इस दिवस पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी कहते है कि
विश्व भर में यह दिवस प्रतिवर्ष 23 मार्च को मनाया जाता है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानी World Meteorological Organization यानी डब्ल्यूएमओ द्वारा वर्ष 2011 में विश्व मौसम विज्ञान दिवस के अवसर पर ‘जलवायु हमारे लिए’ विषय पर जोर दिया गया था। वर्ष 2013 में इस दिवस का विषय रहा था- जीवन और संपत्ति के संरक्षण हेतु मौसम का अवलोकन। इस विश्व मौसम दिवस के मौके पर देश विदेश के विभिन्न भागों में अनेक बैठकें,अनेक संगोष्ठियां और इस सम्बन्धित ज्ञान व्रद्धि हेतु विभिन्न कार्यक्रम किये जाते हैं। जिनके अंतर्गत अनेक मौसम विज्ञानी परस्पर अपने अनुभवों से प्राप्त विचार एवं प्रयोगों से प्राप्त ज्ञान विज्ञान का आदान प्रदान करते हैं कि इस निरंतर विकसित और चरमता को प्राप्त होते मौसम विज्ञान के ज्ञान का समस्त मानवजाति के कल्याण के लिए कैसे ओर भी उच्चतर उपयोग में किया जा सके।
वर्ष सन् 1950 में 23 मार्च के दिन संयुक्त राष्ट्र की एक इकाई के रूप में विश्व मौसम संगठन यानी डब्ल्यूएमओ की स्थापना हुई और जिनेवा में इसका मुख्य कार्यालय खोला गया था।इस संगठन की स्थापना का मूल उद्धेश्य समस्त मनुष्य के प्राकृतिक कॉस्मिक द्धारा अचानक उत्पन्न होने से जो कृषि सम्बंधित ओर व्यक्तिगत कष्ट है,उन्हें कम ओर नियंत्रित करते हुए सर्वभौमिक विकास को निरंतर बढावा देना है।
विश्व मौसम संगठन यानी कि
डब्ल्यूएमओ का पहला प्रचलित प्रतीक चिह्न से आगे बढ़कर इस समय वर्तमान में मौसम विज्ञान में मात्र मौसम संबंधी ज्ञान ही समल्लित नहीं है बल्कि इसमें पूरा का पूरा भू-विज्ञान विस्तारित है।इस ज्ञान विज्ञान का उपयोग हर वर्ष आने वाली अचानक से बाढ़,विकराल सूखा और विध्वंशक भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदा का सही से अनुमान लगाने के लिए किया जाता है।साथ ही इसका उपयोग रोजमर्रा के समुंद्रिक नाविकों ओर समुद्री छोटे बड़े जहाजों और सड़क एवं विमान यातायात का प्रबंधन से जुड़े लोग भी इसे उपयोगी ज्ञान को इस ज्ञान के माध्यम से संभालते हैं। ये सभी बातें मौसम पर्यवेक्षण टावरों से, मौसम गुब्बारों से ओर रडारों से तथा कृत्रिम उपग्रहों के माध्यम से, उच्चतर क्षमताओं भरें कंप्यूटरों और विभिन्न अंकगणितीय मॉडलों से भी संभव होती हैं।
इसी सबको अपनी ज्ञान कविता के द्धारा जनसन्देश देते हुए महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी इस प्रकार से कहते है कि,
विश्व मौसम दिवस पर ज्ञान
कविता
मौसम की ऋतु चार होती है
शीत ग्रीष्म वर्षा शरद।
बसंत हेमंत दो मिल छः बनती
जो मनुष्य को दिए आनन्द दान वरद।।
मौसम सभी उपयोगी मानव
सबका अपना निम्न उच्च महत्त्व।
पर जब संतुलन खो बेठें मौसम
विनाश सिद्ध होता जीव हर तत्व।।
बादल कैसे बनती बिजली
तेज हवा बन चलती कैसे।
आंधी बारिश कैसे मौसम बदलें
हम जुड़े इस मौसम से हैं कैसे।।
क्यों और कैसे मौसम बिगड़ते
ओर कैसे इनके बारे हो ज्ञान।
क्या सुरक्षा करें हम ऐसी
ओर कौन चेताये हमें इस संज्ञान।।
इसी ज्ञान को विभाग बना है
जिस विषय को कहते मौसम विज्ञान।
सरकार ये विभाग नियंत्रित करती
उपग्रहों दूरबीनों से खोजती मौसम संज्ञान।।
मौसम सम्बंधित सूचना नित देते
की आज रहेगा ऐसा मौसम।
ओर कुछ या फिर भविष्य में कैसा
प्रभाव छोड़ेगा अच्छा बुरा मौसम।।
ये मौसम विज्ञान विकसित विकट है
जो भू-विज्ञान है बहुत विशाल।
ब्रह्मांड ओर पृथ्वी बीच क्या चलता
या भविष्य में क्या होगा भू-हाल।।
बाढ़ भूकंप सूखा विपदा सब
मौसम जांच टॉवर रडार गुब्बारें।
कृतिम उपग्रह सुपर कंप्यूटर
भिन्न अंकगणित इस विभाग ज्ञान सहारे।।
इनका उपयोग विमान उड़ान में करते
ओर सड़क यातायात पनडुब्बी समुंद्र।
सदुर ग्रहों की खोज के रॉकेट
उन्हें दिशा ज्ञान देता मौसम विज्ञान बिंद्र ।।
रेडियों टीवी मोबाइल से देते
कैसा रहेगा मौसम का हाल।
कहां हलकी कहां भारी बारिश
कहां भूकंप हिमपात करे हानि विशाल।।
अभी बहुत खोज विषय शेष हैं
इस मौसम विज्ञान के क्षेत्र।
जाने जनवाये इस मौसम विज्ञान को
आओ इस इस दिवस पर जाने खोल ज्ञाननेत्र।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org