इस दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी अपने ज्ञान कविता के माध्यम से इस प्रकार से जनसंदेश देते हुये कहते हैं कि,
भारत में हर साल 4 मार्च को राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस (National Safety and Security Day) 4 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन को अब नेशनल सेफ्टी सप्ताह के रूप में भी मनाया जाने लगा है। हर साल की तरह इस साल भी राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस 4 मार्च को बड़ी धूम-धाम से मनाया जायेगा। राष्ट्रीय सुरक्षा दिन या सप्ताह 4 मार्च से शुरू होकर 10 मार्च तक चलेगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का इतिहास
इस दिन को अस्तित्व में लाने की पहल नेशनल सेफ्टी काउंसिल द्वारा ही की गई थी। इस दिवस को मनाने की शुरुआत 4 मार्च 1972 से की गई थी। इस दिन भारत में नेशनल सेफ्टी काउंसिल की स्थापना हुई थी, इसलिए इस दिन को ही नेशनल सेफ्टी डे के रूप में मनाया जाता है।
नेशनल सेफ्टी काउंसिल एक स्वशासी निकाय है, जो कि सार्वजनिक सेवा के लिए गैर सरकारी और गैर लाभकारी संगठन के रूप में कार्य करता है। इस संगठन की स्थापना साल 1966 में मुंबई सोसायटी अधिनियम के तहत हुई थी, जिसमें आठ हजार सदस्य शामिल थे।इस संस्था का उद्धेश्य राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी सहायता ओर सेवा देने के साथ उनको लाभ पहुँचाने के द्वारा उनके क्या ओर कैसे आर्थिक नुकसान ओर लाभ की स्थिति कैसे हो और विभिन्न मानव समस्या सहित जीवन के बढ़ते घाटे को कम करने के साथ साथ उसे बचाने के लिये वार्षिक आधार पर ये एक व्यापक राष्ट्रीय आंदोलन है।
जो सभी निजी क्षेत्रों में व्यापक तौर पर सुरक्षा जागरुकता कार्यक्रम के प्रदर्शन के द्वारा औद्योगिक दुर्घटना से कैसे बचा जाये।इसके बारे में अपने जन कार्यक्रमों के द्धारा लोगों को जागरुक बनाने के लिये पूरे उत्साह के साथ राष्ट्र स्तर पर इसे मनाया जाता है।जो किसी भी सुरक्षा कानून के द्वारा ढँका हुआ नहीं है। पूरे सप्ताह अभियान को मनाने के दौरान, सुरक्षा जरुरतों के तहत लोगों के लिये विभिन्न प्रकार की विशेष गतिविधियों को अनेक रूप से जन प्रदर्शित किया जाता है।
यो आप सभी इस राष्टीय आंदोलन से जुड़े।
यो इस दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी की कविता इस प्रकार से है कि,
राष्टीय सुरक्षा दिवस पर ज्ञान कविता
जैसे हमें पिता माँ प्यारी
ओर प्यारे है अपने बंधु।
वैसे ही प्यारी माँ भारती
वैसे ही प्यारा राष्ट् हम सिंधु।।
जिस धरती हम पलते है
जिस धरती हम आंगन खेलें।
जिस धरती उगा खाएं अन्न हम
उसी धरा मर मिलते बन राख के ढ़ेले।।
वो रक्षा कर हमें पालती
अन्न जल अग्नि हवा दे आकाश।
खुली सांस आजादी देती
हमसे लेती नहीं रख कोई आस।।
तब हम क्या करते उस दिए बदले
क्या उस कर्तव्य हमारा है।
बस लेना ही सीखा हमने
देना स्वभाव ना हमारा है।।
बस मांगते या मिटाते रौंद उस
प्यार के बदले हिंसा देकर।
कलकल झरने वृक्ष मिटाकर
खनिज खोद व्यर्थ फूंक कर।।
यो जिस धरा के भाग हम पनपे
ओर रहते जिस धरा के अंग।
उसकी रक्षा करना कर्तव्य हमारा
वही धरा नाम राष्ट्र जुड़ा हम संग।।
प्रहरी बने इस राष्ट्र धरा हम
देकर अपना परिश्रम निस्वार्थ।
सभी प्रकार के शत्रु दे रक्षा
अपने राष्ट्र भारत बना यथार्थ।।
यो समाज देश या राज्य की नीति
या हो राष्ट्र सुरक्षा सवाल।
गोपनीयता भंग नहीं करें हम
लेकर सच्च वचन घन ढाल।।
पेड़ पौधे लगा सुधारों
अपना पर्यावरण भविष्य बचा।
पहाड़ झरने कटान को रोकों
लेख आंदोलन समझ विरोध मचा।।
आसपास खुद रक्षक बनना
ओर बनना राष्ट्र सुरक्षा भक्त।
मनाओ दिवस राष्ट्र सुरक्षा
दे सहयोग ले ज़िम्मेदारी सख्त।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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