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जेएनयू में बुरे प्रदर्शन के बाद अब डूसू में भी भगवा रंग पड़ा फीका, इस बार एनएसयूआई की बल्ले बल्ले

 

 

 

एवीबीपी का जेएनयू में बुरा प्रदर्शन करने अब डूसू में भी घटिया प्रदर्शन रहा जेएनयू में ज़ीरो तो यहाँ सचिव आउट संयुक्त सचिव पद से ही संतुष्ट होना पड़ा लेकिन एनएसयूआई का इस पर भी हंगामा रहा उन्होंने कहा कि शुरू से जब एनएसयूआई के उम्मीदवार आगे थे तब एवीबीपी के उम्मीदवार जीते कैसे घोषित हो गए।
आपको बता दें कि एनएसयूआई के चार साल सूखे के बाद डूसू चुनाव में बडे उलटफेर के साथ एनएसयूआई ने शीर्ष दो पदों पर कब्जा जमा लिया है। चार साल के लंबे इंतजार के बाद एनएसयूआई ने वापसी करते हुए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष पद जीत हासिल की है।
अध्यक्ष पद पर रॉकी तुषीड, उपाध्यक्ष पद पर कुणाल शहरावत ने जीत का परचम लहराया है। वहीं सचिव व संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी का कब्जा कायम है।

एबीवीपी प्रत्याशी महामेधा नागर से सचिव पद व संयुक्त सचिव पद उमा शंकर ने जीता है।

कितने मिले वोटः
रॉकी तुषीड(अध्यक्ष)- 16,299
कुणाल शहरावत(उपाध्यक्ष)- 16,431
महामेधा नागर(सचिव)- 17,156
उमा शंकर(संयुक्त सचिव)- 16,691

यह जीत एनएसयूआई और कांग्रेस दोनों के लिए ‌ही प्रेरणादायी है। हालांकि यह चार साल से डूसू में काबिज एबीवीपी के लिए बहुत बड़ा झटका है।

इस जीत के पीछे राहुल गांधी के उस कदम को भी महत्वपूर्ण माना जा सकता है ज‌िसमें उन्होंने कश्मीर के एक ऐसे युवा को एनएसयूआई का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया जिसका किसी राजनीतिक घराने से संबंध नहीं है।

हालांकि परिणाम आने के बाद एनएसयूआई ने संयुक्त सचिव पद के लिए पुर्नमतगणनी की मांग की है। पार्टी का कहना है कि पहले तो इस पद पर लगातार एनएसयूआई उम्मीदवार ही जीत रहा था लेकिन, अचानक एबीवीपी के इस सीट पर जीत की घोषणा कर दी।

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