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हम पकौड़े तलने में लगे रहे, देश देखो कितना तरक्की कर गया, रिपोर्ट पढ़कर चौंक जाएंगे | मनीष कुमार Khabar 24 Express

 

 

 

खामखा बेचारे मोदी जी को बदनाम करके रखा हुआ है। गलत होते तो वो कैसे जीतते भला…। बताओ!! अपने मोदी जी भले आदमी हैं। बेचारे 24-24 घंटे काम करते हैं। हमें कांग्रेस के 70 साल के भर्ष्टाचार से बचाया है उन्होंने वो बात अलग है कि गलती से ये अपने भी साल लगा बैठे। अब गलती तो इंसान से ही होती है। बेशक 15 अगस्त 1947 से 15 अगस्त 2017 तक 70 साल पूरे होने को जोड़ बैठे। अब कोई आदमी 24-24 घंटे जगेगा तो थोड़ी बहुत गलती तो हो ही जाएगी। अब मोदी जी भगवान थोड़े न हैं हमने ही तो उन्हें भगवान बना रखा है। बेचारे मोदी जी को खामखा बदनाम कर रखा है।

 

 

 

अब देख लो ऐसी-ऐसी फ़र्ज़ी रिपोर्ट आ रही हैं जबकि देश के लगभग हर युवा के पास रोजगार है। पढ़ लो.. अपनी आँखों से खुद ही पढ़ लो..।

 

 

 

भारत में युवाओं के लिए आज नौकरी पाना एक बड़ी चुनौती है। और सरकारी नौकरी यहां पर सबसे बड़ी चुनौती है। जहां एक ओर युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र ने एक बयान देते हुए कहा कि ‘बेरोजगारी से अच्छा है युवा मजदूरी करके पकौड़े बेचें’। पकौड़े तले..। कम से कम वो 200 रुपये कमाकर घर तो ले जाएगा।

 

“अब पीएम से यह कोई पूँछे कि किसी गरीब, बेरोजगार के पास कोई काम नहीं होगा तो वो पकौड़ा ही तलेगा या कोई मजदूरी करेगा। पेट पालना है, भूँखा तो नहीं मर सकता न। लेकिन इसमें आपका या सरकार का क्या योगदान है?

 

 

 

वैसे पीएम के इस बयान के बाद देखते ही देखते पकौड़ा रोजगार का मजाक पूरे देश में उड़ने लगा। वहीं हम देश में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर कुछ ऐसे आंकड़े बता रहा है, जो युवाओं के लिए चिंता का विषय है। बता दें, ये सभी सरकारी आंकड़े हैं, जो श्रम ब्यूरो से लिए गए हैं।

– आंकड़ों के अनुसार भारत दुनिया के सबसे ज्यादा बेरोजगारों का देश बन गया है।

– भारत की 11 फीसदी आबादी लगभग 12 करोड़ लोग बेराजगार हैं।

– 2015-16 में बेरोजगारी की दर 5 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।

– जहां 12 करोड़ लोग बेरोजगार हैं, वहीं 2015 में सिर्फ 1 लाख 35 हजार लोगों को ही नौकरी मिली।

– वहीं चार साल से 550 नौकरियों रोज खत्म हो रही हैं।

– इन चार सालों में महिलाओं की बेराजगारी दर 8.7 तक पहुंच गई है।

– श्रम रोजगार की रिपोर्ट कहती हैं कि स्वरोजगार के मौके घटे हैं, और नौकरियां कम हुई हैं।

कहते हैं कि पढ़-लिख लोगे तो एक अच्छी नौकरी मिल जाएगी। लेकिन आंकड़ों के मुताबिक बेरोजगारों में पढ़े-लिखे युवाओं की तादाद सबसे ज्यादा है। जिसमें 25 फीसदी 20 से 24 आयुवर्ग के हैं, जबकि 25 से 29 वर्ष की उम्र वाले युवकों की तादाद 17 फीसदी है। 20 साल से ज्यादा उम्र के 14.30 करोड़ युवाओं को नौकरी की तलाश है। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बढ़ती बेरोजगारी का यह आंकड़ा सरकार के लिए गहरी चिंता का विषय है।

संयुक्त राष्ट्र श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में भारत में बेरोजगारी वर्तमान समय से और बढ़ सकती है। जो बेरोजगार युवाओं के लिए खतरे की घंटी है।

साल 2017 के शुरुआती 4 महीनों को लेकर CMIE (Centre For Monitoring Indian Economy Pvt Ltd) ने सर्वे किया था जिसमें पाया गया था कि जनवरी से अप्रैल के बीच में करीबन 1.5 मिलियन लोगों ने नौकरी गंवाई हैं और बेरोजगारी का स्तर बढ़ा है। ये सर्वे नोटबंदी के बाद किया गया. बतादें नोटबंदी की घोषणा वाली तारीख 8 नवंबर 2016 को हुई थी। गौरतलब है कि यहां जो संख्‍या दी गई है उसमें भारत के आर्गेनाइज्‍ड, अनआर्गेनाइज्‍ड सेक्‍टर शामिल हैं।

समझे… देख लो सभी कितनी गलत रिपोर्ट बनाई हुई है। इस रिपोर्ट बनाने वाले को तो पाकिस्तान भेज देना चाहिए।

हमारा देश इतना बड़ा रोजगार वाला देश है कि बस पूँछों मत।

 

 

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मनीष कुमार

 

 

नोट : इस लेख में जो भी विचार लिखे गए हैं वो लेखक के खुद के विचार हैं। रोजगार के आंकड़े श्रम रोजगार से लिये हैं।

 

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