तो क्या दिल्ली एनसीआर में फिर लग सकता है एक हफ्ते का लॉकडाउन। यह लॉकडाउन कोरोना की वजह से नहीं बल्कि पॉल्युशन की वजह से लगेगा।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिल्ली में लॉकडाउन लगाने की सलाह को लेकर केजरीवाल सरकार ने सोमवार को एफिडेविट दाखिल किया। इसमें दिल्ली सरकार ने कहा कि अगर प्रदूषण रोकने के लिए पूरे एनसीआर में लॉकडाउन लगाया जाता है तो दिल्ली भी इसके लिए तैयार है। दिल्ली सरकार ने कोर्ट से कहा कि वह लॉकडाउन लगाने के लिए तैयार है, लेकिन चूंकि हवाओं की सीमाएं नहीं होतीं, इसलिए केंद्र सरकार को पूरे एनसीआर और आसपास के राज्यों में लॉकडाउन लगाने के लिए सोचना चाहिए।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने अपने एफिडेविट में कहा, ‘हम स्थानीय उत्सर्जन को नियंत्रण करने के लिए पूरे लॉकडाउन जैसे कदम उठाने को तैयार हैं।’ हालांकि, ऐसे कदम तब ही कारगर होंगे जब इसे पूरे एनसीआर और पड़ोसी राज्यों में भी लगाया जाए।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली और पूर्वी राज्यों में प्रदूषण के लिए पराली जलना बड़ी वजह नहीं है, क्योंकि इसका प्रदूषण में सिर्फ 10 फीसदी योगदान है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा है कि क्या वह उद्योगों को रोकने के अलावा वाहनों पर लगाम लगा सकते हैं। इसके अलावा कोर्ट ने उन पावर प्लांट्स की भी जानकारी मांगी है, जिन्हें रोका जा सकता है। बेंच ने जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को कल शाम तक का वक्त दिया है।
इस पर चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा कि हम अभी संकट की स्थिति में हैं। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार से कहा कि हम फिलहाल एक कमेटी के गठन जैसे नए मुद्दों से नहीं जूझ सकते। केंद्र सरकार ने एक विस्तृत एफिडेविट दिया है, जिसके जरिए आप भी सलाह दे सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे केंद्र और दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जिस तरह प्रदूषण पर आपात बैठक हुई, उस तरह कोई बैठक की उम्मीद नहीं की जा सकती। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें उनके लिए एजेंडा सेट करना पड़ता है।