18 दिसंबर, 2020 को संपूर्ण विश्व में ‘अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस’ (International Migrants Day) मनाया जाएगा। 4 दिसंबर, 2000 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व में प्रवासियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए प्रतिवर्ष 18 दिसंबर को इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी।अपने देश से दूसरे देश मे जाकर ये प्रवासी नागरिक वहां अभाव में रखकर फिर अपने परिश्रम से सामान्य से लेकर अपनी संस्क्रति को भी पहचान देते हुए उच्चतर आर्थिक सामाजिक राजनीतिक व्यवसायिक उन्नति करते हुए बहुत बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा अपने देश भेजकर वहां विदेशी मुद्रा की बढ़ोतरी करते हुए सभी प्रकार से अपने देश को सम्पन्न बनाने में अहम भूमिका निभाते है।जिसका बहुत बड़ा फायदा अपने देश को हर तरहां से मिलता है,यो इन प्रवासियों को कभी विदेशी की भांति नहीं देखना चाहिए,इन्हें सम्मान देना चाहिए।
इस दिवस पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी कहते है कि,
अंतर्राष्टीय प्रवासी दिवस पर कविता
अपना देश छोड़ जा दूजे
बसकर करते नोकरी व्यापार।
वहां रहते कठिन परिस्थिति जीकर
ओर भेजते अपने देश धन संग प्यार।।
जीते अकेले रह दूजे देश
अपने ओर उनके पहने वेश।
नहीं भूलते अपनी तहज़ीबें
अपनाकर उस देश को शेष।।
धन भेज सुदृढ करते अपनों को
उन्हें दिलाते जीवन साधन।
खुद रह भूखे कम खा पीकर
ओर सोते रात कर देश आराधन।।
तन से वहां ओर मन से अपने
गांव प्रान्त देश के सपने ले संग।
औरों को बुलाते सहायक बनकर
दिलाते रख अपने आशियाने दें अंग।।
भारत पहले स्थान पूरी दुनियां
प्रवासी बन भेज विदेशी मुद्रा।
अपना देश उस मुद्रा को पाकर
बदले करता मुद्रा से सुधरा।।
दूजे देश पर पकड़ बनाते
आर्थिक समाज और राजनीति।
उसका लाभ मिलता निज देश
दबाब बढ़ मिल हर उन्नत विश्वनीति।
मर जाते अभाव ग्रस्त हो
नहीं मिलते वहां जीवन साधन।
लौट तक नहीं पाते देश भी अपने
नसीब न इधर न उधर भूमि पा पावन।।
यो दो हर प्रवासी को सम्मान
न उपेक्षा दो उन्हें विदेशी जान।
यो मनाओ प्रवासी दिवस सब जन
भेज शुभकामना संदेश इस ज्ञान।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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