Breaking News
BigRoz Big Roz
Home / Breaking News / प्राचीन भारतीय प्राणायाम विद्या का बिगड़ता स्वरूप डीप ब्रीथिंग् ओर जाने सच्चा तरीका, बता रहें है,महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी,,

प्राचीन भारतीय प्राणायाम विद्या का बिगड़ता स्वरूप डीप ब्रीथिंग् ओर जाने सच्चा तरीका, बता रहें है,महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी,,

डीप ब्रीथिंग् का अर्थ है-गहरा सांस लेना और छोड़ने का तरीका,,ओर फिर सुषम्ना स्वर को चलाना।

जिसमें पहले 20 सांस लेना छोड़ना, फिर तेज 40 बार सांस तेज लेना और तेज या मध्यम गति से छोड़ना और फिर सहजता से 20 सांस लेनी ओर छोड़ने का अभ्यास किया जाता है।


इससे शरीर मे ऑक्सीजन को बढ़ाना ओर कार्बनडाइऑक्साइड को कम करना होता है,जिससे फेफड़ों की शक्ति बढ़ती है व ह्रदय ग्रन्थि मजबूत होती है,ब्लड फ्लो बढ़िया होता है,पेट लिवर आंतें स्वस्थ होती है पर बहुतों का उल्टा होता है कि,अधिकतर का ब्लड प्रेशर बढ़ता है,जिससे सिर दर्द बढ़ता है।क्योकि सही अनुपात में सही मूलबंध लगाएं बिना किया, ये कृतिम प्राणायाम है।बस इसमें ऑक्सीजन बढ़ाने का एक स्वास्थ लाभकारी प्रलोभन दिया जाता है,तभी कहता हूं,की ऐसे सभी कृतिम प्राणायाम जो कि शरीर के अंगों के तेजी से चलाने से किये गए हो, उनको नियमित रूप से घोड़ा ओर गधे व धावक करते है,फिर भी वे अपने बुद्धिबल का कोईं उच्चत्तर विकास नही कर पाते,न गहन ध्यान व समाधि में प्रवेश कर पाते है।जड़ बुद्धि ही बने रहते है।


यो ये डीप ब्रीथिंग आज एक योग प्राणायाम के नाम पर फैशन स्टेटस बन गया है कि,मैं तो डीप ब्रीथिंग् योग करता या करती हूं।
जबकि प्राचीन प्राणायाम प्रणाली जो कि अपनी खोजो में सम्पूर्ण है,उसमें ये योग इस तरहां नहीं है,वहां प्रारम्भ से ही, बिना शरीर को गति दिए,,केवल स्थिर होकर गहरे सांस के लेने और छोड़ने के साथ ही,समसूत्र व नाड़ी शोधन ओर अनुलोम विलोम व भस्त्रिका के धीमी ओर गहरी विधि के रूप में निश्चित करके स्थापित किया गया है।
तभी मैं बार बार कहता हूं कि,पूरे दिन कई बार 5 से 10 या 20 किलोमीटर तक मध्यम दौड़ते हुए घोड़े या धावक ओर गधे इतनी डीप ब्रीथिंग् करते रहने पर भी सामान्य स्वस्थ रहने को छोड़कर,न विशेष बुद्धि बल की व्रद्धि ओर न ध्यान ,न समाधि ,न आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति हुई न होती और न होगी ही।तब क्या लाभ इस नकली डीप ब्रीथिंग् एक्सरसाइज से?


हाँ, यहां केवल हाथों को बार बार ऊपर उठाना व उंगलियों को खोलना बंद करना व कंधों के जोड़ ओर फेफड़ों के फैलाव से सामान्य दर्द आदि के स्वास्थ लाभ को छोड़कर,कोई गम्भीर ध्यान आदि की प्राप्ति नही होती या होगी।जिसकी अधिक जरूरत है।ओर मन की स्थिरता मुख्य है।जो कि स्थिर रूप से किये विधिवत बन्धों के साथ प्राणायाम से ही सम्भव है
ध्यान रहे बिना सही से ओर सही समय पर सांस लेने व छोड़ने के पहले ओर मध्य व बाद में छोड़ते हुए मूलबंध लगाएं बिना, कोई भी आसन का ओर विशेषकर प्राणायाम का विशेष लाभ नहीं मिलता व नही मिलेगा।
यो ऐसे सहजता के नाम पर फैशनेबल कथित प्राणायाम को साधने में समय ख़र्च करने की जगहां,अपने प्राचीन भारतीय प्राणायाम विधि को विधिवत अपनाएं ओर सम्पूर्ण लाभ लेकर गहन प्राणायाम के बाद ध्यान समाधि की प्राप्ति करें।देखे इस सम्बन्धित ये लिंक वीडियो,,

https://youtu.be/pq1kz24QiCY

यो अधिक जानकारी के लिए स्वामी जी के यूटीयूब swami satyendra ji पर जाकर सीख सकते है।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
www.satyasmeemission.org

Follow us :

Check Also

राजस्थान के भरतपुर में दर्दनाक हादसा, खड़ी बस को ट्रक ने मारी टक्कर, इसके बाद जो हुआ उसे सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे

राजस्थान के भरतपुर में बुधवार सुबह एक बस और ट्रक की टक्कर में 12 लोगों …

Leave a Reply

error

Enjoy khabar 24 Express? Please spread the word :)

RSS
Follow by Email
YouTube
YouTube
Pinterest
Pinterest
fb-share-icon
LinkedIn
LinkedIn
Share
Instagram
Telegram
WhatsApp
%d bloggers like this: