सूर्य ग्रहण अपना असर जरूर दिखाता है इसके कई बार वैज्ञानिक आधार भी सिद्ध हुए है, और हैं भी। चूंकि विज्ञान हमारे वेदों, प्राचीन किताबों और उपनिषदों पर आधारति है इनमें सूर्यग्रहण पड़ने के कारण और असर दोनों प्राचीन समय से लिखे हुए हैं।
इस बार भी जो सूर्यग्रहण पड़ रहा है उसको लेकर भी विद्ववानों के अपने मत हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पड़ने वाला हर सूर्यग्रहण अपना असर जरूर दिखाता है।
यह सूर्यग्रहण भले भारत में नहीं दिख रहा हो लेकिन इसका असर रहेगा पूरे संसार भर में। बस थोड़ी सी सावधानियां बरतने की बात है।
इसी पर श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज बता रहे हैं कि कैसे 13 जुलाई को पड़ने वाला सूर्यग्रहण अपना असर छोड़ेगा और कैसे इससे बचा जा सकता है?
तो आइए जानते हैं स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज से सूर्यग्रहण के असर और बचाव के बारे में : –
आषाढ़ कृष्ण अमावस्या दिनांक 13 जुलाई 2018 दिन शुक्रवार को सूर्य ग्रहण होने वाला है। यह ग्रहण पुनर्वसु नक्षत्र और हर्षण योग में होगा। पर यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक लगना भी नहीं माना जाएगा, चूंकि आकाश मंडल में उपस्थित प्रत्येक ग्रह का प्रभाव पृथ्वी पर होता ही है, इसी कारण भले ही यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई न दे,परंतु इसका असर प्रकृति पर जरूर होगा। यह ग्रहण पृथ्वी के धु्रवीय क्षेत्रों, दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न, स्टीवर्ट आईलैंड और होबार्ट में आंशिक रूप से दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण 13 जुलाई को प्रात: 7 बजकर 18 मिनट और 23 सेकंड से प्रारंभ होगा, जिसका मध्य 8 बजकर 13 मिनट 05 सेकंड पर और मोक्ष 9 बजकर 43 मिनट 44 सेकंड पर होगा।
और इस दिन अमावस्या तिथि प्रात: 8.17 बजे तक रहेगी। यह ग्रहण कर्क लग्न और मिथुन राशि में हो रहा है।
विशेष बात यह है कि इस दौरान सूर्य और चंद्र दोनों मिथुन राशि में मौजूद रहेंगे और लग्न में बुध और राहु रहेंगे। चूंकि यह ग्रहण कर्क लग्न और मिथुन राशि में हो रहा है, इसलिए कर्क लग्न, कर्क राशि, मिथुन लग्न, मिथुन राशि वालों के लिए ये ग्रहण शुभ नहीं रहेगा।
सूर्य और चंद्र के एक साथ एक ही राशि में रहने से कर्क, मिथुन और सिंह राशि वालों को मानसिक कष्ट होगा।
वे शारीरिक रूप से अस्वस्थ अनुभव करेंगे। आर्थिक मामलों में भी सावधानी रखने की आवश्यकता होगी।
और अन्य राशि वाले भी ग्रहण के प्रभाव में आएंगे। इनके कार्यों में कुछ समय के लिए विराम लग सकता है यानी उनके सभी कार्य धीमी गति से हो सकते हैं। उन्हें आर्थिक परेशानी आएगी। वे मानसिक रूप से विचलित रहेंगे। साथ ही वे किसी निर्णय पर सहजता से नहीं पहुंच पाएंगे।
पृथ्वी पर ग्रहण का प्रभाव
सूर्य ग्रहण के कारण पृथ्वी के कुछ भूभाग पर अतिवर्षा होगी। भूस्खलन, बाढ़, भूकंप, समुद्र में तूफान, आंधी जैसी घटनाएं हो सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी अचानक कुछ चौंकाने वाले घटनाक्रम होंगे। बड़े देशों में युद्ध की निति में बड़ा परिवर्तन हो सकता है। जिन देशों के बीच तनाव चल रहे हैं, वे इस बीच में एक दूसरे के विरोध में आ जाएंगे। भारत की बात करें तो यहां किसी बड़े राजनेता की हानि, ट्रेन और विमान दुर्घटना की आशंका है। ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्र के साथ में मौजूद रहने के कारण लोगों की निर्णय क्षमता नष्ट हो जाएगी। आपसी द्वेष बढ़ेंगे। अनेक जातियों में चल रहे जातीय संघर्ष या आंदोलनों में पुनः तेजी आएगी और उनका सामाजिक टकराव बनेगा, जिससे हिंसत्मक घटनाएं बढ़ेंगी। अचानक से लोगों में किसी भी कारणों से आत्महत्या जैसी प्रवृत्तियां बढ़ेंगी।
अतः इस ग्रहण के दोष से बचने के लिए करे ये उपाय:-
ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए सभी राशि वालों को अवश्य कुछ उपाय कर लेना चाहिए। ग्रहण के समय सभी लोगों को अपने अपने इष्ट देव या देवी की आराधना करनी चाहिए-चाहे गुरु मन्त्र व् चालीसा पढ़े या शिव चालीसा पढ़े और सूर्यदेव के स्तोत्र का पाठ करें। साथ ही नवग्रह शांति पाठ और नवग्रह पूजा इस दिन विशेष फलदायी रहेगी। सभी राशि वाले इस दिन ग्रहण उपरांत गरीबों को अनाज का दान करें। गायों को चारा खिलाएं। भिखारियों को मीठे चावल बनाकर खिलाएं। यदि आप यात्रा पे जाना पड़े तो आप अपनी जेब में चंद्र यंत्र जरूर साथ रखें। चंद्र यंत्र ना मिले तो चांदी का कोई आभूषण धारण करके रखें।मुख्यतया तो भारत में ग्रहण दिखाई नहीं देगा, फिर भी इस समय जो गर्भवती स्त्रियां है वे इस ग्रहण काल के दौरान चाकू, छुरी, काटने वाली वस्तुओं का उपयोग, सिलाई आदि न करें। उन्हें ग्रहण प्रारंभ होने से पूर्व तुलसी के पत्ते का सेवन गंगा जल के साथ कर लें। ग्रहण काल में बाहर न निकलें।अर्थात कोई न कोई जप या धार्मिक पाठ करती समय व्यतीत करें तो अति उत्तम होगा। क्योंकि ग्रहण काल में प्रकर्ति में बड़ा परिवर्तन और नवीन सर्जन होता है। सूर्य की तिरछी किरणें पृथ्वी और उसके ओरा मण्डल में पड़ती है, ये नवीन सृष्टि और पुराने को नष्ट करती है। ये समय में जो भी नवीन जीव पैदा हो रहा है,उस पर अद्रश्य प्रभाव अवश्य पड़ता है।
(गुप्त नवरात्रि का प्रारम्भ)
गुप्त नवरात्रि भी इसी दिन प्रारम्भ होंगी और इस बार प्रतिपदा तिथि का क्षय होने के कारण गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ 13 जुलाई को ही प्रात: 8 बजकर 17 मिनट के बाद से हो जाएगा।ज्योतिष पंचांग भेद के कारण कुछ लोग गुप्त नवरात्रि 14 जुलाई से प्रारंभ मानेंगे, लेकिन वह सही नहीं है। द्वितीया में नवरात्रि प्रारंभ नहीं होती है। उन्हें 13 जुलाई को ही गुप्त नवरात्रि को प्रारम्भ करना चाहिए। नवरात्रि के पहले दिन से आगामी पूर्णिमासी तक का समय बड़ा पवित्र होता है।यो अखण्ड ज्योत करते हुए अपने इष्ट और पूर्णिमां देवी का चित्र यहां से लेकर अपने पूजाघर में लगा ले और उनकी कृपा चमत्कार देखे।
ग्रहण में करें कुंडलिनी जागरण का अभ्यास और देखें ग्रहण की अद्धभुत शक्ति का दर्शन :-
जिसके पास गुरु मन्त्र या इष्ट मन्त्र नहीं है और वे पुस्तक में से मंत्र लेकर जप करते है, तो उन्हें मंत्र बड़ी ही कठिन साधना के बाद सफलता मिलेगी। इसमें भी सन्देह है। क्योंकि कोई भी मंत्र हो जिसे गुरु देता है, उसमें उस गुरु की परम्परा से अनगिनत गुरुओं की कठिन जप तपस्या से जागरण होता है और जब वो गुरु अपने शिष्य को मंत्र देता है, तो जानो वो जाग्रत बीज है,बस जपने भर की देरी ही उसमे शेष है, गुरु से मिला गुरु मंत्र ही ग्रहण हो या नवरात्रि या कोई शुभ योग.. उसमें जाग्रत होकर सिद्धि देता है, अन्य नहीं।
फिर भी निराश नहीं हो तन्त्र शास्त्र में इसका निदान ये है की-जो कोई गुरु अपने लेख से कोई एक मन्त्र विधि बताये तो उसमें उस गुरु का संकल्प बल छिपा होता है और उसे श्रद्धा से जपने पर वो अवश्य थोड़ी देर ही सही अपना सिद्धि बल जपने वाले शिष्य में प्रकट होता है।यो पुरुष शिष्य ये पंचाक्षरी कुण्डलिनी जागरण मंत्र का ग्रहण में जप करें-
ॐ लं वं रं यं हं ईं फट् स्वाहा।
और चूँकि स्त्री की कुण्डलिनी पुरुष से बिलकुल भिन्न है और आज तक स्त्री की कुण्डलिनी का कोई बीज मंत्र संसार में न खोजा गया और न प्रकट है, जो केवल और केवल सत्यास्मि धर्म ग्रन्थ में ही वर्णित है, उसे यहाँ सभी धर्म ज्ञान की इच्छा वाली स्त्रियों के लिए प्रकट किया जा रहा है,यो स्त्री अपनी कुंडलिनी जागरण को ये पंचाक्षरी मंत्र जपे-
ॐ भं गं सं चं मं ईं फट् स्वाहा।
ग्रहण में सहज आसन में बैठ जाये और अपने शरीर में अपने मूलाधार चक्र से होते हुए अपनी रीढ़ का ध्यान करते हुए अपने सिर तक इन मन्त्रों को जपते जाये और स्वाहा कहते ही अपने सिर के ऊपर को आकाश में अपनी ऊर्जा को फेंके और फिर कुछ देर बिन मंत्र के ही आकाश का ध्यान करे। ऐसा फिर से नीचे से सिर के ऊपर तक आकाश जा ध्यान करें। और तब आप इस ग्रहण में पड़ रही विचित्र और रहस्यमयी शक्ति को अपने में आते अनुभव करेंगे। और यदि ठीक से किया तो अवश्य ही स्वयं देखेंगे की क्या चमत्कार होते है।
******
कृपया ध्यान दें : –
अगर आप अपने जीवन में कोई कमी महसूस कर रहे हैं? घर में सुख-शांति नहीं मिल रही है? वैवाहिक जीवन में उथल-पुथल मची हुई है? पढ़ाई में ध्यान नहीं लग रहा है? कोई आपके ऊपर तंत्र मंत्र कर रहा है? आपका परिवार खुश नहीं है? धन व्यर्थ के कार्यों में खर्च हो रहा है? घर में बीमारी का वास हो रहा है? पूजा पाठ में मन नहीं लग रहा है?
अगर आप इस तरह की कोई भी समस्या अपने जीवन में महसूस कर रहे हैं तो एक बार श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज के पास जाएं और आपकी समस्या क्षण भर में खत्म हो जाएगी।
माता पूर्णिमाँ देवी की चमत्कारी प्रतिमा या बीज मंत्र मंगाने के लिए, श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज से जुड़ने के लिए या किसी प्रकार की सलाह के लिए संपर्क करें +918923316611
ज्ञान लाभ के लिए श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज के यूटीयूब
https://www.youtube.com/channel/UCOKliI3Eh_7RF1LPpzg7ghA से तुरंत जुड़े।
श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः