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कल 30 मार्च को मनाया जाएगा “पुरुषों का करवाचौथ”, आप भी देखें और सुने इसके पीछे की रोचक कहानी स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज की जुबानी | Khabar 24 Express

“कल यानी 30 मार्च को पुरुषों का करवाचौथ मनाया जाएगा। इस व्रत को भारत भर में मनाया जाता है। यह व्रत पुरुषों द्वारा अपनी पत्नी के त्याग, उसकी मेहनत, परिवार के प्रति उसका लगाव और उसकी निरोग और लंबी आयु के लिए यह व्रत किया जाता है। इस व्रत को सिद्ध शनि पीठ के संस्थापक स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज ने लोगों को बताया था और अब यह पूरे भारत में आस्था का विषय बन गया है। हर साल 30 मार्च को लगभग सभी धर्मों के लोग अपनी पत्नी के लिए व्रत रखते हैं।”

व्रत की कहानी व सार इस लेख में स्पष्ट है। आप भी पढ़ें, देखें और व्रत का लाभ उठाएं।

सत्य-प्रेम पूर्णिमाँ-व्रत-30-3-2018 की व्रत कथा

👉जब सनातनी वेद ये कहने में असमर्थ अनुभव करने लगे की जब सत् असत् भी नही था तब एक शून्य था उसमे विक्षोभ हुआ और उससे एकोहम् बहुस्याम का घोष हुआ और तब ये जीव जगत की सृष्टि जन्मी तब इस अद्धभुत संसार का धर्म कर्म जीवन प्रारम्भ हुआ जिसके सभी धर्मो में केवल चार पुरुषवादी युग सतयुग,त्रेतायुग,द्धापर युग और कलियुग की घोषणा को मान्य किया और समस्त जगत में स्त्री शक्ति को केवल भोग विलास का दास्य मनुष्य ही माना और धर्म में साधना में पुरुषवादी सिद्धि की प्राप्ति को उपयोगी सहयोगी मान केवल शब्दों में सम्मान दिया या त्यागियों ने इसे नरक का द्धार मान त्यागने पर ही बल प्रचारित किया जो आजतक है उन्होंने इस महाज्ञान की और ध्यान ही नही देना चाहा की जब सृष्टि करने में और उसे पलने में पुरुष से अधिक कौन महान व् दायित्त्व भरी है जिसकी ये पुरुष उपेक्षा करता है वो स्त्री है वो भी उसी की भांति सम्पूर्ण है वह भी अनादि और सम्पूर्ण शक्ति है जो तब वेद के उस शून्यकाल में भी थी आज भी है और सदा रहेगी जिसकी पुरुषवादी शास्त्र व्याख्या ही अनर्थहीन की है तब जो सबसे प्रथम भगवान सत् और असत् की एक अवस्था के रूप में अकेले “सत्य” दिखाए है जिनका धार्मिक नाम “सत्यनारायण” कहलाता है जिनकी त्रिगुण सन्तान ही ब्रह्मा,विष्णु,शिव है तब इस सत्यनारायण भगवान ने क्या पुरुष होकर ही अपने से ये सारी स्त्री और पुरुष रूपी मनुष्य सृष्टि उतपन्न कर ली जो की शास्त्र सम्मत नही है तब जिस महातत्व स्त्री शक्ति की उपेक्षा की है वही उसी स्त्री ने ही ये त्रिगुण त्रिदेवों को जन्मा है और ये सम्पूर्ण सृष्टि को जन्मा है वो ही सत्य की अर्द्धाग्नि शक्ति सत्यई महामाया महादेवी है जिनका भौतिक जगत नाम प्रकर्ति और पृथ्वी भी है और जगत में जो सूर्य का अग्नि ताप है उसे मनुष्य प्राणी के लिए शीतल करती है तब जो शीतल प्रकाश का निर्माण होता है वही शीतलता लिए सम्पूर्ण प्रकाश शक्ति का नाम पूर्णिमा है जिसे पूरी माँ कहते है ऐसा प्रत्यक्ष नाम किसी अन्य देवी का नही है क्योकि सभी दैविक स्त्री शक्ति इन्ही पूर्णिमा से जन्मी है जिनका एक भाग पुरुष के भौतिक शरीर में स्त्री तत्व इग्ला नाड़ी यानि चन्द्र स्वर शक्ति के रूप में सदा बना रहता है पुरुष के अंदर का यही स्त्री गुण शक्ति ही पुरुष को स्त्री शक्ति को बीजदान करने को रेचित करता है वो भी जब जबकि स्त्री शक्ति उसे अपनी और आकर्षित करती है यो शास्त्रों में इस महाज्ञान का उल्लेख किया है की प्रकर्ति ही मूल ब्रह्म को अपने आकर्षण से चैतन्य करती है उससे सृष्टि के लिए जीव का बीज ग्रहण करती हुयी भोग करती है और उस पुरुष को पिता बनती हुयी अंत में स्वयं के प्रेम बन्धन से मुक्त करती है तभी मूल ब्रह्म पुरुष अपनी योगनिंद्रा में लीन होता है जबतक की स्त्री शक्ति उसे पुनः यही सृष्टि की उत्पत्ति को पहले की तरहां चैतन्य नही करती यो स्त्री शक्ति सदैव कार्य रत रहती है वह स्वयं बंधन और मुक्ति है यो वही यथार्थ जीवन शक्ति कुंडलिनी आदि सम्पूर्ण शक्ति है यो वो जीव के प्रथम आत्मघोष मैं को अहंकार रहित और उपयोगी अपनी शक्ति मातृत्त्व प्रदान कर बनती है तभी जीव मैं भूल माँ शब्द बोलता है यो यही सम्पूर्ण माता ही मूल स्त्रिशक्ति पूर्णिमाँ महादेवी है।

