इस महाबली योगबाला रेबा रक्षिता के योग बल जीवन के विषय में बता रहें है स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
भारत के महान योग ओर प्राणायाम के बल से ओर करतब करने की तरकीब के सहारे अपनी छाती पर से हाथी को चलते हुए पार करने का करतब केवल महाबली राममूर्ति भीम भवानी ही नहीं करते थे बल्कि इस प्रकार के अद्धभुत बलशाली कारनामा करने वाली बंगाल West Bengal कोलकाता की योगबाला रेबा रक्षित भी हुई है।
आज समस्त संसार में स्वामी रामदेव भी योग का महत्व सारे विश्व को समझ ओर प्रेरित रहे है। ओर रोग मुक्त जीवन के लिए योगासन सारे विश्व में अपनाए जा रहे हैं।साथ ही अनेक अन्य योग साधक अभ्यासी योग अध्यापक भी योगासन प्राणायाम सीखा रहे है।पर वे इन पूर्व के महाबली लोगो की भांति योग करतबो को करने में जरा भी दक्ष नहीं है,बस कुछ सतही स्तर के योगासनों का एक पैकेज बनाकर उसके साथ आयुर्वेद चिकित्सा को जोड़कर जनकल्याण कर रहे है,पर भारत में योग की शक्तिदायी परंपरा हजारों साल की है।जिसे समय समय पर सिद्ध योगियों ने इस परंपरा को सामान्य लोगो को सहजता से सीखा कर अद्धभुत शक्तिशाली बनाने में ओर लोककल्याण का मार्ग ढूंढने महान योगदान दिया।इसी योग विद्या के दो भाग है,-1-सामान्य चौरासी योगासन ओर कुछ विशिष्ट प्राणायाम ओर -2-शक्तिवर्द्धक योग व्यायाम जिसे पफ़स्सि योग व्यायाम कहते है।जो स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी जनकल्याण को अपने क़िलासन करतबों व बलवर्द्धक करतबो को करते हुए यूटीयब yutiyub चेनल स्वामी सत्येन्द्र जी के माध्यम से सिखाते है।इसी योगकला से प्रत्येक मनुष्य 5 शक्तियां प्राप्त करता है-पावर-फोर्स-स्ट्रेंथ-स्टैमिना-ऐनर्जी।जिसे सहजता से कुछ समय के नियमित अभ्यास से स्वस्थ और मजबूत से लेकर महाबली बना और बनाया जा सकता है।ऐसे ही योग आसनों के सहारे ही आत्मबल विकसित कर एक से एक कारनामे भी किए जाते रहे है।
जिसमें वेस्ट बंगाल की योगबाला रेबा रक्षित भी उन गिने चुने महाबली लोगों में से एक रही हैं। जिन्होंने योग प्राणायाम के बल से आत्मबल की प्राप्ति के सहारे असंभव को संभव बना जनसाधारण को योग की ओर प्रेरित किया।
रेबा रक्षिता अपने बचपन से ही बलवान बनने को शरीर शौष्ठव का शौक रखती ओर उस समय के प्रचलित योगाभ्यास व्यायामों ओर कसरतों के व्यायामों को नियमित करती थी।
आगे चलकर रेबा देश विभाजन के बाद अपने परिवार के साथ बांग्लादेश से भारत आ कर कोलकाता में आकर बस गईं। बचपन से शरीर शौष्ठव की ये रुचि उन्हें उस समय कोलकाता के विख्यात योग पहलवानी के अखाड़े तक ले गई।जिसे प्रसिद्ध योगी क्रियायोग को विश्व में प्रचारित करने वाले योगी स्वामी योगानन्द परमहंस,जिनके छोटे भाई विष्णु चरण घोष चलाते थे।जिन्होंने उस समय अनगिनत युवाओं को शरीर सौष्ठव की ओर विश्व स्तर तक प्रेरित किया।जिन्हें सबसे पहले मिस्टर यूनिवर्स पुरस्कार से सम्मानित भारतीय युवक मंतोष रॉय रहें है।स्व.मंतोष राय सन 1951 में अपने वेट में मिस्टर यूनिवर्स रहे थे।
यो योगाचार्य विष्णु चरण घोष के अखाड़े में जाकर उन्होंने नियमित योग व्यायामों के अभ्यास से कैसे शरीर सौष्ठव और योग के बलवर्द्धक करतबों को करने ओर दिखाने की बारिकीयां होती हैं,उन्हें सीखा ओर दक्षिता हासिल की ओर अद्धभुत बलवर्द्धक करतबों को दिखाकर लोगो को एक नारी द्धारा ऐसा भी किया जा सकता है,ओर ऐसा करने से हैरत में डाल दिया।
योग व्यायामों से प्राप्त अपने आत्मबल से एक बड़े भारी भरकम हाथी को अपनी छाती से रेबा रक्षिता ने 50 के दशक में कई सर्कसों में दिखा आश्चर्यचिकत कर दिया।साथ ही और भी अनेक हैरत अंग्रेज करतब करती।
वैसे उनका सबसे अद्धभुत बलवर्द्धक ओर खतरनाक शारारिक खेल शरीर के ऊपर से हाथी ओर अनेक भारी लोगों से भरी हुई कार आदि को गुजारना होता था।उनका यह महाबली कारनामा देखने के लिए सर्कस में लोगों की अपार भीड़ लगती थी।इस प्रकार से मिली प्रसिद्धि के बीच रेबा ने कमला, इंटरनेशनल और जेमिनी सर्कस में ये अद्धभुत असाधारण करतब दिखाए ओर वाह,,वाह,, की प्रसंशा भरी प्रसिद्धि पाई। इसके साथ साथ ही रेबा रक्षिता दुर्गापूजा के समय कोलकाता के ओर अन्य स्थानों पर स्थित स्थानीय क्लबों में भी निमंत्रित होने पर अपनी ये महाबली करतबों की प्रस्तुति देती थीं।
भारतीय महिलाओं में बॉडी बिल्डिंग यानी शरीर सौष्ठव और योग की अलख जगाने वाली योगबाळा रेबा रक्षित को उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए भारत सरकार की ओर से पद्मश्री से पुरष्कृत किया गया। उनके ऐसे महाबली कारनामों को देखकर उस समय के हैदराबाद के नवाब ने उन्हें ‘देवी चौधरानी’ की लोक उपाधि भी दी।सन 1950 के प्रारम्भ में उन्हें अपने शारारिक सौष्ठव यानी बॉडीबिल्डिंग के लिए मिस बंगाल का एवार्ड भी मिला था।
यो ऐसी प्रेरक भारतीय नारी से प्रेरणा लेकर नियमित योग व्यायाम करें ओर महाबली बने।इसी सबको आज स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी पफ़स्सि व्यायाम को सिखाते हुए जन साधारण को बलवर्द्धक स्वास्थ्य और रेहीक्रियायोग विधि की सबसे सफलतम ध्यान विधि को सिखाते प्रेरित कर रहें है।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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