और अब आगे की पिक्चर….
असल मुद्दा पार्टी को मेन स्ट्रीम में लाने का था। लेकिन पार्टी के पास ऐसी कोई जादू की छड़ी नहीं थी जो पार्टी को जल्द से जल्द बड़ी लोकप्रियता दिला सके। ऐसे में श्री राम भाजपा के काम आए। श्री राम के साथ पार्टी के तारणहार बनकर उभरे लालकृष्ण आडवाणी। जो अयोध्या से रामजी की खड़ाऊं उठाकर सारनाथ से रथयात्रा लेकर राममंदिर बनाने के लिए, जनता का समर्थन हासिल करने के लिए भारत भ्रमण पर निकल पड़े।
चूंकि धर्म के नाम का भारत में बखूबी इस्तेमाल होता आया है और यह एक बहुत बड़ा व्यापार भी है। तो ऐसे में भाजपा कहाँ चुकने वाली थी। जैसे ही राम के नाम की रथ यात्रा शुरू हुई लोगों ने उम्मीद से भी ज्यादा बढ चढ़कर हिस्सा लिया। लालकृष्ण आडवाणी ही नहीं बल्कि पूरी भाजपा गदगद हो उठी। लेकिन भाजपा को जिस मुकाम पर पहुंचना था वो सफर बड़ा लंबा था। तो इसके लिए अभी कुछ और करने की चाहत थी। तो रही सही कसर 6 दिसम्बर 1992 ने पूरी कर दी। 6 दिसम्बर का वो दिन शायद ही कोई भूला हो। यह वो दिन था जब भारतीय राजनीति के इतिहास में एक बड़ा भूचाल आया। यह बदलाव सिर्फ भारतीय राजनीति में ही नहीं बल्कि पूरे देश में आया। 1947 के बाद यह तीसरा मौका था जब देश 2 धड़ों में बंट गया हो। देश 1984 का दंश तो झेल ही रह था कि अब 1992 भी बाकी था।
6 दिसम्बर 1992 ने जिस तरह से राजनीति को बदला वो आजतक वैसी ही या उससे भी घटिया चल रही है। इस तरह की राजनीति पहले एक पार्टी के द्वारा अपनायी गयी थी लेकिन आज हर कोई इसी सस्ते लोकप्रियता के रास्ते पर चल रहा है।
माता कैकेयी की जिद्द की वजह से भगवान श्री राम को 14 वर्ष के लिए वनवास काटना पड़ा था। लेकिन भाजपा राम के नाम पर 2 बार सत्ता में आई लेकिन राम मंदिर न बना पायी। 26 साल से ऊपर हो गए आजतक श्री राम अपने मंदिर बनने की बांट जोह रहे हैं।
“ऐसा नहीं है कि भारत में श्री राम के मंदिर नहीं हैं। देश में श्री राम के असंख्य व भव्य मंदिर हैं लेकिन जो बात अयोध्या के मंदिर में है वो कहीं और के मंदिरों में कहाँ। आखिरकार अयोध्या श्री राम की जन्मभूमि रही है और हम तो “मंदिर वहीं बनाएंगे।” बाकी का आप सब बखूबी जानते हैं।”
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी भी 2014 में एक ऐसी ही राजनीति लेकर आये। उन्होंने देश के समस्त नागरिकों व हिन्दुओं से वादा किया कि अगर उनकी सरकार बनी तो वो श्री राम का मंदिर अयोध्या में बनवाकर ही दम लेंगे। वैसे वायदे तो उन्होंने बहुत कुछ और बहुत सारे किये थे। किन्तु परंतु… में न जाते हुए हम केवल श्री राम की बात करेंगे।
“मोदी जी के किये वायदों से श्री राम इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने मोदी जी को गुजरात से उठाकर सीधे दिल्ली के आसन पर आसीन कर दिया (उन्होंने भी देश की जनता के साथ यही सोचा होगा कि चलो ये तो कम से कम मेरा भला सोच रहा है ये तो मेरे भक्तों के लिए मंदिर बनवाकर ही दम लेगा)।”
लेकिन अपने मोदी जी ठहरे गुजराती। उन्होंने 11 रुपये के प्रसाद में इतना बड़ा वर लेकर श्री राम को ही ठग लिया। अब जो आदमी श्री राम को ठग ले… छोड़ो मैं इससे आगे कुछ न कहूँगा। वरना देशद्रोही, वामपंथी, मुस्लिमपरस्त न जाने क्या- क्या हो जाऊंगा। तो किन्तु परंतु… छोड़ते हुए बात श्री राम की हो रही है तो.. केवल उन्हीं की बात करूँगा….।
” हम क्यों पेट्रोल डीजल पर अटकें, हम क्यों रोजगार की बात करें, कौन किसान, कौन जवान, क्या हिन्दू क्या मुसलमान। कोई मरे, कोई जिये… तू क्या लेकर आया था क्या लेकर जाएगा। खाली हाथ आया था खाली हाथ जाएगा… सब मोह माया है… त्याग दे.. और दे दे सब कुछ जो कुछ भी है तेरे पास.. ये तेरे किस काम का…। उसने दिया था मैं ले रहा हूँ। क्योंकि मैं.. मैं हूँ। समझे।”
तो आइए केवल श्री राम की बात करते हैं।
श्री राम.. वही श्री राम जिनका अयोध्या में मंदिर बनना है। लेकिन जो भी हो एक गज़ब जरूर हुआ है… गज़ब का चमत्कार हुआ है। यह श्री राम की ही महिमा है कि आज मुसलमान यानि दूसरे धर्म का इंसान भी श्री राम के मंदिर बनाने की पैरवी कर रहा है वो खुद से कह रहा कि भैया अगर आपसे न हो रहा हो तो रहने दो.. श्री राम का मंदिर हम ही बना देंगे।
लेकिन हम ठहरे हिन्दू..। हिन्दू कभी किसी का उधार या एहसान नहीं रखता और वैसे भी दूसरे धर्म के लोग ईंट गारा लगाएंगे तो मंदिर अपवित्र हो जाएगा तो हम इसके लिए सिर्फ हिन्दुओं का जुगाड़ करेंगे।
जुगाड़ से याद आया अब तो मोदी जी के मंत्री सांसद भी इसी जुगत में लगे हुए हैं। क्या पता श्री राम उनसे भी प्रसन्न हो जाएं। इसीलिए हर कोई मंदिर बनाने के लिए दम भर रहा है।
उधर राम जी 4 साल से अपने मंदिर की राह तक रहे हैं… लेकिन मोदी जी श्री राम की सुध लेने के लिए अयोध्या नहीं गए। हाँ वो कहते जरूर रहे हैं “मंदिर वहीं बनाएंगे।” अब इतना तो कहना भी पड़ेगा नहीं तो श्री राम नाराज नहीं हो जाएंगे।
हर कोई कह रहा है। जनता भी कह रही है और मोदी जी के मंत्री, सांसद, नेता सभी हुंकार भर रहे हैं। लेकिन राम जी का वनवास इस बार थोड़ा लंबा है।
होगा, एक दिन सफर जरूर पूरा होगा। बस रामजी को थोड़ा सब्र रखना होगा। हो सकता है 2019 तक रामजी का सपना पूरा हो जाये, अगर 2019 में नहीं हुआ तो 2022 में जरूर हो जाएगा। किसी कारणवश अगर 2022 में भी नहीं हुआ तो 3029 में जरूर पूरा हो जाएगा।
अरे मुझे क्यों गाली देने में लगे हो। ये मैंने खुद से मनगढ़ंत नहीं लिखा है। मेरा धन्यवाद कीजिये कि मैंने अभी तस्वीर पूरी नहीं दिखाई। थोड़ा-थोड़ा हिस्सा लिया है।
कल श्री राम मेरे सपने में भी आये उन्होंने बोला देखो भाई उनसे तो शायद हो नहीं रहा है अब तुम ही मेरे बारे में सोचो..।
मैंने कहा कि हे श्री राम मेरे पास न तलवार है न बंदूक, न कुल्हाड़ी है ना हथौड़ा। न झूंठ हैं न साँच। मेरे पास तो सिर्फ मेरी कलम है कहो तो चलाऊं?
तो मैंने चला दी।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जिनका इतिहास शायद सबको पता है। बिहार में राजनीति के नाम पर क्या-क्या किये हैं वे कितने दूध से धुले। हर कोई जानता है अब ये भी राम के नाम का सहारा ले रहे हैं और ले भी क्यों न। इस देश में रहना है तो राम- राम कहना है।
भाजपा के सबसे बड़े वकील सुब्रमण्यम स्वामी, वही सुब्रमण्यम जिनकी खुद की बेटी सुभाषनी से शुभाषनी हैदर बन गईं। अब वो तो यहां तक कह चुके हैं कि हमें सिर्फ मथुरा, काशी और अयोध्या दे दो.. और 1000 मस्जिद ले लो..। भाजपा में आये नए नवेले मनोज तिवारी.. वही मनोज तिवारी आरा छपरा वाले.. आरा हिले छपरा हिले… वो भी सब हिलाते हिलाते मंदिर बनाने का दम भर रहे हैं.. मंदिर बनाने की मांग कर रहे हैं..।
लेकिन… लेकिन समझ नहीं आ रहा है कि ये सब लोग मांग किससे रहे हैं? सरकार इनकी, लोग इनके, मंत्री इनके, पुजारी इनके, सुप्रीमकोर्ट भी इनकी और अब तो मुस्लिम भी… वो बेचारे भी हाथ जोड़कर कह रहे हैं भइया बना दो.. हमसे श्री राम का दर्द देखा नहीं जाता..।
लेकिन ये हैं कि बार-बार मंदिर बनाने की मांग कर रहे हैं। इन्हें बस मंदिर चाहिए, मंदिर चाहिए लेकिन बनाते भी नहीं है।
हे श्री राम मुझसे न हो पायेगा तुम्हीं कोई चमत्कार करो…।
आपका अपना भोला भक्त
मनीष कुमर
+91-9654969006