यहाँ इस लिंक पर क्लिक करें और पढ़ें 30-3-2018 प्रेम पूर्णिमाँ व्रत की स्वामी सत्येन्द्र महाराज जी की जुबानी :-

व्रत के बारे में भक्तों की राय

पूर्णिमाँ व्रत के भक्ति में शक्ति के भक्तों के संग सच्चे चमत्कार:-“6”

 

 

नीचे दिए चित्र में माँ पूर्णिमां की मन्दिरों में स्थापना के और भक्तों के परिवार और लिखे रिश्तेदारो के है।

मैं मोनिका शर्मा मुजफ्फरनगर शहर से हूँ,मैने अपनी पसन्द से विजातीय प्रेम विवाह चो.सचिन बालियान से और मुजफ्फरनगर में ही अपनी सुसराल में रहती हूँ।शीघ्र ही एक समय ये आया मेरे गृहस्थी जीवन को प्रेम के स्थान पर भयंकर विवादों ने घेर लिया और बात कोर्ट तक आ पहुँची।हालातों में अनेक बार समझोते हुए और किये भी,परन्तु बार बार फिर वही स्थिति आ खड़ी होती।मेरे पिता जो की रोडवेज में सर्विस करते थे,उनकी दुर्घटना में मृत्यु हो गयी और पीहर में मेरी माँ और मेरी चाची जिनके पति यानि मेरे चाचा भी विकट पूजापाठ करते सिद्धि की खोज में जाने कहाँ निकल गए,आज तक कोई पता नहीं है,यो पीहर में मेरे सिवा कोई सन्तान नहीं है,अब समस्या यही आती की-क्या किया जाये?जिसने जो बताया,वही उपाय किया!पर कोई लाभ नहीं हुआ।जबकि मुझे बचपन से ही सन्तोषी माता के व्रत पूजा और उनकी अनेक बार खुली आँखों से भविष्वाणी करती आवाज सुनाई देती,जो की सत्य जाती,पर वो सभी लगभग नकारात्म ही सिद्ध होती।इसी सब विकट स्थितियों के चलते मेरे दो पुत्रियां बड़ी परी और छोटी प्रार्थना हुयी,अब पुत्र की भी लालसा तो थी,परन्तु इस प्रेमवहीन गृहस्थी जीवन में वो भी मन से मिटने लगी।अब मेरे सुसराल के रिश्तेदार मेरे बहनोई अतुल भाई साहब जो मेरठ के पास इंटर कॉलेज में टीचर है और नन्द नीतू बहिन और दूसरे बहनोई हरेन्द्र और उनकी पत्नी पारुल बहिन आदि ये सब बुलन्दशहर में गुरुदेव सत्य साहिब जी से जुड़े थे।तब ये सब मेरे पति सचिन को लेकर वहां पहुँचे और वहां से गुरु मंत्र और माँ पूर्णिमां की व्रत विधि विधान और कृपा लेकर वापस आये।जबकि इसी बीच मेने अपने प्राण त्यागने का भीषण संकल्प कर मृत्यु का आवाहन किये थी।की मुझे एक दिव्य ज्योति ने प्रवेश कर बचाया और इसी सबके चलते हुए मैने अपने पेट में पल रहे बच्चे से छुटकारा पाने की लेडी डॉक्टर
से दवाई भी ली थी।तब उधर गुरु देव और पूर्णिमां माँ के आशीर्वाद से ये दवाई विफल रही और मुझे पुत्र कार्तिकेय की प्राप्ति हुयी।वहाँ से मेरे पति संग परिजनों के वापस आने के उपरांत उनके जप आदि उपाय करने से शीघ्र ही सब परस्पर शांति होती चली गयी।अब आगामी बार मेने भी गुरुदेव से जुडी दीक्षा ली और पूर्णिमां की मूर्ति को अपने घर के मन्दिर ने स्थापना की और ज्यादा नहीं कहते हुए की-तब से देवी पूर्णिमां की बड़ी कृपा है और मेरा ध्यान भी उच्चारूढ होता चला है और गम्भीर ध्यान अनुभूति के साथ अनेक प्रत्यक्ष दर्शनों की भी प्राप्ति हुयी है।इसी पुत्र और गृहस्थी सुख की मनोकामना ने हम पति पत्नी ने और मेरे बहनोईयों ने अपनी पत्नियों के साथ मिलकर माँ पूर्णिमां की पीतल की दिव्य प्रतिमा अलग अलग मन्दिरों में नवरात्रि में मेरी माता पूर्णिमां की स्थापना-शिव मंदिर निकट भगत जी हलवाई सर्कुलर रोड मुज़फ्फरनगर में हुयी है और भाई हरेन्द्र और बहिन पारुल की श्री पीपलेश्वर महादेव मंदिर स्टेशन के बाहर मुज़फ्फरनगर में है,वहाँ हुयी है।और भाई साहब अतुल और बहिन नीतू ने मेरठ में अपनी कॉलोनी के शिव मन्दिर में रखाई है और नियमित उसमें देवी पूर्णिमां की ज्योत जलाने समयानुसार जाते है और वहां स्थापना पर हम सबने खीर का प्रसाद भक्तों में बांटा है।अब वर्तमान के 30-3-2018 के माँ प्रेम पूर्णिमां के व्रत को अवश्य करेंगे।प्रयास होगा की- आश्रम में ही जाकर करें।जैसी गुरुदेव और पूर्णिमाँ की इच्छा!! वही शुभ है।
यो आप भी श्रद्धा रखते हुए इस व्रत को सामन्य रूप से भी रख सकते है।यदि आपके पास पूर्णिमां माता का चित्र नहीं हो(वेसे फेसबुक से भी लेकर प्रिंट निकलवा सकते है) तो प्रातः किसी भी देवी के आगे घी की अखण्ड ज्योत पूजाघर में करे।और खीर का प्रसाद बनाकर पूजाघर ने रखे और शाम को देवी की पूजाकर अपनी मनोकामना कहें और उन्हें उस खीर का प्रसाद का भोग लगाये और स्वयं ग्रहण करें।चाहे तो अन्यों भक्तों को भी या मन्दिर में जाकर बांट सकते है।आपकी अवश्य मनोकामना पूर्ण होगी।ऐसा मेरा व्यक्तिगत अनुभव है।
!!जय माँ पूर्णिमां!!
!!तेरी कृपा अथाह!!
!!भक्तों के मनोरथ पूर्ण करो!!
!!यही मेरी मनसा तुझ तक आय!!
*🙏जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः🙏*

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पूर्णिमां व्रत के भक्ति में शक्ति के भक्तों संग सच्चे चमत्कार-“5”

मैं तरुण कौशिक मूल गुलावठी निवासी हूँ और वर्तमान में मेरी जॉब गाजियाबाद में प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज में अध्यापक की है और अब मेरी पत्नी श्रीमती अंजली जो विवाह से पूर्व मेरी और उनकी हम परस्पर प्रेम पसन्द हैं।यहां मैं थोडा संछिप्त में अधिक नहीं कहते हुए मूल सार बता ये कहूँगा की-पूर्व के उस समय हम दोनों p.c.s.j. की तैयारी में मेरठ कोचिंग एक साथ पढ़ते थे और वहीं दोनों की मुलाकात हुयी और मैं भी मेरठ कॉलिज से लॉ कर रहा था और तब हम दोनों अपने प्रेम की सफलता और साथ ही भविष्य में सरकारी सर्विस में सफलता को लेकर बड़े ही चिंतित रहते थे,इसी मध्य मेरी मुलाक़ात गुलावठी में धर्मार्द्ध होम्योपैथी चिकित्सालय में बैठने वाले डॉ.सजंय तोमर से हुयी और उन्हीं से मुझे गुरुदेव सत्यसाहिब जी से मिलने को कहा और उनके ध्यान आदि के  समय के उपरान्त कब मिला जाये, ये बताया और वही हमने किया जिससे वर्तमान तक की सभी सफलताओं का मार्ग खुला और मिला।यो हम दोनों उनके पास पहुँचे और गुरु मंत्र और देवी पूर्णिमां का चैत्र की प्रेम पूर्णिमां व्रत विधि संग कृपा आशीर्वाद प्राप्त किया।और बस उसका करना हुआ ही था की-देखते देखते अंजलि का जज बने का सपना पूरा हुआ।इसमें दिन रात का परिश्रम तो है,और परिश्रम तो जाने कितने करते है।पर ईश्वरीय कहो या भाग्य का फेर कहो-आखिर कितनों को प्राप्त होता है? ये प्रश्न भी यहां है।यो वहीं तो मुझे अंजलि का सलेक्शन सहित प्रेम विवाह के रूप में प्राप्त हुआ।जो बड़ा दुर्लभ होता है और ये दुर्लभता की प्राप्ति केवल और केवल सम्भव होती है-गुरु और इष्ट कृपा से !! और नियमित परिश्रम करने की गुरु ईश कृपा से !! जो की मुझे मिली!! यो इस परमपावन पूर्णिमां व्रत को भी हमने पूरा किया और गुरुदेव और देवी पूर्णिमां की कृपा से अवश्य ही करते रहेंगे,यही हमारी गुरुदेव और माता पूर्णिमां से श्रद्धापूर्वक प्रार्थना है,वे सदा कृपा करे।यहां यही कहूँगा की:-
!!जय जय माँ पूर्णिमाँ!!
!!मेरे सभी दोष करें क्षमा!!
!!अपनी कृपा सदा हम पर रखना!!
!!सेवाव्रत आशीष सदा झरना!!
*🙏जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः🙏*
और वर्तमान के 30-3-2018 दिन शुक्रवार को आश्रम में मनाये जाने वाले प्रेम पूर्णिमां व्रत में अवश्य सम्मलित होने की प्रार्थना माँ और गुरु जी है।पत्नी अभी ट्रेनिंग पर लखनऊ है,उसकी छुट्टी नहीं है,पर हम सदूर से ही देवी व्रत मनाएंगे।ये आशीष इच्छा है।जय माँ!!
नीचे दिए गए चित्र- भक्त-तरुण कौशिक और भक्त अंजली का विवाह से पूर्व किये पूर्णिमां माता का किया प्रेम व्रत के समय का है।
*!!जो करें प्रेम पूर्णिमां व्रत!!*
*!!मनवांछित वर माँ पूर्णिमां करत!

