जब शरीर में कुछ गड़बड़ होती है तो डॉक्टर जांच कराने के लिए हमें पैथोलॉजी लैब भेजते हैं। जिससे कि हमारे अंदर जो बीमारी है उसका पता लगाया जा सके।
इसके लिए पैथोलॉजी लैब वाले कुछ सेम्पल लेते हैं जैसे ब्लड, यूरीन इत्यादि। पैथोलॉजी वाले जो रिपोर्ट मरीज को देते हैं डॉक्टर उसी रिपोर्ट के आधार पर बीमारी का इलाज करते हैं।
“लेकिन जब पैथोलॉजी लैब वाले ही गलत रिपोर्ट दे दें तब ऐसे में क्या होगा? क्योंकि डॉक्टर तो उसी रिपोर्ट को आधार मानकर इलाज करेंगे?”
बिलकुल ठीक ऐसा ही मामला राजस्थान के डूंगरपुर जिले के साबला तहसील के एक गांव का आया है जहां योगेश कुमार सोनी अपनी माता जी की तबीयत खराब होने की वजह से वह राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में डॉक्टर के पास लेकर गए। डॉक्टरों ने उनकी माता जी के कुछ टेस्ट करवाने के लिए योगेश को कहा, तब योगेश अपनी माता जी को यश पैथोलॉजी लैब, बांसवाड़ा लेेेकर पहुँचे। उनकी माता जी के खून की जांच के लिए सेम्पल लिए गए। इसके बाद लैब वाले ने रिपोर्ट बनाकर योगेश के हाथ में थमा दी।
रिपोर्ट में उनका ब्लड ग्रुप भी लिखा हुआ था जिमें उनका ब्लड ग्रुप “B+” बताया। योगेश ने रिपोर्ट 7/11 /2017 को करवाई थी जिस पर उनकी माता जी का नाम धनु देवी सोनी लिखा हुआ है। डॉक्टर ने उसी रिपोर्ट के आधार पर धनु देवी का इलाज भी शुरू कर दिया।
लेकिन जब योगेश की माता जी के इलाज में कोई फर्क नहीं दिखा तब वो अपनी मां को लेकर अहमदाबाद गए। वहां के डॉक्टर ने फिर से उनके खून की जांच कराने के लिए उनसे कहा।
23/11/2017 को लैबरोटी में फिर से खून की जांच हुई लेकिन वहां की रिपोर्ट में खून का ग्रुप “AB+” आया। रिपोर्ट चौंकाने वाली थी क्योंकि पहली और इस रिपोर्ट में अंतर था। और डॉक्टर उसी रिपोर्ट के आधार पर जांच कर रहे थे जिससे उनकी माँ को कोई आराम नहीं पड़ा था। तब अहमदाबाद के डॉक्टर ने योगेश सोनी को बताया कि गलत रिपोर्ट की वजह से आपकी माता जी को आराम नहीं मिल रहा था क्योंकि उनका इलाज उसी रिपोर्ट के आधार पर हो रहा था जो बांसबाड़ा की पैथोलॉजी में करवाई गई थी।
डॉक्टर के मुताबिक इस प्रकार की गलत रिपोर्ट से मरीज की जान पर बन आती है।
अपनी माता जी का इलाज कराने के बाद योगेश अपने घर वापस आये और गलत रिपोर्ट के लिए उन्होंने पैथोलॉजी लैब वाले से शिकायत की। लेकिन लैब वाले ने इससे अपना पल्ला झाड़ लिया।
“देश में फर्जी डायग्नोस्टिक लैब भी खूब चल रहे हैं। यहां जांच के लिए डॉक्टर तक मौजूद नहीं होते और मरीजों को फर्जी जांच रिपोर्ट पकड़ा दी जाती है। पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें यह साबित हुआ है कि फर्जी डायग्नोस्टिक लैबों के संचालन के खेल में पैथोलॉजी के कुछ डॉक्टर भी शामिल होते हैं। ये लोग थोड़े लालच में जांच रिपोर्ट पर अपने नाम का इस्तेमाल करने की इजाजत दे देते हैं। इसलिए किसी भी डायग्नोस्टिक लैब में जांच कराने से पहले सावधानी जरूरी है।”
इसके बाद योगेश सोनी ने इस घटना की जानकारी हमारे राजस्थान संवाददाता जगदीश जी तेली को दी। इसके बाद जगदीश जी तेली ने पैथोलॉजी लैब से संपर्क साधने की कोशिश की तो उन्होंने जानकारी देने में आनाकानी कर दी। और जब जगदीश ने ऊपर शिकायत करने के लिए कहा तब लैब वाले ने पिछले महीने का बताकर देखने के लिए कहा और साथ ही माफी मांगते हुए कहा कि भविष्य में ऐसी घटना नहीं होगी।
लेकिन इस प्रकार की बड़ी लापरवाही किसी की जान तक ले सकती है। मेडिकल डिपार्टमेंट को ऐसी लैब वालों को अपने संज्ञान में लेना होगा ताकि भविष्य में किसी के साथ कोई गलत घटना न घट सके।
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