केंद्र सरकार गुड्स एंड सर्विस टैक्स को 1 जुलाई से लागू करने के लिए कमर कस चुकी है। इसके मेगा लॉन्च के लिए सरकार पूरे देश में जश्न का माहौल बनाना चाहती है, जैसा कि 1947 में आजादी के वक्त था। इसके लिए सरकार संसद के सेंट्रल हॉल में 30 जून और 1 जुलाई की मध्यरात्रि एक भव्य कार्यक्रम करने की तैयारी की जा रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राष्ट्रपति इसको संसद के सेंट्रल हॉल में इसको लॉन्च किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस अवसर पर उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता मौजूद रहेंगे। सरकार इस आयोजन के जरिए ये बताना चाह रही है कि आजादी के बाद यह सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म है, जिससे लोगों की जिंदगी पर काफी सकरात्मक असर पड़ने वाला है।
सूत्रों के मुताबिक, पहले इस तरह का आयोजन विज्ञान भवन में करने का प्लान था, लेकिन सरकार को लगता है कि वो इसे संसद के सेंट्रल हॉल से लॉन्च करे जिसमें देश के हर राज्य के प्रमुख नेता भी शामिल हो सकेंगे। इसके साथ ही दुनिया में इसे संसद से लॉन्च करने पर एक अलग तरह का असर होगा।
वही दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम वीरप्पा मोइली ने संसद भवन में पार्टी के नियमित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि जीएसटी पर सरकार का ‘एक राष्ट्र-एक कर’ का दावा महज मिथक है क्योंकि करों की एक समान दरें होने की संभावना नहीं है।
उन्होंने भाजपा पर विपक्षी दल के रूप में जीएसटी का मार्ग बाधित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस महत्वपूर्ण कर सुधार में सात-आठ वर्ष की देरी के कारण 12 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और इस नुकसाई की भरपाई कौन करेगा? उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी जीएसटी की विरोधी नहीं है किन्तु वह चाहती है कि इसे लागू करते समय उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित किया जाए।
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