भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्यमंत्री यशवंत सिन्हा ने एक बार फिर अपनी पार्टी की सरकार आड़े हाथों लिया है। यशवंत सिन्हा का कहना है कि हमारी सरकार गिरती अर्थव्यवस्था का दोष यूपीए को देना बंद करे। अब यूपीए की सरकार नहीं बल्कि हमारी सरकार है। और हमें काफी वक़्त मिला लेकिन हालात पर काबू तो छोड़ो और बिगड़ गए।
आपको बता दें कि यशवंत सिन्हा ने देश की अर्थव्यवस्था पर लिखे अपने लेख को लेकर घिरे भारतीय सफाई पेश की है। उन्होंने कहा कि बहुत दिनों से हम जानते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट आ रही थी। एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए सिन्हा ने कहा कि 2014 से पहले मैं बीजेपी का प्रवक्ता था, लेकिन जब आर्थिक मामलों की बात आई तो हमने यूपीए सरकार की कार्यप्रणाली को पॉलिसी पैरालिसिस कहा था।
सिन्हा ने कहा कि, हम इससे पहले की सरकार को दोष नहीं दे सकते क्योंकि हमें अर्थव्यवस्था को सुधारने का पूरा मौका मिला। मैं पहली जीएसटी का सपोर्टर था। सरकार जुलाई में इसे लागू करने की जल्दी में थी। लेकिन ये फेल हो गया है।
सिन्हा ने आगे कहा कि आज देश की जनता चाहती है कि रोजगार मिले, पर जिससे पूछो वो ही कहता है कि रोजगार है ही नहीं।
इंडियन एक्सप्रेस के लिए लिखे गए लेख में सिन्हा ने देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधा था। सिन्हा ने लिखा है कि उनका यह लेख देश के बड़े तबके की तरफ से है जिसमें बीजेपी के वे लोग भी शामिल हैं जो कुछ भी बोलने से डरते हैं। सिन्हा ने लिखा है कि लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे आने से पहले ही तय हो गया था कि अरुण जेटली ही वित्त मंत्री होंगे ऐसे में उनका लोकसभा चुनाव हार जाना भी आड़े नहीं आया था।
सिन्हा ने लिखा कि वह भी वित्त मंत्री रहे हैं और जानते हैं कि कितनी मेहनत करनी पड़ती है। सिन्हा ने आगे कहा कि ऐसे में जेटली के कंधे पर चार मंत्रालयों की जिम्मेदारी देना भी ठीक नहीं था।
सिन्हा ने कहा कि सबसे पहले जो टास्तक इस सरकार के पास था वो बैंकों की हालत को सुधार करने का था। लेकिन अभी तक हम लोगों को इसके लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
सिन्हा ने जीएसटी को खराब तरीके से लागू किया गया प्लान बताया। सिन्हा ने लिखा केंद्र सरकार कहती है कि गिरती अर्थव्यवस्था के लिए जीएसटी जिम्मेदार नहीं है, दरअसल वह ठीक कह रही है। यह सब तो उससे काफी पहले ही शुरू हो गया था।
यशवंत सिन्हा ने लेख के आखिर में यह भी लिखा कि पीएम नरेंद्र मोदी दावा करते रहे हैं कि उन्होंने गरीबी काफी करीब से देखी है और वित्त मंत्री बाकी सभी भारतीयों को भी उतने ही करीब से गरीबी दिखाने के लिए काम कर रहे हैं। सिन्हा ने लिखा कि अगर वह अब भी नहीं बोलेंगे तो यह उनकी राष्ट्र के प्रति जो ड्यूटी है उसके खिलाफ होगा।