देशभर से हर दिन कोई न कोई जहरीली शराब पीने से मरने वालों के मामले सामने आते रहते हैं। जहरीली शराब होने वाली मौत का यह तांडव कोई नया नहीं है। अभी 3-4 दिन पहले यूपी के बुलंदशहर में जहरीली पीने से 12 लोगों की मौत हो गई थी।
मध्यप्रदेश के मुरैना में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत हो गई है। मरने वाले दो अलग-अलग गांव के ग्रामीण हैं। पुलिस के मुताबिक, सुमावली थाना इलाके के पहावली गांव में 3 और बागचीनी इलाके के मानपुर गांव में 7 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई है। वहीं, 7 बीमार है, जिसमें से एक ही हालत गंभीर है। उसे ग्वालियर भेजा गया है।
दरअसल, सोमवार की देर रात अलग-अलग गांवों में जहरीली शराब पीने से मौत हुई है। पहले 8 लोगों की मौत हुई और इलाज के दौरान 2 लोगों की मौत हुई है। जानकारी के अनुसार बागचीनी इलाके के मानपुर गांव में 7 और सुमावली इलाके के पहाबली गांव में 3 लोगों की मौत हुई है। घटना स्थल पर प्रशासन के वरीय अधिकारी पहुंच गए हैं और मामले की जांच शुरू कर दी है।
अब सवाल यह उठता है कि कच्ची शराब जहरीली कैसे बन जाती है? इसको बनाने की प्रक्रिया के बारे में सुनकर आप हैरान हो उठेंगे। जी हां, कच्ची शराब को बनाने में इस्तेमाल होने वाली महुए की लहन को सड़ाने के लिए कुत्ते का शौच और ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल किया जाता है. कहीं-कहीं इसमें नौसादर और यूरिया भी मिलाया जाता है।
कच्ची शराब को अधिक नशीली बनाने के चक्कर में जहरीली हो जाती है। सामान्यत: इसे बनाने में गुड़, शीरा से लहन तैयार किया जाता है। लहन को मिट्टी में गाड़ दिया जाता है। इसमें यूरिया और बेसरमबेल की पत्ती डाला जाता है। अधिक नशीली बनाने के लिए इसमें ऑक्सिटोसिन मिला दिया जाता है, जो मौत का कारण बनती है।
कुछ जगहों पर कच्ची शराब बनाने के लिए पांच किलो गुड़ में 100 ग्राम ईस्ट और यूरिया मिलाकर इसे मिट्टी में गाड़ दिया जाता है। यह लहन उठने पर इसे भट्टी पर चढ़ा दिया जाता है. गर्म होने के बाद जब भाप उठती है, तो उससे शराब उतारी जाती है। इसके अलावा सड़े संतरे, उसके छिलके और सड़े गले अंगूर से भी लहन तैयार किया जाता है।
कच्ची शराब में यूरिया और ऑक्सिटोसिन जैसे केमिल पदार्थ मिलाने की वजह से मिथाइल एल्कोल्हल बन जाता है. इसकी वजह से ही लोगों की मौत हो जाती है। मिथाइल शरीर में जाते ही केमिकल रिएक्शन तेज होता है. इससे शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं। इसकी वजह से कई बार तुरंत मौत हो जाती है. कुछ लोगों में यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है।