न्यूज़ की हैडिंग पढ़के थोड़ा अटपटा जरूर लगा होगा लेकिन बात एक दम सही है। 1947 में देश आजाद हुआ था उस वक़्त हम जो थे… थे। लेकिन आज देश आजाद है हम आज़ादी से सांस ले तो रहे हैं, लेकिन बाबजूद इसके हम अपने को कहां खड़ा पाते हैं?
पीएम मोदी को पीएम इस देश की जनता ने यही सोचकर बनाया था कि ये कुछ नया करेंगे। लेकिन इतना नया कर जाएंगे इतनी उम्मीद नही थी।
हमने वही सोचा था जैसे पीएम मोदी ने वायदा किया था। “हम जिन चीजों के कारण पिछली सरकारों से परेशान थे, ये पालक झपकते ही ठीक कर देंगे।” ऐसा हमारे माननीय पीएम मोदी ने एक नहीं बल्कि एक हज़ार वायदे करके भारतवासियों से कहा था। सरेआम सपथ ली थी। गंगा माँ की कसमें खायी थीं।
लेकिन सब कुछ खोखला निकला। इनका हर वादा झूंठा निकला।
मोदी जी ने 2014 से पहले देश की जनता से जितने वायदे किये वो सब झूंठ निकले… जुमले निकले।
सच निकला तो वो सिर्फ सोशल मीडिया से निकला या फिर गोदी मीडिया से निकला।
हमें तो 15 लाख नहीं चाहिए थे ना सस्ती चीजें चाहिए थीं। लेकिन उम्मीद से ज्यादा भी कुछ गलत नहीं चाहिए था। इन चार सालों में आम आदमी को न जाने किन-किन चीजों के लिए प्रताड़ित किया गया यह खुद आप भलीभांति जानते होंगे।
खैर बात रुपये को हो रही थी तो आज़ादी के बाद आज रुपया अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है लेकिन किसी के मुंह से एक आवाज नहीं निकल रही है। ऐसा लग रहा है मानों सभी खुश हैं। “एक देशभक्ति की बीन बज रही है और हम सब बस उस धुन पर नांचे जा रहे हैं।”
न तो हमें सीमा पर शहीद हो रहे उन शहीदों की चिंता है!
न दंगे की आग में जल रहे उन घरों की चिंता!
न शेल्टर होम में वहशियाना मार झेल रही उन छोटी नन्हीं मासूमों की चिंता!
न ही राह चलती छेड़छाड़, बलात्कार का शिकार हो रही उन बच्चियों और महिलाओं की चिंता!
न ही जाति पाती, धर्म के नाम पर अधर्मी बन रहे, एक नेता के नाम पर सरेआम गुंडागर्दी करने वालों के लिए हमें नहीं कोई चिंता।
यानि सब कुछ ठीक है।
मतलब साफ है कि….. कि हम खुश हैं।
हां मैं कहता हूं इन चार सालों में इस देश की हालत बद से बदतर हो गए हैं।
हम पत्रकारों को इतना कभी डर नहीं लगा जितना आज लग रहा है। हम पत्रकारों को सरेआम माँ बहन की गालियाँ दी जाती हैं। बहन बेटियों के साथ रेप करने की सरेआम धमकी दी जाती है। हमें साफ निर्देश दिया जाता है कि अगर हमने कुछ भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई तो वो ऐसा हश्र करंगे कि कभी आवाज उठाने लायक ही नहीं रहेंगे।
खैर यह दर्द पत्रकारों का आज़ादी के समय से ही रहा है और अब आज़ादी के बाद भी वैसा ही है या ये कह सकते हैं उससे भी कहीं ज्यादा है। अगर हम बिक गए तो अच्छे…ना बिके तो देशद्रोही…मतलब मजबूरन बिकना पड़ेगा, या पत्रिकारिता से हटना पड़ेगा।
वरना….. वरना के कई मायने हैं, या तो मार दिए जाओगे या फिर जिंदा रखकर इतने मार दिए जाओगे कि आवाज उठाने के काबिल ही नहीं रहेंगे। अब हमें चयन करना है कि मरना है या मर-मर के जीना है।
मेरा प्यार भारत, तिरंगा इसकी शान है बस उसे देखकर मन में एक उमंग सी आ जाती है लेकिन आज देशभक्ति का ऐसा आलम है कि अगर आप सपोर्टर नहीं हैं तो आप देश भक्त भी नहीं, अथवा आपके लिए आज़ादी का दिन महज़ एक छुट्टी का दिन ही होगा।
खैर बात हो रही थी रुपये की तो हमारा रुपये ने भी अपना रंग दिखा दिया है। आज यह रुपया भी आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा गिरा है जितना कि इंसान।
एक डॉलर की कीमत 70 रुपये से ज्यादा हो गयी है। यह 71 सालों में अब तक सबसे ज्यादा गिरा है बिल्कुल ठीक वैसे ही जैसे लोगों की सोच।
आप सोचते रहिये, और ये गिरते जाएंगे। इतना गिरेंगे जब तक आप अपने आपको ठीक नहीं कर लेते हैं।
रुपये के गिरने का सिलसिला यूँ ही चालू है। और चालू ही रहेगा क्योंकि यहां सब कुछ चालू है। बिल्कुल सरकार की तरह।
मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 70 के पार चला गया। 1947 से लेकर के अभी तक यह रुपये की सबसे बड़ी गिरावट है।
पिछले 5 वर्षों में रुपये में यह एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट थी। इससे पूर्व अगस्त 2013 में रुपया एक दिन में 148 पैसे की गिरावट के साथ बंद हुआ था। रुपये ने बीते साल डॉलर की तुलना में 5.96 फीसदी की मजबूती दर्ज की थी, जो अब 2018 की शुरुआत से लगातार कमजोर हो रहा है। इस साल अभी तक रुपया 10 फीसदी टूट चुका है। वहीं इस महीने डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक 164 पैसे टूट चुका है।
यह पहली बार है, जब रुपये में डॉलर के मुकाबले इतनी बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। डॉलर के मुकाबले रुपये ने 66 पैसे की भारी गिरावट के साथ शुरुआत की है। शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 68.83 के स्तर पर बंद हुआ था। जिस तरह से वैश्विक मंदी देखी जा रही है ऐसे में विशेषज्ञ पहले ही संभावना जता चुके हैं कि रुपया 70 के स्तर पर पर पहुंच सकता है।
विशेषज्ञों की माने तो अभी रुपये में दबाव बना रहेगा। लगातार डॉलर में आ रही मजबूती, कच्चे तेल की कीमतों में जारी उथल-पुथल और विदेशी निवेश प्रवाह में कमी रुपये में गिरावट के लिए जिम्मेदार है।
और इस रुपये के गिरने से क्या क्या बढेगा और क्या क्या गिरेगा इसका अंदाजा आपको आने वाला वक़्त बता देगा। बता भी रहा होगा।
लेकिन हम यह बताकर या माननीय प्रधानमंत्री की खामियां बताकर देशद्रोही नहीं बनना चाहते हैं।
जो गिर रहा है गिरने दीजिये, आप सब खुश हैं आपकी खुशी में ही हमारी खुशी क्योंकि हम काम ही आपके लिए करते हैं।
आप ऐसे ही खुश रहिये हम देशभक्त बने रहेंगे।
जय हिंद
आप सभी सच्चे देशभक्तों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
****
मनीष कुमार
खबर 24 एक्सप्रेस