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बता रहे है स्वामी सत्येद्र सत्यसाहिब जी के द्धारा ज्ञान कविता के माध्यम से जनसंदेश देते कहते है

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Global Day of Parents ग्लोबल डे ऑफ पेरेंट्स, वैश्विक माता-पिता दिवस मनाने के पीछे मुख्य जनउद्धेश्य यह है कि लोग अपने माता-पिता को उनके जीवन भर किये निस्वार्थ भाव से सभी कामों को लिए धन्यवाद देते हैं। जिस तरह माता-पिता नि:स्वार्थ होकर बच्चे की सेवा करते हैं,वैसे ही हमें भी उनसे वातावरण परिस्थितियों के अनुसार सीख कर उनकी सेवा निस्वार्थ भाव से करनी चाहिए।
नई दिल्ली। हर साल 1 जून को संसार भर में इसी भाव को रखकर माता-पिता का वैश्विक दिवस यानी यानी Global Day Of Parents मनाया जाता है। यह दिन बच्चों के पालन-पोषण में माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका पर विशेष सर्वेक्षण रूपी जोर दिया जाता है और जाना व माना जाता है कि बच्चों के पालन-पोषण और सुरक्षा के लिए परिवार में माता पिता की प्राथमिक जिम्मेदारी है। ग्लोबल डे ऑफ पेरेंट्स कोई पब्लिक छुट्टी का दिन नहीं है बल्कि यह तो एक प्रतिदिन का दिन है, जिसे वैश्विक स्तर पर केवल माता-पिता के सम्मान में मनाया जाता है ओर सबको मनाना चाहिए।

ग्लोबल पेरेंट्स डे का सामाजिक महत्व:-
इस वैश्विक दिवस को मनाने का उद्देश्य यह है कि परिवार में एकता बनी रहे और बच्चे माता-पिता की अपने जीवन में हस्तक्षेप नहीं,बल्कि उनकी सच्ची अहमियत को समझ सकें। बच्चों के विकास के लिए एक अच्छे पारिवारिक वारतावरण में बड़े होना बहुत आवश्यक होता है। माता-पिता ही अपने बच्चों को अच्छे गुण ओर समाधान सिखाते है ताकि वे आगे चलकर आर्थिक,सामाजिक,परिवारिक समृद्धि और विकास में वृद्धि कर सुखद जीवन जी सके।

वर्ष 2021 में इस दिवस की थीम क्या है:-
संसार भर में सभी माता-पिता की सराहना करें’ ये इस वर्ष की थीम है। यह विषय लोगों को अपने परिवारों में हुए सभी बड़ों बुजुर्गों के बलिदानों की सराहना करने और उनके प्यार और स्नेह को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करता है। आज COVID-19 महामारी के बीच संसार भर के परिवार दुखद रूप से पीड़ित हैं। परिवार वह सुरक्षित स्थान था,ये इस बीच अनुभव करते हुए लोग महामारी के दौरान वापस घर आए है। कोरोना काल में परिवार और माता-पिता के जीवन में होने से उनका महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। हर व्यक्ति के जीवन में माता-पिता का काफी महत्व होता है। इनके हमेशा दुख-सुख में बच्चों के साथ खड़े रहते है ओर यही तो हमें भी सीखना है।तत्कालिक समय में परस्पर त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण के साथ साथ परस्पर प्रेम तथा सहयोग का भाव बढ़़ गया है। कोरोना ने परिवार के लोगों को एक-दूसरे की परमावश्यकता से परिचित कराया है।

ग्लोबल पेरेंट्स डे का इतिहास जाने:-

ग्लोबल पेरेंट्स डे का प्रारम्भ यूएन जर्नल असेंबली में 1994 में की गई थी ताकि विश्वभर में माता-पिता का सम्मान किया जा सके। यह दिवस पेरेंटिंग में माता-पिता द्वारा निभाई जाने वाली जीवन उपयोगी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए मनाया जाता है।इस ग्लोबल पेरेंट्स डे के विचार चिंतन को यूनिफिकेशन चर्च और सेनेटर ट्रेंट लॉट द्वारा समर्थित किया गया था, जिसके बाद इसे हर साल मनाया जाने लगा। साल 2012 में महासभा ने पूरे विश्व में सभी माता-पिता को सम्मानित करने के लिए इस दिन को चुना गया किया गया था। इस दिन बच्चों के प्रति उनकी सभी प्रकार की निस्वार्थ जीवन प्रतिबद्धता और इस रिश्ते को फलित पोषित करने के लिए उनके आजीवन सद बलिदान के लिए सभी माता-पिता की सराहना करने का अवसर प्रदान हम सभी को करता है।
इसी सब संदर्भ को अपनी ज्ञान कविता में स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी कहते है कि

!!💐Global Day Of Parents ग्लोबल डे ऑफ पेरेंट्स यानी माता पिता का वैश्चिक दिवस 1 jun पर ज्ञान कविता💐!!

ईश्वर ईश्वरी मात पिता बन
इस जग में आये साक्षात।
प्रेम संतति कर स्वयं की
दिया सत्य अर्थ पिता और मात।।
प्रेम क्या ओर किस कर्म है स्थित
वो कर्म सेवा भाव है निस्वार्थ।
तुम मेरे ही स्वरूप हो इस जग
हम तुम बन हैं प्रेमकृतार्थ।।
यो यही महाभाव एक दूजे पाले
कर सेवा तप सत्कार प्रेम।
तुम बोझ नहीं हो हम जीवन बन
तुम हमी बाल्य रूप आनंद हो वहन प्रेम।।
तुम्हें पालते हम पलते है
ओर बच्चा होने का लेते सुख।
कैसा है जीवन ये ईश बन नहीं जाना
यही जानने बार बार अवतरित लेने ये सुख।।
प्रसव पीड़ा मृत्यु दुखदायी
जो उठाते एक अनंत सुख आकांक्षा।
ओर देते तुम बन अपने को ज्ञान
बड़े होकर तुम भी जनों सुखदकांक्षा।।
बाल्य हट क्रीड़ा संग शिक्षा
लेने देन दुख सुख व्यवहार।
सीखते सिखाते जीवन हर पहलू
जीते प्रेमदान का खा पौष्टिक आहार।।
ओर हम रूपी तुम कर सेवा
जानो भविष्य वृद्ध मात पिता अनुभव।
की तुम भी ऐसे हो जाओगे
हम रूप देख आईने में मुख निजभव।।
कभी न भूलोगे बदलती स्थिति
जीवन का हर जीवंतता पक्ष।
हर दायित्व के आगे मध्य पीछे
निभा प्रेमिक पालक बनकर दक्ष।।
यही बन जन जब हुआ अनुभव
मैं अहं मिट जना प्रेमफल हम।
ओर जानी कीमत अथाह जीवन की
चतुर्थ कर्म धर्म मात पिता सन्तति मध्य सम।।
यही आज ओर सदा दिवस मनाओ
जान शाश्वत गृहस्थी सुख ज्ञान।
बोझ नहीं ये,सर्वोच्चतम अवस्था
यही तो ईश्वर ईश्वरी का साक्षात ब्रह्मभान।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
www.satyasmeemission.org

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