पूर्णिमाँ व्रत की भक्ति में शक्ति के भक्तों के संग सत्य चमत्कारी कथा:-“4”

*🙏जय सत्य महाशक्ति सत्यई पूर्णिमाँ माता की जय🙏*
भक्ति में शक्ति ही चमत्कार को पूर्णता प्रदान करती है इसके कई उदाहरण मेरे सामने फलित हुए हैं .मैं शालिनी रेनू जहांगीराबाद काफी समय से सपरिवार सद्गुरु सत्य साहिबजी के सानिध्ये की कृपा दर्शन से जुडी हूँ और एक दिन माता सत्यई पूर्णिमा ने स्वयं मेरे ध्यान करते समय, मुझ में स्वरुप दर्शन दे कर प्रेरणा दी कि अपने शहर जहांगीराबाद में भक्तों के कल्याण हेतु सत्यई पूर्णिमा भगपीठ स्थापित कर, भक्तों के पूजन अनुष्ठान के लिए मैंने आज्ञा पालन कर जहांगीराबाद में दो जगह मूर्ति भगपीठ स्थापित करवा दी .प्रथम *पथवारी आश्रम परिसर* में और दूसरी *ननगिरि मंदिर परिसर* जो शहर के मुख्य बाजार में स्थित है .दोनों श्री भगपीठों में स्त्री महंत पुजारिन सेवा कार्य करती हैं और गुरुदेव के निर्देशानुसार एवं मेरे यथायोग्य सहयोग से अनुष्ठान व्रत आदि संपन्न कराती हैं .इसी मनोरथ अनुष्ठान से जुडी कल्याण संस्मरण है कि- पथवारी आश्रम श्री भगपीठ की महंत पुजारिन भक्त आशा शर्मा नित्ये कार्य अनुसार यज्ञ जप अनुष्ठान कर पीठ पर सेवा कार्य कर रही थी, तो वह पर एक दुःख से पीड़ित स्त्री आयी और अपनी व्यथा सुनाने लगी,तो पुजारिन ने गुरुदेव स्वामी सत्य साहिबजी के बारे में कहा की वहां जाकर प्रार्थना करो और यहाँ सत्य महा शक्ति सत्यई पूर्णिमा भगपीठ पर अपनी मनोकामना कहो और यथा शक्ति खीर भोग प्रसाद बांटना .
इस प्रेरणा लेकर वो स्त्री वहां श्रीभगपीठ पर माथा टेक चली गयी .तबसे नित्य माता की *सत्य ॐ पूर्णिमां चालीसा* पाठ करती हुए बीमार पति का ओपरेशन कराने चली गयी, जो की ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित था .
माँ सत्यई पूर्णिमा की महिमा से उनकी रोग से मुक्ति की असाध्य दिखाई देने वाली मनोकामना अति शीघ्र ही पूर्ण हुई और तब वहां से आकर माता प्रेम पूर्णिमां देवी के प्रति श्रद्धा और ख़ुशी पूर्वक दोनों पति पत्नी ने श्रीभग पीठ पर खीर प्रसाद का अच्छा सा भंडारा किया और ये भक्त श्रीमती मंजू, पति श्री अमित गुप्ता मोहल्ला- प्रभुदयाल जहांगीराबाद में सत्यई माँ के गुणगान सहित प्र्सनतापूर्वक है और माँ पूर्णिमां के गुणगान करते है।। .जय हो माता की 👏👏👏
!!जय पूर्णिमाँ माता!!
!!जो तेरे दर आता!!
!!पूरी होते सभी मनोरथ!!
!!जो तेरा व्रत करता खीर चढ़ता!!
नीचे श्रीभग पीठ जहांगीराबाद का और भक्तों का है।आप भी ये 30-3-2018 दिन शुक्रवार को अवश्य अपने परिवार की सभी सुख शांति और दिव्य प्रेम की प्राप्ति को करें।
*!!जो करें अपने परिवार से प्यार!!,*
*!!अवश्य मनाये व्रत इस बार!!*
*🙏जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः🙏*

 

पूर्णिमां देवी व्रत महिमा और उनके भक्ति शक्ति के भक्तों संग चमत्कार कथा-“3”:-

 

मैं शिवकुमार “गुल्ला भाई” पेंटर के कार्य का ठेकेदार हूँ और गुरु जी सत्य साहिब जी से विवाह पूर्व युवास्वथा से जुड़ा हूँ ,वर्तमान में मेरे दो पुत्र और एक पुत्री शिवानी और पत्नी राजकुमारी देवी है।परन्तु मैं अपने व्यवसाय और बच्चों में शिक्षा को लेकर बड़ा चिंतित रहता था,यूँ तो अब भी हूँ क्योकि संसारिक चिंताएं कभी समाप्त नही होती है,चूँकि गृहस्थी के दायित्त्व बहुत होते है।विशेषकर दैनिक आय और व्यय वाले के साथ तो ज्यादा अनिश्चितता होती है।यही मेरे जीवन में घटित हो रही थी की-मैने गुरु जी से इस विषय में अनुरोध किया।वे बोले ठीक है-तू-पूर्णिमां देवी का आने वाला चैत्र पूर्णिमां का प्रेम पूर्णिमां का महाव्रत करना और व्रत रखकर खीर बाँटना।यही शीघ्र ही तेरी सभी समस्याओं का समाधान करेंगी।और यही हुआ-मैने आश्रम में स्थापित श्रीभगपीठ पर हुए चैत्र की प्रेम पुर्णिमाँ का व्रत अपनी पत्नी के लिए श्रद्धा और उत्साह से रखा और इस विषय में मेरे व्रत रखने को लेकर
मेरे अनेक मित्रों और परिचितों ने प्रबल व्यंग करते हुए,मुझे कहा की-अरे अब अपनी लुगाई को व्रत रखेगा? हम तो बिलकुल नहीं रखेंगे।मेरे साथ मेरा कार्यकर्ता छोटू भी था,वह भी गुरु जी और पूर्णिमां देवी का भक्त है,तब मेने उनसे कहा की-हमारे और हमारे बच्चों के लिए क्या सभी व्रत केवल हमारी पत्नियों को ही रखने का जिम्मा है?
क्या हमारा अपने बच्चे और पत्नी से प्रेम नहीं है?
क्या पत्नी हमारे सभी सुख और विशेषकर दुःख में हमारा साथ नहीं देती ?
भई ये क्या बात हुयी? की-भोग और मजे को पत्नी और अपने कष्ट और बच्चो के दुखों के निवारण को हमारी वहीं बीबी? जिसे तुम अपने आनन्द को भोगते हो?
क्या तुमने पत्नी केवल अपने भोग और दासी बना कर अपनी नोकरी करने को ब्याह कर लाये हो?
ऐसी अनेक प्रबल मेरे कहने को सुन कर उस व्यक्ति सहित अनेक अन्य पुरुष लोग भी सकते में आ गए और चुप रहे।सोचने में लगे देख-मैं फिर बोला की-चलो-
अभी हम सब घर चलते है! और यही बात जो तुमने मुझसे कही है की-अब क्या लुगाई को व्रत रहेंगे? जाकर उसी लुगाई के सामने ये कहना?? इसके बाद जो तुम्हारी पत्नी से उत्तर मिलेगा,वो भी सुन लेंगे।
ये सुन सब बोले की-गुल्ला भाई-तू सही कह रहे हो।हमे कहीं जाने की जरूरत नहीं है और ना अपनी पत्नियों से इसका उत्तर पाना है और क्यों पाये? क्या हमे नही दीखता ये सच?
अब आपकी सभी बातो से हमे भी पूर्णिमाँ माता का चैत्र का प्रेम पूर्णिमाँ व्रत रखना है।आओ उसकी तैयारी हमे बताओ और उसे अवश्य पूरा करेंगे।।
ये सब सुन मैं बोला की-ये प्रश्न पहले मेरे मन भी थे और इसका उत्तर श्री गुरु देव ने ही दिया,जो मेने यहाँ कहा है।
*आओ पूर्णिमां देवी का व्रत विधि बताता हूँ जो की इस प्रकार से है:-*
इसी दिन ईश्वर पुरुष ने अपनी प्रेम पत्नी ईश्वरी व अपनी संतान के लिये सवर्प्रथम व्रत रखा जो *प्रेम पूर्णिमाँ व्रत* कहलाता है जैसे स्त्री अपनी पति संतान की मंगल कामना के लिया कार्तिक माह में *करवा चौथ व्रत* रखती है वैसे ही ये व्रत भी निम्न प्रकार से किया जाता है कि पूर्णिमा की दिन पुरुष निराहार रहकर *प्रेम पूर्णिमाँ देवी* के सामने घी की अखंड ज्योत जलाए व एक *सेब* जो ईश्वर ने सवर्प्रथम दिव्य प्रेम फल उत्पन्न किया था जिसे खा कर ही आदम हव्वा में ग्रहस्थी जीवन जीने का काम ज्ञान हुआ था उस दिव्य फल सेब में *एक चांदी का पूर्ण चंद्र लगाए और पूजाघर में रख दे शाम को उसकी पत्नी उस सेब को अपने मुँह से काट कर भोग लगाकर पति को देगी जिसे खाकर पति अपना व्रत पूर्ण करेगा तथा दो *प्रेम डोर* जो सात रंग के धागों से बनी हुई है वो पति पत्नी एक दूसरे के सीधे हाथ मे बांधेंगे ये प्रेम डोर सात जन्मो के प्रेम का प्रतीक है और जो पुरुष अभी विवाहित नहीं है और जिन पुरुषों की पत्नी स्वर्गवासी हो चुकी है वे ब्रह्मचारी अविवाहित युवक व विधुर पुरुष अपना सेब व चांदी का बना भिन्न चन्द्रमा प्रेम पूर्णिमाँ देवी को शाम पूजन के समय भेंट कर अपनी एक प्रेम डोरी देवी के सीधे हाथ की कलाई में बांधेंगे और एक अपने सीधे हाथ की कलाई में बांधेंगे व देवी को खीर का भोग लगाकर शेष खीर और सेब खाकर व्रत खोलेंगे जिससे अविवाहितों को भविष्य में उत्तम प्रेमिक पत्नी की प्राप्ति होगी व विदुर पुरुषों को उनके आगामी जन्म में मनचाही प्रेम पत्नी की प्राप्ति होकर सुखी गृहस्थी और उत्तम संतान की प्राप्ति होगी यो यह प्रेम पूर्णिमाँ व्रत प्रतिवर्ष मनाया जाता है *जो अपनी पत्नी से करे प्यार वो ये व्रत मनाये हर बार* यो सभी पुरुष अवश्य इस व्रत को मनायेंगे।। इस व्रत से लाभ-अकाल ग्रहस्थ सुख भंग होना, प्रेम में असफलता, संतान का नही होना,संतान का सुख,कालसर्प दोष,पितृदोष,ग्रहण दोष आदि सभी प्रकार के भंग दोष मिट जाते हैं।।
यो आप सभी पुरुष इस सनातन पूर्णिमाँ व्रत को अपनी पत्नी की सार्वभोमिक उन्नति और ग्रहस्थ सुख और भविष्य की उत्तम पत्नी की प्राप्ति व् सुखद ग्रहस्थ सुख प्राप्ति के लिए अवश्य मनाये।।
*तथा जो भी मनुष्य स्त्री हो या पुरुष वो किसी भी नवग्रह के दोषों से किसी भी प्रकार की पीड़ा पा रहा हो वो यदि कम से कम एक वर्ष की 12 पूर्णिमासी को ये दिव्य कथा पढ़ता और सुनता हुआ 12 व्रत रखता और सवा किलों की खीर बना कर गरीबों को और विशेषकर गाय व् कुत्तों को भर पेट खिलाता है तो उसके सर्वग्रह दोष समाप्त होकर सभी शुभ सफलताओं की प्राप्ति करता है व् इष्ट और मंत्र सिद्धि की प्राप्ति होती है।।*

