चमकीले फ़ल सब्जियां आकर्षक लग सकें, या ताज़ा दिख सकें इसकी वजह से विक्रेता तरह तरह के नुस्ख़े आजमाते हैं। फल सब्जियों की चमक धमक के कारण लोग खरीदने के लालच में आ जाते हैं। लेकिन जरा ठहरिये, क्या आप जानते हैं ऐसी चमक धमक वाले फल आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं इतना ही नहीं ये कई बार जानलेबा भी साबित हो सकते हैं।
जरुरी नहीं है चमकदार फल ताज़ा ही हो उनमें चमक पैदा करने के लिए मिलाये जाते हैं ख़तरनाक कैमिकल।
डॉ0 स्वतंत्र जैन ऐसे ही ख़तरनाक कैमिकल के बारे में बात कर रहे हैं जिनसे आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
• फलों की खतरनाक चमक – घातक चाइनीज़ केमिकल का कमाल –
गर्मी के इस मौसम में हर किसी की जुबान पर पके हुए मीठे आम का स्वाद आ जाता है.
मगर इस बार पके हुए आम को खरीदने से पहले आप दस बार ज़रूर सोचें, क्योकि आजकल चीन से आने वाले घातक केमिकल वाले पाउडर से सभी तरह के फलों को पकाया जा रहा है।
मांग बढ़ने के साथ ही कच्चे आमों को भी पकाने का सिलसिला शुरू होने लगता है।
आम अधिक बिक सके, इसलिए कच्चे आम को रासायनिक पावडर से पकाने का काम शुरू हो जाता है।
आम के व्यापारी मुनाफ़ा कमाने के चक्कर में अभी तक कार्बाइड कैमिकल का सहारा ले रहे थे, लेकिन जल्दी पकाने तथा ज्यादा मुनाफा के लिए उन्होंने चाइनीज पावडर का सहारा लेना शुरू कर दिया है।
फलों के व्यापारी चीन से आयातित खतरनाक पाउडर एथलीन राइपनर से आम और अन्य फलों को पका रहे हैं।
एथलीन राइपनर के पैकेट पर साफ चेतावनी अंकित होती है कि खाद्य पदार्थ के साथ पाउडर के संपर्क में आने पर इंसानी स्वास्थ्य पर जानलेवा असर डाल सकता है।
फल व्यवसाय से जुडे़ सूत्रों का कहना है कि एथलीन राइपनर पाउडर खुले बजार में नहीं मिलताहै. इसे चोरी छिपे चाइना से आयात किया जाता है।
आजकल फलों को पकाने के लिए तीन तरह के केमिकल-पाउडरों का प्रयोग किया जा रहा है –
1. एथलीन,
2. कार्बाइड
3. इथ्रेल-39
कुछ फल व्यवसायी आधी बाल्टी पानी में इथ्रेल-39 की कुछ बूँदें डालकर उसमे फलों को डुबाकर पका रहे हैं।
पानी के संपर्क में आते ही इन केमिकल से एथिलीन गैस रिलीज होती है, जिससे फल समय से पहले पक जाते हैं। जो कि मानव शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक होते हैं।
यह पाउडर टिश्यु पेपर के पाउच में पैक रहता है। इसे पानी में भिगोने के बाद सीधे आम की पेटियों(कार्टन) में रख दिया जाता है।
टिश्यु पेपरवाला इथलीन पाउडर से भरा पाउच गीला होने पर इथलीन गैस छोड़ने लगता है जो बंद पेटी में भर जाता है।
इस गैस से तेजी के साथ हरे आम अप्राकृतिक रूप से पकने लगता है।
इस तरह मात्र छह घंटों में ही पक्के हरे रंग का आम भी चमकदार पीला पका हुआ आम देने लगता है।
इन चमकदार फलों की ओर आकर्षित होकर भोली भाली जनता इसे खरीदती है और चाव के साथ खाती है।
लेकिन इथलीन के सीधे संपर्क में रहकर पके इन आमों का स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है।
डॉक्टरों के मुताबिक कार्बाइड और इथ्रेल से कैंसर, asthama, किडनी फेलियर, पेट में छाले तथा अन्य गंभीर लाइलाज रोग हो सकते हैं.
