इस दिवस पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से साइकिल का इतिहास और स्वास्थ सम्बंधित वर्तमान व भविष्य का महत्त्व बताते जनसंदेश देते कहते है कि,
हर वर्ष 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहला आधिकारिक विश्व साइकिल दिवस 3 जून सन 2018 को परिवहन के एक सरल,विश्वनीय,स्वस्थता भरा, स्वच्छ और पर्यावरणीय के लिए सभी रूप से उपयोगी सक्षम साधनों को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया गया था। इसका उद्धेश्य रोजमर्रा के जीवन में साइकिल के उपयोग को लोकप्रिय बनाना है।
विश्व साइकिल दिवस मनाये जाने के लिए अमेरिका के मोंटगोमेरी कॉलेज के प्रोफेसर लेस्ज़ेक सिबिल्सकी और उनकी सोशियोलॉजी की कक्षा ने एक जन याचिका दायर की थी।आगे चलकर प्रोफेसर सिबिल्सकी तथा उनकी कक्षा ने सोशल मीडिया के द्वारा इसका बहुत बड़े स्तर पर प्रचार किया और साथ ही 3 जून को विश्व साइकिल दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया था। इस साइकिल दिवस के विश्व स्तर पर मनाने के अभियान को तुर्कमेनिस्तान समेत 56 देशों का सहयोग प्राप्त हुआ है।
प्रत्येक वर्ष विश्व साइकिल दिवस के उच्चतर विकास की रणनीतियों के मुद्दों को ओर भी बड़े स्तर पर फैलाने तथा साइकिल सम्बन्धित कानूनी नियमों पर विशेष रूप से ध्यान देने और सड़क सुरक्षा में उपयोगी सुधार करने के साथ-साथ इसे स्थायी गतिशीलता और परिवहन स्तर के बुनियादी ढांचे की योजनाओं से जोड़ने और इसके नवीन उपयोगी बनावट यानी डिजाइन में एकीकृत करने के लिए सदस्य राष्ट्रों को प्रोत्साहित करने व सहयोग देने के लिए मनाया जा रहा है। इसके साथ ही इस दिवस का मूल उद्देश्य जन समुदाय के सभी वर्गों के बीच साइकिल को उसकी लाभ भरी जीवन की सभी उपयोगिता को बताते हुए खरीद की ओर बढ़ावा देना भी है।
यो स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी इस साइकिल दिवस पर अपनी ज्ञान कविता में ये सब इस प्रकार दर्शाया है की
विश्व साइकिल दिवस पर ज्ञान कविता
जब चलना हम जाते सीख
तब लगता चलने का हो साधन।
खुशी होती इस इच्छा हो पूरी
जब लाते पापा दुपहियां साइकिल वाहन।।
चलो साइकिल चलाते अब हम
खेल व्यायाम इसे बनाते है।
गली शहर गांव घूम घूम कर
अपना हर काम रोज निपटाते हैं।।
पर कैसे बनी साइकिल प्यारी
ओर इसका क्या इतिहास है।
कितनी उपयोगी है ये जन जन
कितना हुआ इस विकास है।।
सबसे पहला अविष्कार पहियां है
उसी के सभी है विकसित रूप।
उसी विकास में बनी साइकिल
जो सम्पूर्ण जगत जन उपयोग अनूप।।
सत्रह सो तिरेसठ पेरिस में
पियरे लैलमेंट ने इसे बनाया।
हॉबी हॉर्स काठ का घोड़ा कहते
वेलॉसिपीड यंत्र ने सबको बड़ा थकाया।।
फिर प्रयोग बढ़ते गए इस पर
बनी ये ऊंचे नीचे पहियेदार।
फिर समांतर पहिये सुंदर लग
बनी हर व्यक्ति की पसंद इस कदर।।
डांकियां चिट्ठी बांटे घर घर
दूध वाला दूध पहुँचाये इस धर।
इसे ठेली बना सब्जी बेचते
बच्चे उड़े सड़क नई साइकिल के पर।।
बढ़े स्कूटर बाइक गति तेज ले
पर शरीर परिश्रम बड़ा घटा।
यात्रा सदुर सम्भव बन सहज
शान बढ़ यो साइकिल मान मिटा।।
कभी जिस विवाह साइकिल मिलती थी
उस दूल्हे बढ़ता था सम्मान।
गर्व करते रिश्तेदार परिजन
बदला जमाना खोयी साइकिल शान।।
इसी के चलते कुछ समय ठहरा
फिर आयी नई साइकिल की बहार।
नए टायर नई चेन नई गद्दी
बिन झटके बिन थके चले सवार।।
अब हैरत भरे करतब करते हैं
ऊंची कूद पर्वत पर चढ़।
शरीर अंग बन गयी साइकिल
नृत्य अनोखे करते बढ़ इस चढ़।।
तेल होता जा रहा नित महंगा
ओर रोग बढ़ रहे सभी शरीर।
प्रदूषण बढ़ रहा सड़क गलियों घर
लोग अपना साइकिल मिटा रहे दुख पीर।।
फिर से भविष्य साइकिल दिखें
हर तरहां से है साइकिल उपयोग।
साइकिल दिवस पर साइकिल अपनाओ
आनन्द स्वस्थता पाओ कर साइकिल योग।।
जहां चाहो वहां साइकिल ले जाओ
चढ़ मित्रों संग कर खुशियां बातें।
चैम्पियन बनो साइकिल दौड़ कर
दुनियां घूमों खुले आसमां दिन रातें।।
आओ साइकिल दिवस मनाएं
साइकिल खरीद नियम संग चला।
प्रदूषण मिटाये कम कर भीड़
स्वस्थता बढा कर भविष्य भला।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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