*👉चतुर्थ प्रेम पूर्णिमाँ व्रत उत्सव 30 मार्च 2018 दिन शुक्रवार को मनेगा*
यो मेने भी ये सब व्रत विधि संग किया और देवी कृपा हुयी और गृहस्थी में जो भी सन्तान और आय सम्बंधित व्यवधान थे,उनका सहजता से समाधान होता चला गए।मेरे कार्य में भी प्रगति हुयी और अब मैं लगभग इस और काफी हद तक सन्तुष्ट हूँ और देवी पूर्णिमां से नित्य प्रतिदिन कृपा द्रष्टि बनाये रखने की प्रार्थना करता हूँ।साथ ही गुरु देव स्थापित सत्य शनिदेव सिद्धपीठ पर शनिवार को रात्रि में भक्तों के जाने के उपरांत मन्दिर बन्द होने तक यथायोग्य सेवा देता हूँ।चारों नवरात्रि-चैत्र-ज्येष्ठ-क्वार-माघ को हम सभी भक्त मिलकर अखण्ड जप यज्ञ करते है।और गुरुदेव सहित देवी पूर्णिमां की सदा कृपा पाता हूँ।यो आप भी पाये।ये सुन कहा-गुल्ला भाई हम भी आज और अभी से पूर्णिमाँ माता का ये व्रत 30 मार्च को अवश्य करेंगे।और अब सभी ने जयकारा किया-
!!जय जय पूर्णिमां माता!!
!!तेरा जन्म जन्म का नाता!!
!!हम आये शरण में तेरी!!
!!माँ धयायै करें जगराता!!
और भक्तों आप भी अवश्य करें और “”मनवांछित प्रेम”” की प्राप्ति और गृहस्थी में भी सभी सुख पाएं।।
🙏जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः🙏