इस तरह से अप्राकृतिक रूप से पकाए जानेवाले फलों को पहचाना जा सकता है।
बहुत चमकदार आम के फल को खरीदने से बचें, क्योंकि यह इसी तरह के रसायनों से पकाया जाता है।
कुदरती ढंग से पके आम के छिलके चमकदार बिलकुल नहीं दिखाई देंगे।
इनमें झुर्रियां भी देखी जा सकती हैं। लेकिन इथलीन या कार्बाइड आदि के इस्तेमाल से पकाए जानेवाले फल चमकदार ही होते हैं।
सीधे फलों की पेटियों में इथलीन के पाउच नहीं डाले जा सकते हैं।
यह खानेवाले के स्वास्थ्य पर विपरीत परिणाम छोड़ता है।
फलों को पकाने में इन रसायनों के इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर असर की चिंता को देखते हुए सरकार अब एथिलीन के प्रयोग के नियम लागू करने की तैयारी कर रही है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के फल एवं बागवानी विभाग के प्रमुख डॉ. एके सिंह ने कहा कि एथिलीन के प्रयोग के बारे में मानक तैयार किए जा रहे हैं।
अन्न व औषधि प्रशासन विभाग के गाइडलाइन के अनुसार फलों को पकाने के लिए पहले किसी चेंबर (कमरे) को इथलीन गैस से भरना होता है।
जब इथलीन गैस चेंबर में एक सुरक्षित दवाब तक भर जाए, इसके बाद फलों को चेंबर में रखा जाना चाहिए।
यह सभी फलों को अप्राकृतिक रूप से पकाने की सुरक्षित विधि है।
फलों में इथलीन की परमिसिबल लिमिट अर्थात मर्यादा 100 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) के अनुपात की होती है।
लेकिन सीधे इथलीन के संपर्क में लाकर फलों को पकाने से यह लिमिट बढ़ने की संभावना बनी रहती है। जो सेहत के लिए बहुत खतरनाक हो जाती है।
• प्राकृतिक रूप से पके फल की पहचान –
1. कुदरती ढंग से पके आम के छिलके चमकदार बिलकुल नहीं दिखाई देंगे।
2. इनमें झुर्रियां भी देखी जा सकती हैं
3. फल का रंग एक समान होता है
4. टेस्ट में भी पूरा फल एक जैसा होता है
5. प्राकृतिक रूप से पके फल जल्दी खराब नहीं होते
• केमिकल से पकाये फल को कैसे पहचाने?
1. बहुत चमकदार आम के फल को खरीदने से बचें, क्योंकि यह इसी तरह के रसायनों से पकाया जाता है।
2. कार्बाइड से पकाये गये फलों का भार एक समान नहीं होता है.
3. इसमें पके फलों का रंग भी एक समान नहीं होता
4. फल का स्वाद किनारे पर कच्चा और बीच में मीठा होता है
5. केमिकल से पके हुए फल एक दो दिन में ही काले पड़ने लगते हैं.
मेरे घर पर आने वाले सभी मरीजों को मैं हमेशा समझाता हूँ कि आप फलों और सलाद को खाने से बचें क्योकि आजकल सभी सब्जियां गंदे और रासायनिक पदार्थों से भरे नालों के पानी से पैदा हो रही हैं.
अतः सलाद और अन्य सभी सब्जियां भी नुकसानदेह रहती हैं.
अतः किसी भी बीमारी के पूर्ण रूप से ख़त्म होने के लिए सिर्फ दवाई से ही काम नहीं चलता है.
उन्हें हमेशा स्वस्थ रहने के लिए मेरी बताई गयी दवाइयों के साथ ही नियमित रूप से अपने पूरे परिवार व बच्चों के साथ मेरे हर लेख में बताये अनुसार कायाकल्प कर अपने शरीर की ओवरहालिंग और रिचार्जिंग भी करते रहना चाहिए.
साथ ही आप तुरंत गेंहू, जौ, देसी चना और सोयाबीन को सम भाग मिलाकर पिसवा ले और उसकी रोटी सादे मसाले की रेशेदार सब्जी से खाएं.
आप इस आटे की रोटियां खाएं, पराठे खाएं या पूरियां खाएं, फिर भी आपका वजन नहीं बढेगा तथा आपको इस आटे से सभी पौष्टिक तत्व, मिनरल, विटामिन तथा प्रोटीन आदि प्राप्त हो जायेंगे. परिणामस्वरूप आप हर समय शक्ति तथा स्फूर्ति से भरपूर रहेंगे.
बारीक आटे व मैदे से बनी वस्तुएं, तली वस्तुएं एव गरिष्ठ भोजन का त्याग करे।
साथ ही आप सभी से मैं यह भी निवेदन करता हूँ कि आप भी सिर्फ दस मिनिट का समय अपने स्वास्थ्य को दें और पूरे परिवार व बच्चों के साथ अपने शरीर की नियमित रूप से मेरे लेखों में बताये अनुसार एक्सरसाइज भी करें तथा अन्य क्रियायें भी हमेशा करते रहें, ताकि आप और आपका परिवार हमेशा कैंसर, डायबटीज, ह्रदय रोग, लिवर रोग, किडनी फेल्यर, टी.बी., फेफड़े के रोग, डिप्रेशन, चर्म रोग आदि गंभीर बीमारियों से बचा रहेगा.
फिर आप सदा अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जीते रहेंगे.
किसी भी तरह की काउंसेलिंग, परेशानी, लाचारी, बीमारी, पीड़ा या जिज्ञासा के उचित निवारण के लिए