भारत के सर्वश्रेठ शहरों की बात की जाए तो नोएडा ने अपनी एक खास पहचान बनाई है। यहां आने के बाद अब लोग इसे दिल्ली के साथ देश के सबसे बेहतरीन शहरों में शुमार करते हैं। यहां ट्रांसपोर्ट, एजुकेशन, मेडिकल, सड़कें, बिजली, पार्क और लाइफस्टाइल के वे सभी संसाधन मौजूद हैं, जो किसी भी शहर के लिए जरूरी होते हैं। यमुना और हिंडन नदी के बीच 20 हजार 316 हेक्टेयर जमीन पर बसा नोएडा का अस्तित्व 17 अप्रैल 1976 को तब आया, जब यूपी गवर्नमेंट ने युवा नेता स्व. संजय गांधी के सपनों को साकार करने के लिए ओखला की तर्ज पर यमुना के दूसरे किनारे पर न्यू ओखला औद्योगिक एरिया का नोटिफिकेशन किया।
ऊँची ऊँची बिल्डिंग, फ्लैट्स, विला, तेजी से बढ़ता उद्योग नोएडा की खास पहचान है, लेकिन साथ ही इसकी एक पहचान और भी है वो है नोएडा की अथॉरिटी। इस अथॉरिटी ने नोएडा को भले एक ख़ास पहचान दी हो लेकिन यहाँ हुए अनगिनत घोटाले भी इसी की पहचान हैं।
अगर नोएडा अथॉरिटी को घोटालों की अथॉरिटी कहा जाए तो ज़रा भी गलत नहीं होगा।
सोना उगलने वाली नोयडा की जमीन पर हर किसी की आँख रहती है सरकार से सांठ गाँठ करके जो खेल नोएडा अथॉरिटी में खेला जाता है वो किसी से नहीं छिपा है। यहाँ तक कि उत्तरप्रदेश के मुखिया की निगाह भी नोएडा की जमीन पर खास बनी रहती है।
मायावती से लेकर मायावती के भाई आनंद, शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव इत्यादि का नाम जमकर उछला है।
अपने चहेतों और रिश्तेदारों को आवंटन, हिस्सेदारी के साथ आवंटन इस अथॉरिटी की खास पहचान रही है, नोएडा, ग्रेटर नोएडा में अनगिनत जमीन ऐसी है जो बड़े रसूखदार नेताओं और उनके चहेते बिज़नेसमेन रिश्तेदारों के पास है।
ऐसा ही गलत आवंटन का एक मामला हमारे सामने भी आया है जोकि नोएडा के सेक्टर 62 का है। A-40, सेक्टर 62 नोएडा के इस प्लॉट का आवंटन आईटी प्लॉट के लिए हुआ था लेकिन एक कंपनी को बिना आवंटन के ही कमर्शियल ऑफिस बनाने के लिए दे दिया गया। यह मामला हाई कोर्ट में भी गया लेकिन वहां भी इसकी कुछ सुनवाई नहीं हुई, अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है लेकिन बाबजूद वहां ऊँची बिल्डिंग बनाकर ऊँचे दामों में कमर्शियल ऑफिस बेचे जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि ये अपने में एक इकलौता मामला है, उत्तरप्रदेश और नोएडा अथॉरिटी की इस कंपनी पर विशेष मेहरबानी रही है।
सूत्रों की मानें तो नोएडा अथॉरिटी ने जमीन आवंटन के सभी नॉर्म्स को ताक में रखकर महज 20 दिन पुरानी कंपनी को दे दिया। और इस कंपनी ने सस्ते दामों पर सभी आईटी प्लॉट्स को खरीदकर कमर्शियल अप्रूवल भी ले लिया और ऊँची-ऊँची इमारतों में तब्दील कर लगभग सभी ऑफिसेस को बेच भी दिया।
साल 2007 से पहले नोएडा जमीन आवंटन में 30 फीसदी रकम जमा कराने के बाद आवंटन होता था लेकिन अपने चेहते बिल्डरों के लिए नियम बदल दिया गया और 30 फीसदी से घटाकर इसको महज़ 10 फीसदी कर दिया गया। यशपाल त्यागी 2007 में नोएडा अथॉरिटी में ओएसडी बनकर आए थे उन्होंने इस स्कीम में बदलाव किया और इसके बाद 10 फीसदी रकम जमा करने के बाद अलॉटमेंट लेटर जारी करना शुरू कर दिया और साथ ही यह सुविधा भी दी गई थी कि दस फीसदी रकम जमा कराने के बाद न सिर्फ लीज डीड कराई जा सकती है, बल्कि बिल्डर इन प्लॉटों को छोटे-छोटे टुकड़ों में भी बेच सकते थे। आज नोएडा व ग्रेटर नोएडा में बेनामी कंपनियां बनाकर कुकुरमुत्ते की तरह उगे बिल्डर सिर्फ यशपाल त्यागी की इसी पॉलिसी की देन हैं। इसकी वजह से तीनों अथॉरिटी के तीस हजार करोड़ रुपये से अधिक फंस गए हैं। हालत यह हो गई है कि कई बिल्डर पिछले पांच से सात साल में अपने प्लॉट पर एक ईंट भी नहीं लगा पाए हैं। अथॉरिटी ने छह से लेकर 25 साल तक कंप्लीशन तक के प्रोजेक्टों को थोक में जमीन अलॉट की।
वही दूसरी ओर नोएडा के फार्म हाउस अलॉट के मामले में अनगिनत घोटाले सामने आ रहे हैं। अधिकारियों और कंपनियों की मिलीभगत से जमीन की जमकर बंदरबांट की गई। कहीं पूरी तरह से खेती की जमीन को फार्महाउस का रूप दे दिया गया जबकि वहां खेती नहीं बड़े बड़े आलीशान बंगले बन गए, तो कहीं कंपनी के रजिस्ट्रेशन से पहले ही उसे फार्म हाउस को दे दिया गया, तो कहीं एक ही ग्रुप को कई प्लाट दे दिए गए। यही नहीं नोएडा अथॉरिटी की रिपोर्ट की मानें तो लगभग हर फार्म हाउस का आवंटन गलत तरीके से किया गया। फिलहाल हजारों करोड़ के इस घोटाले की जांच यूपी के लोकायुक्त कर रहे हैं।
नोएडा अथॉरिटी ने फार्म हाउस की एक स्कीम निकाली। आरोप है कि इस स्कीम के जरिए प्राइवेट कंपनियों और लोगों को जमकर फायदा पहुंचाया गया। आडिट रिपोर्ट के जरिए खुलासा हुआ कि सरकारी खजाने को कई हजार करोड़ का नुकसान हुआ है।
जमीन की इस बंदरबांट में ना जाने कितने लोगों नुकसान हुआ वहीँ दूसरी ओर सरकारी खजाने में भी जमकर सेंधमारी हुई, इस खुली लूट के खुलासे तो बहुत हुए लेकिन पैसे और रसूक के खेल में सब दब गए।
जब अब उत्तरप्रदेश के नए सीएम ने अपना पद संभाला सबसे पहले नोएडा अथॉरिटी की इस बंदरबांट को ही देखा और जांच के आदेश दे दिए, मुख्यमंत्री योगी की इस पहल से उन निवेशकों के मन में आस जगा दी है जिनकी जमीन को किसी और को दे दिया गया या किसी और वजह से अलॉट होते-होते रह गयी।
ख़बर 24 एक्सप्रेस भी इस मुहिम में कूद गया है और जल्द ही नए खुलासे के साथ फिर से आपके सामने होंगे।
मनीष कुमार
ख़बर 24 एक्सप्रेस