वैसे तो शिव की भक्ति में वो शक्ति है जो किसी के भी जीवन में खुशियां भर दे, लेकिन सावन में कई गयी भक्ति से शिव भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं, मनचाहा वरदान देते हैं।
शिव की भक्ति में वो शक्ति है जो हर बुरी चीज को दूर कर देती है और जीवन की सारी उथल पुथल को खत्म कर सफलता के मार्ग खोल देती है।
इससे साल सावन में एक ऐसा महासंयोग बन रहा है जो 19 साल पहले बना था। इस साल 2018 के सावन में शिव शक्ति का महासंयोग और उसका सम्पूर्ण लाभ कैसे उठायें, आओ जाने वो पूजा यज्ञविधि:-
हिन्दू धर्म में पुराणों के अनुसार सावन का महीना सबसे पवित्र होता है, इस बार वर्ष 2018 में सावन के महीने की शुरुआत 28 जुलाई से होगी। ज्योतिषीय गणना है कि- इस बार का सावन का महीना 19 साल बाद ऐसा होगा,जिसमें भगवान शिव के व्रत एवं तप करने वालों को पूर्व की अपेक्षा कई गुना अधिक फल प्राप्त होगा।क्योकि इस 2018 के ज्येष्ठ अधिकमास के बाद सावन पूरे 30 दिन का रहने वाला है। सबसे विशेष बात यह है कि- यह संयोग पूरे 19 साल बाद बन रहा है।ज्योतिष पंचांगों की तिथि गणना के अनुसार इस बार सावन माह में दूज दो दिन रहेगी, जो कृष्ण पक्ष में दूज 29 और 30 जुलाई दोनों ही दिन रहेगी। सावन माह का पहला सोमवार 30 जुलाई को आएगा इसके बाद आखिरी सोमवार 20 अगस्त को रहेगा।
सावन महीने के हर सोमवार को अपने अपने इष्टदेव की पूजा और भगवान शिव शक्ति की विशेष तरीके से पूजा की जाती है।क्योकि सावन का महीना भगवान शिव शक्ति को सबसे अधिक प्रिय है।इस महीने में मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है।यदि आप सावन के महीने में सोमवार के दिन शिव मूर्ति या शिवलिंग की यज्ञ भस्म से पूजा करते हैं तो जानों शिव शक्ति की कृपा आपको अनंत गुना मिलेगी।
इसके साथ ही यदि आप सावन के सोमवार को गंगाजल लाकर घर की किचन में रखते हैं और उसकी कुछ बुँदे आपके द्धारा बनाई गयी सब्जी,दाल और आटे में डाल कर रोटी सबको देंगी तो घर में सभी सदस्यों में जो भी नकारात्मकता होगी वो समाप्त होती चली जायेगी और सबकेन प्रसन्न होकर उनके द्धारा किये गए कार्यों में लाभ मिलकर सम्पन्नता बढ़ेगी और बच्चों की शिक्षा में एकाग्रता बढ़ेगी और उन्हें चल रही प्रतियोगिताओं आदि में अवश्य सफलता मिलती है। सावन के महीने में भगवान शिव को केसर, दूध, चीनी शक़्कर, घी, चन्दन, शहद,बेलपत्र, चढ़ाये. भगवन शिव को यह सारी चीजें अधिक प्रिय है।
अब बताता हूँ शिव शक्ति को आपके द्धारा किये एक सामान्य यज्ञविधि की भस्म से चमत्कारिक लाभ की सरल विधि और पाये मनवांछित लाभ:-
शिव की विशेष फलदायी पूजा विधि:-
सावन के प्रत्येक सोमवार को प्रातः अपने घर में गुरु मंत्र और शिव मंत्र से यज्ञ करें-
यज्ञ कैसे करें:-
यहां बड़ी ही सहज और सफलता देने वाली प्रमाणिक यज्ञ विधि बता रहा हूँ-
जब भी यज्ञ करें तब पहले अपने बैठने के आसन को अपने दोनों हाथों से छूकर फिर हाथों अपने माथे लगाकर प्रणाम करें,अब आसन पर बैठ जाये और अब यज्ञ पर आम की लकड़ियाँ रचाकर गाय के उपले लगा कर उसमें कपूर से अग्नि प्रज्वलित करें और ऊँ यज्ञदेवायै नमः कहे और जब अग्नि जलने लगे,तो उसके ऊपर अपने दोनों हाथों को फेरते हुए अपने सिर से पैरों तक हाथों को आशीर्वाद स्वरूप स्पर्श करें। अब अपनी जो भी जप माला है उसे भी यज्ञ ज्योति के ऊपर से घुमाते हुए अपने माथे पर लगाये और बोले की-हे भगवान मेरी जप माला को शुद्ध कर सिद्धि दाता बनाओ। और अब दो लौंग दो बताशे लेकर उसे पास में रखे घी में थोड़ा सा डुबो कर अब अपनी जो भी मनोकामना है,उसे 7 बार कहें तथा अब लौंग बताशों को यज्ञ में डालते हुए प्रणाम करें,अब अपनी जप माला को उलटे हाथ में पकड़े और एक एक मनके पर अपना गुरु या इष्ट मंत्र बोलते हुए अपने सीधे हाथ की उँगलियों से सामग्री को यज्ञ में अर्पित करते जाये।बहुतों के ये लगेगा की-जप माला उलटे में अशुद्ध है,तो जानो उल्टा हाथ हमारे पूर्वजन्म का भाग्य और उससे मिल रहा अच्छा या बुरा फल बताता है,यो यज्ञ के समय उलटे हाथ से जपी गयी माला से पूर्वजन्म का दोष शुद्ध होगा और सीधे हाथ से दी गयी आहुति वर्तमान और भविष्य के कर्म और फल को प्रदान करेगीं।
अब जितनी माला जप का संकल्प है,उतनी करे।
और स्मरण रहे की-अपनी दृष्टि यज्ञ में जलती ज्वाला में स्थिर रहे और वहां अपने इष्ट और उद्धेश्य के चित्रण को पूरा होते देखे,तभी सही से यज्ञ कर्म सफल होता है,अन्यथा इधर उधर देखते हुए यज्ञ करने से अन्य व्यक्ति का चित्र स्म्रति में आने से उसे आपके यज्ञ का फल चला जायेगा।
यो ही विशेष तांत्रिक यज्ञ हो या कोई अनुष्ठान वे प्रातः 4 से 6 बजे के मध्य या साय 6 से 8 बजे के मध्य या रात्रि के पहर में किये जाते है।इसका सूक्ष्म योगिक कारण ये है की-पहला तो ये काल प्रकर्ति के संधिकाल होने से प्रकर्ति के तीनों गुण-तम् रज सत् एक होकर उस दिन के प्रथम पहर में बदल रहे होते है और परिवर्तित होकर नवीन शक्ति के साथ अपना फल देते है। और अपने या जिस व्यक्ति के लिए कर रहे होते है,उसका स्थूल शरीर सुप्त होता है और विशेषकर सूक्ष्म शरीर जाग्रत होता है और वो यज्ञ कर्ता के मानसिक पकड़ में आ जाता है और सीधे उसे मन्त्र से लाभकारी यज्ञफल प्रदान किया जाता है,अब दुष्ट तांत्रिक उस व्यक्ति के सूक्ष्म शरीर को अपने दुष्ट शक्ति के मन्त्रों से नष्ट या छतिग्रस्त करता है। यो जब यज्ञ समाप्त हो जाये तो पहले की तरहां यज्ञ की ज्योति से आशीर्वाद ले अपने शरीर पर फेरे और नमन करें और फिर माला को यज्ञ ज्योति पर घुमाकर नमन करें और फिर यज्ञ को नमन करें और अब उठ जाये और आसन को नमन करें। अब थोड़ी देर बाद जब यज्ञ शांत हो जाये,तो उसकी भभूति एक कटोरे में भर ले और मन्दिर जा कर शिवलिंग पर उसकी भस्म को ॐ नमः शिवाय् के जप से डालते हुए शिवलिंग को भस्म स्नान कराये और स्नान के उपरांत पंचाम्रत में अधिक जल मिलाकर शिवलिंग को स्नान कराये,अब शिवलिंग को स्वच्छ जल से स्नान कराकर सफाई करके अपने घर चले आये।तब देखे-मनवंछित चमत्कार…और उसे अनुभव करें।
ऐसा पुरे सावन के सारे सोमवार करने वाले को शिव सिद्धि होती है।
अगर आप अपने जीवन में कोई कमी महसूस कर रहे हैं? घर में सुख-शांति नहीं मिल रही है? वैवाहिक जीवन में उथल-पुथल मची हुई है? पढ़ाई में ध्यान नहीं लग रहा है? कोई आपके ऊपर तंत्र मंत्र कर रहा है? आपका परिवार खुश नहीं है? धन व्यर्थ के कार्यों में खर्च हो रहा है? घर में बीमारी का वास हो रहा है? पूजा पाठ में मन नहीं लग रहा है?
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“श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज”
“जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः”