अमित शाह भाजपा के स्थापना दिवस पर बोलते-बोलते कुछ कुछ ऐसा बोल गए जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। विपक्ष की एकता, गठबंधन और सावालों से परेशान अमित शाह इतने बौखला गए कि उन्होंने विपक्ष की तुलना जानवरों से कर डाली।
अमित शाह ने कहा कि “मोदी जी की जो बाढ़ आयी है उसके डर से सांप, बिल्ली, नेवला सब मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं।” 2019 का चुनाव मोदी जी के काम पर लड़ना है और जीतना है। ये भारतीय जनता पार्टी का स्वर्ण काल नहीं है, भाजपा का स्वर्ण काल तब आएगा जब पश्चिम बंगाल, ओडिशा और 2019 में भाजपा की सरकार बनेगी।
इस पर सभी विपक्षी दलों ने अमित शाह के इस बयान की तीखी आलोचना की। लेकिन अमित शाह, अमित शाह हैं। उन्हें किसी की आलोचना से कोई फर्क नहीं पड़ता।
क्योंकि उनका इतिहास यह बताता है। वो खुद चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाते हैं। यह हम अपनी तरफ से नहीं कह रहे बल्कि इतिहास गवाह है।
भाजपा ने जम्मू कश्मीर में चुनाव जीतने के लिए किस पार्टी के साथ गठबंधन किया वह जगजाहिर है। जुनावों से पहले भाजपा पीडीपी को आतंकवादी समर्थित पार्टी बताती रही थी लेकिन चुनाव जीतने के लिए न केवल गठजोड़ किया वहां पर पीडीपी की महबूबा मुफ्ती को मुख्यमंत्री भी बनाया। जगजाहिर है कि सरकार बनने के बाद भी आतंकवादी गतिविधियां रुकी नहीं बल्कि और ज्यादा बढ़ गयीं।
वहीं त्रिपुरा में भी अलगाववादियों से गठबंधन करके भाजपा ने साबित कर दिया कि चुनाव जीतने के लिए वो कुछ भी कर सकती है
खुद को राष्ट्रवादी पार्टी बताने वाली भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रवाद चुनाव जीतने की कमजोरी में कमजोर पड़ जाता है जम्मू कश्मीर के बाद इसका बड़ा उदाहरण त्रिपुरा है। जहां बीजेपी अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाती है।
ऐसे में बीजेपी को एक अवसरवादी पार्टी कहना गलत नहीं होगा! ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि बीजेपी जो देश भर में अलगाववाद, उग्रवाद का विरोध करती थी लेकिन यह विरोध त्रिपुरा में अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए कमजोर पड़ जाता है । वामदल को हराने के लिए त्रिपुरा में बीजेपी अलगावादियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है और जीत जाती है। ऐसा ही गठबंधन जम्मू कश्मीर में हुआ, नागालैंड, मेघालय, असम आदि में हुआ। तब ऐसे गठबंधनों को क्या नाम दिया जाए।
बीजेपी के राष्ट्राध्यक्ष को क्या नाम दिया जाए यह तो विपक्ष तय करे। मीडिया का काम सच्चाई लाना है सो ला दिया।
बीजेपी के राष्ट्राध्यक्ष विपक्षी गठबंधन को कुत्ते-बिल्ली, सांप-नेवला का गठबधंन बता देते हैं तो ऐसे में अपने चुनावी गठबंधन का क्यों नाम नहीं दे देते हैं?
चुनाव जीतने के लिए भाजपा के गठबंधनों यानि सहयोगी दलों के नामों को जानते हैं।
4-5 पार्टी भाजपा के खिलाफ गठबंधन बनाऐ तो कुत्ता बिल्ली ….
जब चुनाव जीतने के लिए भाजपा 46 पार्टीयों के साथ NDA बनाऐ तो इसको क्या कहा जाए?
- शिव सेना
- शिरोमणि अकाली दल
- लोक जन शक्ति पार्टी
- अपना दल
- तेलगु देशम पार्टी
- जनता दल यूनाइटेड
- भारतीय समाज पार्टी
- जम्मू एंड कश्मीर पीपुल डेमोक्रेटिक फ्रंट
- राष्ट्रीय लोक समता पार्टी
- स्वाभिमानी पक्ष
- महान दल
- नागालैंड पीपुल्स पार्टी
- पट्टाली मक्कल काची
- ऑल इंडिया एन आर कांग्रेस
- सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट
- रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया
- बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट
- मिजो नेशनल फ्रंट
- राष्ट्रीय समाज पक्ष
- कोनगुनडाउ मक्कल देसिया काची
- शिव संग्राम
- इंडिया जनानयगा काची
- पुथिया निधि काची
- जन सेना पार्टी
- गोरखा मुक्ति मोर्चा
- महाराष्ट्र वादी गोमांतक पार्टी
- गोवा विकास पार्टी
- ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन
- इंडियन पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा
- मणिपुर पीपुल्स पार्टी
- कमतपुर पीपुल्स पार्टी
- जम्मू कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस
- हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा **
- केरला कांग्रेस (थॉमस)
- भारत धर्म जन सेना
- असम गण परिषद
- मणिपुर डेमोक्रेटिक पीपुल्स फ्रंट
- प्रवासी निवासी पार्टी
- प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
- केरला विकास कांग्रेस
- जनाधीय पठाया राष्ट्रीय सभा
- हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी
- यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी(मेघालय)
- पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणांचल
- जनाठीपथिया संरक्षण समिति
- देसिया मुरपोक्क द्रविड़ कड़गम
** अभी हाल ही में अलग हुई पार्टियां
यह पूरी लिस्ट है बीजेपी के सहयोगी दलों की, देशभर से ये सभी पार्टी भाजपा को समर्थन करती हैं, जिनको मिलाकर बनता है एनडीए।
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+91 – 9654969006
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