सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद मंगलवार को दो दिनों की भारत यात्रा पर पहुंचे जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रोटोकॉल से अलग हटकर हवाईअड्डे पर उनकी आगवानी की। सऊदी अरब के शाहजादे भारत की पहली द्विपक्षीय यात्रा पर आए हैं।
इससे पूर्व सऊदी अरब के सहजादे पाकिस्तान यात्रा पर गए हुए थे। व पाकिस्तान को अरबों रुपये देकर आये हैं। इतना ही नहीं प्रिंस ने पाकिस्तान को अपना सबसे अच्छा दोस्त बताया है।
लेकिन ज्ञात हो कि पाकिस्तान को जो करोड़ों अरबों डॉलर की विदेशी मदद मिलती है पाकिस्तान उन अरबों रुपयों में से बड़ा हिस्सा आतंकवाद पर खर्च करता है ये जगजाहिर है।
सऊदी अरब ही वो देश है जो लादेन, बगदादी जैसे आतंकवादियों को फंडिंग करता है। पत्रकार ख़गोसी की हत्या का आरोप भी प्रिंस पर लगा।
अमेरिका जैसे देश इस प्रिंस के आगे नतमस्तक रहते हैं। हमारे पीएम की खुशी देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है।
सबसे बड़ी बात, अभी 5 ही दिन हुए हैं हमारे सीआरपीएफ के जवानों को शहीद हुए, उनकी चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई होगी, जवानों के परिवार वालों के आंसू अभी सूखे भी नहीं होंगे। और शोक में डूबे हमारे माननीय राष्ट्रवादी पीएम सऊदी प्रिंस “मोहम्मद बिन सलमान” का स्वागत करने प्रोटोकॉल तोड़ एयरपोर्ट पहुंच गए…।
प्रिंस “मोहम्मद बिन सलमान” अभी अपनी पाकिस्तान की यात्रा में पाकिस्तान को अपना सबसे अच्छा दोस्त बताकर आये हैं। और पाकिस्तान को पापिस्तान बनाने के लिए 20 अरब डॉलर की मदद देकर आये हैं। अब इतना पैसा मिलने पर कोई भी ड्राइवर बन जाएगा तो… प्रिंस को अपनी कार में बिठाकर इमरान खान घुमाते नज़र आ रहे हैं।
उधर हमारे पीएम की खुशी देखिए… वो प्रिंस का ठीक वैसे स्वागत कर रहे हैं जैसे हमने पाकिस्तान के ऊपर बड़ी जीत हासिल कर ली हो। मुझे इमरान खान के स्वागत और हमारे पीएम के स्वागत में कोई अंतर नज़र नहीं आया। इमरान खान प्रिंस को खुश करने के लिए खुद कार चला रहे हैं क्योंकि मोटी रकम पाकिस्तान को भीख में मिलनी थी।
वहीं हमारे पीएम प्रिंस को खुश करने के लिए एयरपोर्ट जा पहुंचे…। हमारे पास पहले से बहुत कुछ है, हमें तो भीख नहीं चाहिए थी। फिर हमारे पीएम को प्रिंस का स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट प्रोटोकॉल तोड़कर जाने की क्यों जरूरत आन पड़ी?
हो सकता है बहुत से लोग मेरी बात से इत्तेफ़ाक न रखें। या मेरी बातें उन्हें बुरी लगें। लेकिन जरा अकेले में सोचिए कि क्या वाकई सही है जो कुछ हो रहा है? अगर यही किसी दूसरे पीएम ने किया होता? मान लीजिए अगर राहुल गांधी या किसी दूसरी पार्टी के नेता पीएम होते और मोदी विपक्ष में? तो क्या आप सब राहुल गांधी का ऐसा ही समर्थन करते?
मुझे पीएम की खुशी से, उनके प्रिंस से मिलने से, या पीएम मोदी की रैलियों से कोई दिक्कत नहीं है। वो एक नेता हैं और नेता को नेतागिरी करने का हक है।
लेकिन मुझे या बहुत सारे लोगों को दिक्कत है दोगलेपन से… दोहरे चरित्र से।
नरेंद्र मोदी देश के पीएम हैं, उन पर देश की जिम्मेदारी है। देश के लोगों ने एक भरोसे और विश्वास के साथ नरेंद्र मोदी को पीएम चुना है।
उन्हें चुनाव प्रचार से ज्यादा देश को एहमियत देनी चाहिए।
आजकल जिस तरह सोशल मीडिया गंदा हो चुका है उससे घिन आती है।
जिस दिन देश के 45 जवान शहीद हुए पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपनी-अपनी रैलियों में व्यस्त थे। पीएम ने रैलियाँ निपटाई और अगले दिन सभी नेताओं की सर्वदलीय बैठक बुलाई, पीएम बैठक में आये जरूर लेकिन बैठक बीच में छोड़ निकल गए रैलियाँ करने। खैर इस बात को भी छोड़ दिया जाए क्योंकि इसकी अध्यक्षता गृहमंत्री राजनाथ सिंह कर रहे थे। जबकि पीएम को इसकी अध्यक्षता करनी चाहिए थी।
आपको बता दें कि इस कायरनापूर्ण हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली।
लेकिन भाजपा और कांग्रेस सहित सभी दलों ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए आतंकवादी हमले और सीमा-पार से उसे मिल रहे समर्थन की निंदा की। प्रस्ताव में पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया। इस तरह के प्रस्ताव हमेशा सत्ता पक्ष की तरफ से होते हैं। हालांकि इस प्रस्ताव में जोर दिया गया कि भारत सीमा पार से आतंकवादी खतरे का सामना कर रहा है जिसे हाल ही में पड़ोसी देश के बलों द्वारा काफी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
खैर जो भी हो, देश के सामने एक बड़ा झूंठ परोसा जा रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से खबरें उड़ रही हैं।
जो खबरें उड़ रही हैं उनमें सबसे बड़ी है कि भारत ने पाकिस्तान पर हमला शुरू कर दिया है। और अब पीएम मोदी बदला लेकर ही रहेंगे। पाकिस्तान नेस्तनाबूद हो जाएगा। हम पीएम मोदी को 2019 में भी चुनेंगे और फिर पाकिस्तान से बदला लेंगे।
खुद पीएम मोदी अपनी चुनावी सभाओं में पाकिस्तान को ललकार रहे हैं।
एक तरफ हम पलक पावड़े बिछा अपने दुश्मन के दोस्त को गले लगा रहे हैं और ऊपर से हम ऐसी बातें कर रहे हैं।
“मैं देश के युवाओं से, मीडिया से, प्रधानमंत्री से ये पूंछना चाहता हूं कि ऐसे झूंठ फैलाकर क्या हम शहीदों का बदला ले लेंगे?”
याद रखिये हमारे जवान जो शहीद हुए हैं वो किसी लड़ाई या यद्ध में शहीद नहीं हुए। हमारे फेलियर सिस्टम का शिकार हुए हैं। उन पर कायराना हमला कराया गया है। उनकी हत्या हुई है। जो बहादुर जवान हमने बिना लड़ाई के खो दिये, पता नहीं वो आगे चलकर न जाने कितने दुश्मनों को मौत के घाट उतारते। हमारे देश का एक-एक सैनिक 100 के बराबर है वो बहादुर है लेकिन उन्हें बहादुरी दिखाने का मौका नहीं मिलता।
और सबसे ज्यादा खतरनाक बात है कि कुछ लोग पीएम मोदी की गलत बातों का भी समर्थन कर रहे हैं। अगर ऐसे ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब सेना और देश के लोगों के मन में सत्ता के प्रति अविश्वास पैदा हो जाएगा।