मेहुल चौकसी, नाम तो सुना हो होगा। नहीं सुना ऐसा हरगिज़ संभव नहीं। मेहुल चौकसी नीरव मोदी का मामा है। वही नीरव मोदी पर जिसने भारतीय बैंकों के अरबों रुपये खा लिया और डकार भी नहीं मारी और फिर वो भी सब कुछ समेटकर भाग गया।
यानि मामा भांजे दोनों ने ही मिलकर देश के बैंकों में अरबों रुपये की खुलेआम डकैती की। और इस डकैती में बखूबी साथ मिला हमारे माननीयों का। माननीय मतलब, हमारे माननीय नेताओं का।
अब बात करते हैं बड़े बैंक डकैत हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की, मेहुल चौकसी ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है, यानि मेहुल अब भारतीय नहीं रहा। और सबसे बड़ी बात उसने जिस देश को नागरिकता ली है वो देश उत्तरी अमेरिका का एक छोटा सा द्वीप है, और उस द्वीप का नाम एंटीगुआ है जिसके राष्ट्रपति हमारे भारतीय प्रधान सेवक के अच्छे मित्र हैं, यानि एंटीगुआ से हमारे अच्छे रिश्ते हैं। ये खुद हमारे सबके चाहते पीएम ने कहा।
एंटीगुआ के बारे में हम आपको बात दें कि एंटीगुआ की भारत से प्रत्यर्पण संधि नहीं है, यही वजह थी कि मेहुल ने अपने लिए सबसे सुरक्षित देश चुना। कोई भी देश जब दूसरे देश के नागरिक को अपनी नागरिकता देता है तो उसके कुछ नियम और शर्तें होती हैं। नागरिकता देने से पहले उसकी जांच पड़ताल होती है उक्त नागरिक के देश से उसके करेक्टर के बारे में पूंछा जाता है यानि कोई चोरी, डकैती, फ्रॉड, मर्डर इत्यादि करके तो नहीं भागा, इसके बाद ही नागरिकता मिलती है। वैसा ही एंटीगुआ ने भी किया। एंटीगुआ ने मेहुल चोकसी के बारे में नागरिकता देने से पहले सारी पड़ताल की थी, तो हमारे विदेश मंत्रालय ने मेहुल को एंटीगुआ की नागरिकता के लिए पाक साफ बताया। भारतीय विदेश मंत्रालय से मिले करेक्टर सर्टिफिकेट के आधार पर एंटीगुआ ने 2017 में मेहुल को नागरिकता दे दी।
यानि भारतीय सरकार को 2014 में ही मेहुल के बारे में जानकारी हो गयी थी बाबजूद इसके उसे देश छोड़कर जाने दिया गया और 2017 में उसे करेक्टर सर्टिफिकेट भी दे दिया गया। जिससे उसे दूसरे देश की नागरिकता आसानी से मिल गयी।
सबसे बड़ी बात मेहुल कोई छोटा मोटा लुटेरा नहीं बल्कि 14500 करोड़ की खुली बैंक लूट का आरोपी है।
मेहुल के पीएम मोदी से भी अच्छे रिश्ते रहें हैं इसे खुद पीएम मोदी ने स्वीकार किया।
कांग्रेस ने पीएम मोदी पर आरोप लगाया कि जब पीएम एंटीगुआ के राष्ट्रपति से मिले उसके तुरंत बाद ही मेहुल को एंटीगुआ की नागरिकता मिल गयी।
यानि अब मेहुल को भारत लाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन प्रतीत हो रहा है। क्योंकि मेहुल ने भारतीय पासपोर्ट भी एंटीगुआ को सौंप दिया है। अब वह भारतीय नागरिक नहीं बल्कि एंटीगुआ का एक सम्मानित नागरिक और व्यपारी है।
भारत सरकार भले उसे वापस लाने के कुछ भी दावे करे, ये भारत सरकार भी भलीभांति जानती है कि उसे भारत लाना मुश्किल है। भारत सरकार जनता को वायदे और दिलासे देने के अलावा कुछ नहीं कर सकती है।
आपको बता दें कि मेहुल चौकसी ने पंजाब नेशनल बैंक के अलावा भारतीय स्टेट बैंक को भी बड़ी चपत लगाई है। अपने भांजे नीरव मोदी के साथ फरवरी 2018 में 14000 करोड़ रुपये का घोटाला करने में फरार चल रहे मेहुल चोकसी ने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर अपनी संपत्ति को गिरवी रखकर एसबीआई से कर्ज लिया था। कर्ज की कुल रकम 405 करोड़ रुपये थी, जिसकी अदायगी अभी तक नहीं हुई है।
एसबीआई ने कहा है कि चोकसी और उसके परिवार के सदस्यों ने लोन का पैसा चुकाया नहीं है। इसके बाद बैंक की तरफ से भेजा गया नोटिस भी वापस आ गया। स्टेट बैंक ने पिछले साल 31 दिसंबर को चोकसी और उनके रिश्तेदारों के आखिरी ज्ञात पते पर नोटिस भेजा था। लेकिन, ये नोटिस वापस लौट आए। बैंक ने कहा है कि अगर 60 दिनों के अंदर बकाया चुकता नहीं किया गया तो वह इन संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू करेगा। चोकसी अब भारतीय नागरिक नहीं है। उसने एंटिगुआ एंड बारबुडा की नागरिकता ले ली है।
जिन संपत्तियों को गिरवी रखकर चोकसी ने कर्ज लिया था उनमें बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्थित प्रॉपर्टी, पनवेल और रायगढ़ स्थित 27 प्लॉट, नासिक स्थिति 42 छोटे-बड़े प्लॉट और तेलंगाना में 38.51 हेक्टेयर के दो प्लॉट शामिल हैं। साथ ही चोकसी 12 डिफॉल्टर लोन अकाउंट का गारंटर भी है। प्रीति चौकसी और दिवंगत गुनियाल चोकसी दो सिक्योरिटी प्रोवाइडर हैं।
चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए एंटीगुआ सरकार के समक्ष लगातार हाथ पांव मार रहे विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक ऐसा लगता है कि मेहुल ने प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश में भारतीय नागरिकता छोड़ने के लिए अपना पासपोर्ट जमा करा दिया है।
हालांकि उसके इस कदम का प्रत्यर्पण कानून पर कोई असर नहीं पडने वाला। भारत ने उसके प्रत्यर्पण के लिए मेहुल के बैंक ऋण चुकाए बिना भाग जाने संबंधी कई अहम सबूत एंटीगुआ को दिए हैं। प्रत्यर्पण के लिए दोनों पक्षों की बातचीत अंतिम दौर में है। संभवत: प्रत्यर्पण की बढ़ती संभावनाओं के मद्देनजर ही चोकसी ने भारत की नागरिकता छोडने का मन बनाया होगा।
“चौकीदार की कैसी चौकीदारी लुटेरे भाग गए और किसी को कानों काम खबर न लगी…।”
अब देखना यह है कि….. भारत सरकार कब तक भारतीय जनता को यह दिलासा देती रहेगी कि बैंक चोर आएंगे, बैंक चोर आएंगे।
जब जाने वाले को रोका ही नहीं तो अब उनकी बिना मर्जी के उन्हें वापस कैसे लाया जाएगा।
मनीष कुमार “अंकुर”
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