथित तौर पर नाराज वसुंधरा राजे पार्टी के राज्य स्तरीय कार्यक्रमों और अभियानों से दूरी बनाती ही नजर आती हैं। इसलिए वसुंधरा के रुख को लेकर सशंकित पार्टी के आला नेता उन्हें लगातार मनाने का भी प्रयास कर रहे हैं।
दरअसल, बीजेपी मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में भी केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधायक का चुनाव लड़वाने जा रही है। बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक पार्टी केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान लोक सभा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दिया कुमारी और राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा सहित लगभग आधे दर्जन सांसदों को उम्मीदवार बना कर राजस्थान विधान सभा चुनाव के मैदान में उतार सकती है। अब ऐसे में वसुंधरा राजे का नाराज होना लाजमी है।
पार्टी राज्य में पीएम मोदी के चेहरे के साथ सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी इसलिए पार्टी ने मध्य प्रदेश की तर्ज पर अपने दिग्गज नेताओं ( केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ) को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा होने से पहले ही पीएम मोदी लगातार राज्य का दौरा कर न केवल प्रदेश की जनता को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि पार्टी मुख्यालय में 1 अक्टूबर को हुई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में भी पीएम मोदी ने एक-एक सीट के समीकरण, उम्मीदवार के नाम और उनके जीतने की संभावना पर बैठक में मौजूद नेताओं से जवाब-तलब किया. उस बैठक में प्रदेश की लगभग 65 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर विस्तार से चर्चा की गई। उधर, पीएम मोदी की लोकप्रियता और प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में प्रभाव रखने वाले केंद्रीय नेताओं की ताकत का लाभ उठाने के साथ-साथ बीजेपी प्रदेश में अपनी संगठन की क्षमता और बूथ लेवल तक भी तैयारियों को अंतिम रूप दे रही है।
अब देखना यह होगा कि बीजेपी राजस्थान में जीत दर्ज कर पाती है या अशोक गहलोत राजस्थान में मिथ्य तोड़ते हुए करिश्मा कर पाएंगे?
ब्यूरो रिपोर्ट जगदीश तेली, खबर 24 एक्सप्रेस