धनतेरस की “दिव्य कलश” साधना – इस विषय में स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अनुभवसिद्ध प्रयोग बता रहे हैं जिसको करने से जीवन की बहुत सी समस्याएं समाप्त हो सकती हैं।
जिन भक्तो को ये लगता है कि हमे कुछ अलग से सिद्धिदायक अनुष्ठान करने चाहिए। उन भक्तों के लिए ये सहज सरल सभी प्रकार की तन मन धन की निरन्तर वृद्धि के लिए “”दिव्य कलश स्थापन”” विधि बताई जा रही है। जिसे कोई भी भक्त अपने घर परिवार के कल्याण के लिए किसी भी शुभ महुर्त दिवस पर कर सकता है। विशेषकर धन तेरस पर अति उत्तम समय होता है।इसमें निम्न सामग्री की आवश्यकता पड़ेगी जिसे बाजार से ले ले–
-1:- 7 कौड़ियां साफ और सफेद रंग की हो।
-2:- एक चाँदी का सिक्का जिस पर आपके इष्ट देव की मूरत छपी हो या एक चाँदी के दुकडे या पत्र पर आपका गुरु मंत्र लिखा हो ऐसा सुनार से बनवा ले ।
-3:- 7 लोहे की कीलें छोटी वाली।
-4:- एक श्री यंत्र छोटा वाला ।
-5:- एक तांबे का चूड़ीदार ढक्कन वाला मध्यम साइज का लोटा जिसमे ये सब वस्तुएं बन्द करनी है।
-6:- गाय का घी और ये नही मिले तो सफेद तिल का तेल वो लौटे में पूरा भर जाये इतना होना चाहिए।
अब इन सारी वस्तुओं को गंगा जल से धो कर उन पर रोली का टीका सीधे हाथ की अनामिका ऊँगली से लगा कर एक एक करके अपना गुरु मंत्र का जप करते हुए लोटे में सीधे रखते जाये और घी या तेल भरें और अब अपने गुरु मंत्र का कम से कम 11 माला और मध्यम 21माला और जिनके पास अधिक समय और जपने की सामर्थ्य है। वे 51 या 108 माला का जाप उस लोटे में रखी घी या तेल सहित सभी वस्तुओं का मन ही मन ध्यान करें यो इन सभी वस्तुओं में गुरुदेव व् मन्त्र के इष्ट की सम्पूर्ण कृपा शक्ति उस लोटे में आ जायेगी यो अति ही उत्तम और सम्पूर्ण सिद्धि देने वाला लाभ मिलेगा। और जिनके पास गुरु मन्त्र नही लिया है वे इस सिद्धासिद्ध महामंत्र “”सत्य ॐ सिद्धायै नमः ईं फट् स्वाहा”” का श्रद्धा पूर्वक जप सहित ध्यान कर सकते है।उन्हें भी अवश्य ही सम्पूर्ण लाभ मिलेगा और अब मंत्र जप करके उस लोटे में अपनी जो भी मनोकामना हो उसमे से पहली एक मनोकामना कहते हुए फूँक मारे ऐसे 7 बार कोई एक ही या अलग अलग 7 मनोकामना कहते हुए फूँक मारें और अब लौटे को ढक्कन से बन्द कर दे और लौटे को कलावे से 7 बार लपेट कर बांध दे। यहाँ कलावे को लोटे के मुँह वाले भाग की और से चारों और 7 बार लपेटना है न की लौटे को खड़ा करके केवल सात बार ही लपेटे यो कलावा लपेटते में अपना गुरु मंत्र जपे अपनी मनोकामना भी कहे।अब आपका सभी मनोरथ पूर्ण करने वाला सात्विक ऊर्जा से अभिमन्त्रित सर्व रक्षक सिद्ध “”दिव्य कलश”” तैयार है।।
अब इस “अभिमन्त्रित दिव्य कलश” को अपने पूजाघर में अपने सीधे हाथ की और स्थापित यानि रख दे और प्रत्येक 7 वे माह यानि अगर ये “दिव्य कलश” दीपावली पर तैयार किया है तो होली पर इसे पुनः खोल कर इन्ही वस्तुओं को फिर से गंगाजल से स्नान करा कर नया घी या तेल भरकर ऐसे ही विधिवत तैयार कर अपने पूजाघर में रखें और नित्य ज्योत व् धुप करते रहे तो “दिव्य कलश” की दिव्य शक्ति निरन्तर बढ़ती जायेगी और नित्य संकटों को काट कर घर परिवार में शुभता लाभदायक कल्याण करेगीं।
और जिनका नवीन मकान बन रहा है। तो वे चाहे तो अपने नवीन मकान में जहाँ पूजाघर का स्थान बनाये उस स्थान पर इस “दिव्य कलश” को जमीन में एक छोटा सा पाँच ईंटो का एक कुण्ड बना कर उसके अंदर सीधा रख दे और उस कुण्ड को ईंटो से चिन कर ढक दे तो ये आपकी सभी भूमि और वास्तु दोषो का सम्पूर्ण निराकरण करेगा ये अनुभूत प्रयोग है।।करें और लाभ पाये इसके करने व् स्थापन में किसी भी प्रकार का भय और त्रुटि आदि का दोष नही होता है और अगर आपको लगता है। तो मैं कृपा करूँगा यो आशीर्वाद है।।
जो पूजा समय महूर्त के अनुसार पूजा करना चाहते है तो उनके लिए-
महावतार महादेवी पूर्णिमाँ सर्व वरदात्री की पूजा और जप ध्यान यज्ञानुष्ठान का महूर्त शाम 6:27 से 8:09 तक महानिशा काल में पूजा महूर्त रात्रि के 11:38 से रात्रि के 12:30 बजे तक है और जो अधिक समय जप ध्यान करना चाहते है। तो उनके लिए तो सारी रात्रि महानिशा और शुभ महूर्त का है। सभी समय ईश्वर का शुभ काल है। पूजा करो और मनवांछित मनोरथ पाओ।।
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श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः