यूपी के रायबरेली में एनटीपीसी प्लांट में एक दर्दनाक हादसा हुआ है। इस हादसे में लगभग 18 लोग की मौत की पुष्टि हुई है। और 100 से ज्यादा लोग इस हादसे की वजहसे के झुकास गए। हादसा इतना दर्दनाक था कि चारों ओर सीजन बचाने के लिए चीख पुकार मचने लग गयी। वहां काम कर रहे लोगों को इस बात का आभास ही नाहीं रहा कि अचानक से ये क्या हो गया।
आपको बता दें कि ये हादसा रायबरेली के ऊंचाहार स्थित नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन प्लांट में आज 3.40 बजे हुआ। हादसे की वजह 500 मेगावाट की यूनिट नंबर 6 की बॉयलर स्टीम पाइप धमाके के साथ फटना बताया जा रहा है। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने हादसे में 18 मौतों की पुष्टि की। हालांकि एनटीपीसी प्रशासन ने आठ की मौत होना ही माना है। मरने वालों की संख्या इससे काफी ज्यादा होने की आशंका है।
वहीं, 100 से ज्यादा झुलस गए। एनटीपीसी के एजीएम संजीव कुमार शर्मा, प्रभात श्रीवास्तव और एजीएम मिश्रीराम झुलस गए जिन्हें लखनऊ रेफर कर दिया गया है। 32 सदस्यीय एनडीआरएफ टीम जिला प्रशासन और एनटीपीसी के साथ मिलकर राहत एवं बचाव कार्य में जुटी रही। देर शाम तक घायलों को निकालने का सिलसिला जारी रहा।
एक पखवारा पहले ही यूनिट नंबर 6 से बिजली उत्पादन का कार्य शुरू कराया गया था। हादसे के वक्त 450 श्रमिक इस यूनिट में काम कर रहे थे। स्टीम पाइप के फटने से जोरदार धमाका हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक धमाके के साथ ही पूरी यूनिट 25-30 फीट ऊंचे धुएं के गुबार और लपटों में घिर गई।
हादसा होते ही सीआईएसएफ ने एनटीपीसी परिसर की घेराबंदी कर दी। लोगों का प्रवेश रोक दिया गया। प्रशासन और पुलिस के अफसर और कई थानों की फोर्स मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य शुरू कराया। प्रतापगढ़ और रायबरेली की 40 एंबुलेंस बुला ली गईं। निजी बसें भी लाई गईं। इसके बाद एक-एक करके श्रमिकों को बाहर निकाला गया।
घायलों एनपीटीसी अस्पताल और सीएचसी ऊंचाहार भेजा गया। यहां से हालत गंभीर होने वाले श्रमिकों को जिला अस्पताल और वहां से रायबरेली और लखनऊ ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया। रायबरेली में अस्पताल की भी पुलिस ने घेराबंदी कर दी। सिर्फ घायलों को जाने दिया जा रहा था।
सीएम ने मौके पर अफसरों को भेजा, मदद का एलान
सीएम योगी आदित्यनाथ मॉरिशस में हैं। घटना की जानकारी होते ही उन्होंने एडीजी लॉ एंड आर्डर और प्रमुख सचिव गृह को मौके पर भेजा। सीएम ने मृतक आश्रितों को 2 लाख, गंभीर रूप से घायलों को 50 हजार और घायलों को 25 हजार रुपये की मदद का एलान किया।
घटना पर एनटीपीसी उत्तरी क्षेत्र की सहायक जनसंपर्क महाप्रबंधक रुचि रत्ना का कहना है कि बॉयलर में दोपहर करीब 3.30 बजे 20 मीटर की ऊंचाई पर अचानक आवाज के साथ एक कोने में ओपनिंग हो गई। अंदर से गर्म गैस और भाप बाहर आने से आसपास काम कर रहे लोग चपेट में आ गए। 8 की मौत हो गई और करीब 80 लोग घायल हुए। दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए प्रबंधन की ओर से एक कमेटी गठित की गई है जिसकी रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
बताया जा रहा है कि एनटीपीसी बरेली में तैयारियां आधी अधूरी थीं। वहाँ आग से निपटने का मुकम्मल इंतजाम भी नहीं थे। इन सबके बावजूद 500 मेगावाट की 6 नंबर यूनिट को शुरू करा दिया गया। आखिर इतनी हड़बड़ी क्यों थी? ये सवाल हैं उन श्रमिकों के जो यहां काम करते हैं। बहरहाल एनटीपीसी के अफसर अपनी गर्दन बचाने में जुट गए हैं। अफसर सवालों का जवाब देने से कतरा रहे हैं।
एनटीपीसी की 500 मेगावाट की यूनिट नंबर 6 का संचालन करीब एक पखवारा पहले शुरू कर दिया गया। एक इंजीनियर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह यूनिट अभी सही से कमीशन भी नहीं हुई थी। फिर भी इसे जबरदस्ती मैन्युअल चला दिया गया। गुस्से में ये इंजीनियर कहते हैं ये यूनिट इसलिए चलाई गई कि अफसरों की प्रमोशन की लालसा पूरी हो। तीन साल का प्रोजेक्ट ढाई साल में पूरा करवाने के चक्कर में ये हादसा हुआ…।
ऊंचाहार कस्बे के पूरे भद्दी मजरे पचखरा गांव निवासी मोहनपाठक इसी यूनिट में ठेकेदार हैं। वे भी कहते हैं कि आधी-अधूरी तैयारियां की गई थीं। फायर किट तक की व्यवस्था नहीं थी। यदि ऐसा होता तो शायद श्रमिकों को बचाया जा सकता था। पर ऐसा नहीं हुआ।
फरीदपुर गांव के रहने वाले राम मनोहर, सुखदेव भी इसी नई यूनिट में काम करते थे, लेकिन उनकी ड्यूटी दूसरे शिफ्ट में थी। कहते हैं कि ऊपर वाले का शुक्र रहा कि उनकी ड्यूटी नहीं थी। पर यह हादसा लापरवाही दर्शाता है। तैयारियां पूरी न करके बिजली उत्पादन किया जा रहा था।