 

पूर्णिमां व्रत और उसके सच्चे भक्ति में शक्ति के भक्तों के संग हुए चमत्कार 2

 


यह घटना लेख सुशीला विहार फेस- 2 निवासी श्रीमती मीरा यादव के साथ घटी, इस दिन किसी परिचित के यहां मीरा यादव अपने घर से बाहर गयी थी,उन्होंने अपना जेवर किसी काम के सन्दर्भ में बैंक में ले जाने के लिए अपने पर्स में रख कर एक पन्नी में लपेट कर रख दिया था।उनके जाने के बाद इनकी बेटियों सोनू-मोनू और चाचा की बेटियों ने मिलकर घर की सफाई की और अन्य बेकार के कचरे से भरी पन्नियों के के साथ उस जेवर की पन्नी की भी घर के सामने खली पड़े एक प्लाट में फेंक दिया।तभी वहां कचरा बीनने आये बिहारियों की झुग्गियों से बच्चे उस पन्नियों को उठा कर ले गए।उसने जाकर खोला तो उसमे जेवर देख उस सबको अपनी माँ को दे दिया।और इधर मीरा अपने घर जल्दी बैंक जाने को आई और पन्नी ढूंढी,जो नहीं मिलते देख अपनी लड़कियों से उस स्थान पर रखी पन्नी के विषय में पूछा-वे लड़कियां बोली की-मम्मी वो तो हमने और कूड़े के साथ बाहर फेंक दी थी।अब ये सुन उन्होंने सबको बात बताई सबके होश उड़ गए और सब बाहर को उस प्लाट की और भागे।वहां जाकर देखा तो-वहां वो पन्नी नहीं थी।अब घबरा कर मीरा ने अपने गुरु जी सत्य साहिब जी को फोन लगाया और बात बताई,उन्होंने पूर्णिमां देवी के सामने ज्योत जलाने को कहा और गुरु मंत्र जपने को कहा और आशीर्वाद दिया की देवी की कृपा से अवश्य कल्याण होगा और जेवर वापस मिलेंगे।यो गुरु मंत्र और ध्यान तो सारा परिवार सभी अवस्थाओं में जपता रहता था,तुरन्त मीरा ने भागकर ज्योत जलाई और प्रार्थना करते हुए,इस विषय में विचार किया की-वे कचरा बीनने वाले बच्चों को कहाँ ढूंढे।अब देखें देवी पूर्णिमां पर भक्ति का चमत्कार !!-
और उधर मीरा ने अपनी पति श्री अनिल यादव जो जिला बुलन्दशहर कोर्ट में सरकारी एडवोकेट है,उन्हें फोन किया,वे भी काम के बीच से घर को पहुँचे।तभी घर पे आकर एक अनजान व्यक्ति ने बताया की-क्या तुम्हारा जेवर खोया है? ये सब चोंक कर बोले की हाँ !! वो बोला की- वो जेवर खालसा स्कुल के पीछे जो झुग्गियां है वहाँ जाओ ! वहाँ मिलेगा।उसी सड़क पर मीरा के देवर अतुल यादव का डाक्टरी का क्लीनिक है,ये सुन वे बोले-वहां के सारे झुग्गियों वालो का मैं इलाज करता हूँ,यो सब मुझे जानते है,अभी पहुँचते है तब क्या था, सब वहाँ पहुँचे,और वहाँ उन झुग्गियों वालो में पहले ही इस जेवर की बात बच्चों से खुल गयी थी और और परस्पर विवाद चल रहा था की-हमें भी बांटों।तभी ये परिवार वहां पहुँचा और उन्हें सब जानते थे,यो तुरन्त सारा जेवर उन्हें पुरा सकुशल वापस मिल गया।वापस आकर उन्होंने गुरु जी को बताया और आशीर्वाद लिया और उस अनजान व्यक्ति की देवी पूर्णिमां का ही कृपा स्वरूप माना की-वे ही आकर अपने भक्तों की इस रूप में साहयता की और करती है तथा पूर्णिमां देवी का खीर का प्रसाद बना कर सारी कालोनी में बांटा और उन झुग्गियों में भी बांटा।इस भक्त परिवार के साथ पूर्णिमाँ देवी पर आस्था से उनकी कृपा के और भी ऐसे तुरन्त भक्ति में शक्ति के चमत्कार हुए,जो आगे कहे जायेंगे। नीचे देवी पूर्णिमां के प्रेम पूर्णिमां व्रत मनाते-भक्त अनिल यादव और उनकी पत्नी मीरा यादव।
!!जय पूर्णिमां माता!!
!!जो कोई तुझको ध्याता!!
!!मनवांछित फल पाता!!
*🙏जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः🙏*

