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स्वच्छ भारत अभियान या मौत का अभियान … क्या ये शहीद नहीं जो देश को साफ रखने के लिए अपनी जान गवां रहे हैं

 

 

 

आज हम एक बहुत ही गंभीर विषय पर चर्चा करना चाहते हैं और साथ ही आपके ध्यान को इस ओर लगाना चाहते हैं।
सीमा पर सैनिक देश की रक्षा करते हुए शहीद हो जाते हैं, हम उन्हें शहीद का दर्जा देते हैं उनके सम्मान में हम बहुत कुछ करते हैं। क्या कभी आपने सोचा है जो आपकी गांदगी को साफ करते हुए मर जाते हैं क्या वो एक शहीद नहीं है। सरकार को ऐसे इंसानों के लिए कुछ करना चाहिए कि नहीं?
ये एक बहुत बड़ा सवाल है। ना जाने कितने सफाईकर्मी हमारी गंदगी साफ करते हुए अपनी जान गवां देते हैं। लेकिन ना ही सरकार उनके लिए सोचती है और ना ही हम। सरकारें आयीं और गयीं लेकिन इनके विषय पर हर कोई वैसा ही रहा।
ये कैसी उदासीनता। जरा सी गंदगी में आप हाथ डालना भी गंवारा नहीं समझते और वो पूरे के पूरे गंदगी में उतर जाते हैं। हर महीने कम से कम 500 सफाईकर्मी पूरे देश मे अपनी जान गंवा देते हैं।
क्या आप जानते हैं कि ऐसे सफाईकर्मियों की आय कितनी होती है.. तो आपका ध्यान इस और भी आकर्षित करना चाहेंगे। देश में सफाईकर्मी सरकारी होते हैं और कुछ गैरसरकारी। गैरसरकारी कर्मचारी संविदा पर भी रखे जाते हैं और ऐसे कर्मचारियों को 5000-6000 रुपये का मासिक वेतन मिलता है। वो बामुश्किल 10-12000 रुपये मासिक कमा पाते हैं।
ये वही इंसान हैं जो सरकार से तो अपेक्षित हैं हीं लेकिन सबसे ज्यादा हमारी छुआ-छूत के शिकार हैं अगर हमारे सामने भी आ जाएं तो हमारा दिन खराब हो जाता है। ये ऐसे इंसान हैं जो अभी तक सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे हैं और बाबजूद इसके हमारा मैला ढो रहे हैं।
हम आजके आधुनिक युग में जी रहे हैं लेकिन ये सफाईकर्मी आज भी उसी पुराने दौर के अपेक्षित जीवन को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत को साफ रखने में हमारा मैला ढोने में इनकी पीढियां गुजर गयीं लेकिन ना इनके हालात सुधरे ना किसी ने इनकी सुध ली।

 

अभी दिल्ली में भी एक ऐसा ही हादसा हुआ है जहां दो सगे भाइयों की मौत हो गयी वो सीवेज टैंक साफ कर रहे थे।

सीवेज टैंक साफ करने उतरे एक ही परिवार के तीन लोगों में से दो की मौत हो गई। दोनों भाई हैं, जबकि नाजुक हालत में पिता को हेडगवार अस्पताल में दाखिल कराया गया है। इन्हें बचाने के प्रयास में फायरमैन महिपाल भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनके सिर में 12 टांके आए हैं।

पुलिस और परिवार के लोगों ने बताया कि मृतकों के नाम मोहम्मद एजाज (28) और इनके छोटे भाई मोहम्मद जहांगीर (25) हैं। घायलों में इनके पिता 55 साल के मोहम्मद युसूफ और 45 साल के फायरमैन महिपाल शामिल हैं। शनिवार को यह घटना 1:30 से 2 बजे के बीच ईस्ट दिल्ली के आनंद विहार थाना इलाके के अग्रवाल फन सिटी मॉल के बेसमेंट में माइनस नंबर-2 में हुई। घायलों का डॉ हेडगवार अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। बताया जाता है कि यहां से फायरमैन महिपाल को जीटीबी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया है, जबकि मोहम्मद युसूफ का इसी अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। दोनों मृतकों के शवों को सब्जी मंडी मोचर्री में भेज दिया गया है, जहां उनका पोस्टमॉर्टम किया जाएगा।

 

पुलिस और दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने बताया कि पीड़ित परिवार नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के सीमापुरी बॉर्डर के पास विक्रम एन्क्लेव इलाके में रहते हैं। इस मामले में आनंद विहार पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 304 के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच की जा रही है कि इसमें कौन दोषी है। इस काम को कौन ठेकेदार करा रहा था।

इससे पहले घिटोरनी और लाजपतनगर में भी इसी तरह से टैंक साफ करने उतरने वालों में सात मजदूरों की मौत हो चुकी है। करीब डेढ़ महीने में यह तीसरा हादसा है। शाहदरा जिले की डीसीपी नूपूर प्रसाद का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है।

बताया गया कि मॉल के सीवेज टैंक को साफ करने के लिए मोहम्मद युसूफ को ठेका दिया गया था। सबसे पहले टैंक को साफ करने के लिए युसूफ का बड़ा बेटा एजाज टैंक में उतरा था। उसे बचाने के लिए उनका छोटा भाई जहांगीर टैंक में उतरा। दोनों बेहोश हो गए। इनके बाद उनके पिता युसूफ उतरे। वह भी टैंक के अंदर जाकर बेहोश हो गए। कुछ देर बाद किसी ने यह माजरा देखा तो मॉल के अन्य अधिकारियों को खबर दी गई।

फिर पुलिस और फायर ब्रिगेड को खबर दी गई। फायर ब्रिगेड का ऑफिस पास में ही होने की वजह से वे जल्दी यहां आ गए। इन तीनों को बचाने के लिए एक फायरमैन महिपाल नीचे उतरे। रस्सी के सहारे जब वह टैंक पर चढ़ रहे थे, तभी करीब 15 फुट नीचे गिर पड़े। उनके सिर में गंभीर चोट लगी। इसके बाद किसी तरह बेहोश पड़े चारों लोगों को टैंक से बाहर निकाला गया। फिर उन्हें हेडगवार अस्पताल में दाखिल कराया गया। बताया जाता है कि एजाज की टैंक में ही मौत हो चुकी थी जबकि जहांगीर की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हुई। अब युसूफ की हालत खतरे से बाहर बताई गई है, लेकिन वह अधिक बात करने की स्थिति में नहीं हैं।

ऐसा ही एक मामला दिल्ली के लाजपतनगर में हुआ जहाँ एक हफ़्ते पहले 4 सफाईकर्मियों की मौत हो गयी।
रविवार को लाजपतनगर में चार मजदूर जल बोर्ड के सीवर की सफाई के लिए उतरे थे, पर अंदर जाते ही उसमें फैली जहरीली गैस के चपेट में आ जाने से तीनों की मौत हो गई, वहीं एक की स्थिति गंभीर बनी हुई है। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस और दमकल की टीम ने बेहोश हो सीवर में पड़े चारों को एम्स ट्रामा सेंटर पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद तीन को मृत घोषित कर दिया, एक अन्य का इलाज चल रहा है।

 

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मनीष कुमार
ख़बर 24 एक्सप्रेस

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