 

 

पूर्णिमां देवी व्रत और उसके सच्चे भक्ति में शक्ति के भक्तों संग हुए चमत्कार:-“1”

श्री गुरुदेव सत्य साहिब जी और पूर्णिमां देवी की शरण लेने के उपरान्त मेरे शशि डाँगुर बुलन्दशहर सभी कष्टों का निराकरण हो गया।आज केवल उन्हीं की भक्ति में ध्यानस्थ और प्रत्य्क्ष कृपा दर्शन पाती हूँ।मेरे साथ हुए जीवन चमत्कारी कृपाओं का यहां उल्लेख करूंगी की-एक समय मेरे पति डा. जगपाल डाँगुर ग्राम-धनोरा ककोड़ बुलन्दशहर
के शुगर के रोग से स्वर्गवास हो जाने के बाद घोर आर्थिक संकटों से घिर गयी और अनेक विद्धान पण्डितों के अनुसार मेरे बच्चे प्रशांत-पम्मी-डम्मी की जन्म कुंडली में भयंकर दोष थे की-उनका विवाह और बच्चे होने के योग नहीं है और स्थिति भी ऐसी ही बनती गयी।तभी मैं गुरु जी और पूर्णिमां देवी की महिमा से जुडी और मेरे जीवन में उनकी कृपा चमत्कारों का एक के बाद एक प्रत्यक्ष अनुभव होता गया और सभी ये असम्भव कार्य सिद्ध हुए जिन्हें पण्डित ज्योतिषी मना कर चुके थे।जो संछिप्त में इस प्रकार से है की-
मेरी आमदनी का कोई जरिया नहीं रह गया था,एक छोटी सी जमीन का भाग गांव धनोरा में बिकने में अनेको अड़चनों का सामना करा रहा था।उधर मेरे बेटे प्रशांत की शिक्षा को धन की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी,कुछ रिश्तेदारों द्धारा अभी आश्वासन ही मिला था।ठीक तभी मेने गुरु ही के बताये गुरु मन्त्र और पूर्णिमां देवी का ध्यान करते हुए उनकी अखण्ड ज्योत जलायी और उनका खीर का प्रसाद बाँटना प्रारम्भ किया साथ ही करुण प्रार्थना प्रारम्भ की और अति शीघ्र ही चमत्कार घटित हुआ!!
की-मेरी वो विवादों में फंसी भूमि सहज ही तरीके से विवाद सुलझ कर बिक गयी और उससे धन भी शीघ्र ही मिल गया,जिसके फलस्वरुप मेरे बेटे प्रशांत का भी बहुत अच्छे कॉलेज I.M.T. दुबई में प्रवेश हो गया और दो साल का बिजनिस मैनेजमेंट का कोर्स करके आज लन्दन में अपनी पसंद की पत्नी पारुल से विवाह करके और एक सन्तान पुत्री मिहिका के साथ सुखी है।यो उसके साथ मै भी लन्दन छः माह रह कर आई जो मेरे लिए कल्पनीय ही था।और मेरी बड़ी बेटी पम्मी के पति सुधीर की भी बहुत अच्छी सर्विस में अचानक व्यवधान आया और फिर से गुरु से कृपा करने को कहा और गुरु मन्त्र जप और पूर्णिमां माता की अखण्ड ज्योत जलायी और खीर का प्रसाद बाँटने को मेने भी और मेरी बेटी ने भी उपाय किया और चमत्कार हुआ की-I.B.M. अमेरिकन कम्पनी कोलकत्ता में उन पर देवी की कृपा से कार्य मिला और वे वहाँ सफलता से कार्यरत और गुरु जी के साथ देवी पूर्णिमां के भक्त हो गए है।ऐसे हो मेरी छोटी बेटी सन्ध्या का भी अविवाहित रहने का जन्मकुंडली दोष और सन्तानहीनता का दोष देवी कृपा से दूर हुआ और वो भी एक पुत्र सिद्धांत और पति अभिषेक के साथ सुखी जीवन पा रही है।
और भी अनेकों देवी पूर्णिमां की भक्ति से शक्ति कृपा की प्राप्ति और उनके प्रत्यक्ष चमत्कार हुए जिन्हें आगामी समय कहूँगी।
नीचे दिए चित्र में भक्त शशि देवी पूर्णिमां के जप यज्ञ करती हुयी।
!!जय गुरु देव!!
!!जय पूर्णिमाँ माता!!
!!तेरी कृपा जगत विख्याता!!
*🙏जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः🙏*

 

 

 

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