
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की पूरी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हत्या हो जाती है। मतलब हमलावर इतनी भीड़ और सुरक्षा के बीच जापान के पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या करने में कामयाब हो जाता है। न एंबुलेंस ही समय पर आ पाती आती है और न ही उन्हें मौके पर इलाज दिया जाता है।
तो ऐसे में सवाल उठने भी लाजमी हैं। दरअसल शिंजो भले इस वक्त जापान सरकार में न हो लेकिन वहां की वर्तमान सरकार उनके फैसलों के अनुरूप ही कार्य कर रही है। शिंजो जो कह दें जापान में वही होता था।
बता दें कि जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की आज गोली मारकर हत्या कर दी गई। ये घटना उस वक्त हुई जब वह एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे। हमलावर ने पीछे से उन्हें गोली मारी। घटना के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
मौके से घटना को अंजाम देने वाले एक संदिग्ध आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी जापान का ही रहने वाला है। हालांकि, जिस तरह से ये पूरा घटनाक्रम हुआ है, उसको लेकर अब बड़ी विदेशी साजिश की आशंका जताई जाने लगी है। आरोप लग रहा है कि जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे पर हमले की साजिश चीन ने रची है। हालांकि, अब तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है और न ही किसी भी तरह का कोई आधिकारिक बयान सामने आया है।
जिस शख्स ने शिंजो आबे पर हमला किया, उसकी उम्र 41 साल है। उसका नाम तत्सुका यामागामी है। वह जापान की नेवी का ऑफिसर रहा है। हमलावर ने पूर्व पीएम को बहुत नजदीक से गोली मारी है। द जापान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, शिंजो आबे को गोली मारने वाला संदिग्ध आरोपी नारा शहर का ही रहने वाला है। वह जापान के नेवी का पूर्व अफसर रहा है। जापानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी ने पूछताछ में हत्या का प्रयास करने की बात कबूली है। उसने बताया है कि वह आबे से ‘असंतुष्ट’ था। वह पत्रकार बनकर कार्यक्रम स्थल तक पहुंचा था। वह साथ में हैंडगन लेकर गया था। हमलावर ने बंदूक को कैमरे की तरह रखा हुआ था।
शिंजो आबे जापान के सबसे ताकतवर नेता थे। भले ही वह अब प्रधानमंत्री नहीं हैं, लेकिन कहा जाता है कि सरकार में उन्हीं की ज्यादा चलती थी। ऐसे में कड़ी सुरक्षा के बावजूद कैसे हथियार लेकर हमलावर पूर्व पीएम के एकदम नजदीक पहुंच गया? क्या उसे स्थानीय स्तर पर किसी अफसर ने भी मदद की? क्यों नहीं उसकी तलाशी ली गई और अगर ली गई तो वह कैसे बच निकला? क्योंकि बिना किसी मदद के वह इतनी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे सकता है और अफसर तभी मदद करेंगे जब उन्हें ऊपर से मदद मिली होगी।
शिंजो आबे पूर्व प्रधानमंत्री रहे हैं और आज भी जापान की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष हैं। नियम के अनुसार जहां भी वह जाएंगे उनके साथ पूरा काफिला जाता होगा। काफिले में एंबुलेंस भी होता है। ऐसे में शिंजो के काफिले में कोई एंबुलेंस क्यों नहीं थी और घटना के बाद तुरंत उन्हें अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया? 15 मिनट तक एंबुलेंस का इंतजार क्यों किया गया? मामला पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़ा होने के बाद भी एंबुलेंस के आने में इतनी देर क्यों हुई?
हमला जापान के पूर्व प्रधानमंत्री पर हुआ था लेकिन सबसे पहले चीन में खबर फ्लैश हुई। यहां तक की जापान के कुछ मीडिया ने चीनी स्टेट मीडिया का हवाला देकर अपने यहां खबर चलाई। आखिर ये कैसे हो सकता है कि स्थानीय मीडिया से पहले चीनी मीडिया पर ये खबर चल जाए?
जिस बंदूक से आबे पर हमला किया गया है, वो एक होममेड हथियार है। इसे डक्ट टेप और पाइप्स को मिलाकर तैयार किया गया था। देखने में ये बिल्कुल कैमरे के जैसी दिखती है और इसे करीब से देखने पर दो पाइप साफ नजर आ रहे हैं। ऐसे में सवाल ये भी है कि आखिर ये हथियार बनाने में आरोपी की मदद किसने की?
शिंजो आबे पर हमले के बाद चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख प्रकाशित किया है। इसमें कथित विशेषज्ञों के हवाले से दावा किया कि इस हमले से निश्चित रूप से जापान के दक्षिणपंथी भड़क जाएंगे। साथ ही ज्यादा सक्रिय होकर जंग कर सकते हैं। यही नहीं जापान में आर्थिक संकट और सामाजिक मतभेद पैदा हो सकता है। आबे के उत्तराधिकारी इस घटना का इस्तेमाल अपने मुक्त और स्वतंत्र हिंद- प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने, क्वॉड में सक्रिय भागीदारी और पूर्वी एशिया में नाटो के प्रवेश को बढ़ावा देने के लिए कर सकते हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा, ‘इससे जापान के दक्षिण पंथी और ज्यादा सक्रिय हो सकते हैं और युद्ध को फिर से शुरू करा सकते हैं। वह भी आर्थिक संकट और सामाजिक मतभेद के बीच। अबे पर यह हमला जापान के शांतिवादी संविधान में बदलाव को बढ़ावा दे सकता है। इससे विदेश नीति पर काफी प्रभाव पड़ेगा जैसे चीन और अमेरिका के साथ संबंध।’
शिंजो आबे ही ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने खुलकर चीन की मुखालफत की थी। वह चीन की गलत नीतियों के खिलाफ हमेशा खड़े रहे। यही कारण है कि चीन के लोग घटना पर खुशी जता रहे हैं। वो हमलावर को हीरो करार दे रहे हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर चीन पूर्व पीएम शिंजो आबे से इतना चिढ़ता क्यों था? यही सवाल हमने रिटायर्ड कर्नल मनजीत से पूछा। उन्होंने कहा, ‘जापान को दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में शामिल कराने में शिंजो आबे की सबसे बड़ी भूमिका रही है। उनकी चीन से कभी नहीं पटी। यहां तक कि साल 2020 में जब पूरी दुनिया कोविड-19 से जूझ रही थी तो आबे दुनिया के पहले नेता थे, जिन्होंने इसके लिए साफ तौर पर चीन को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि यह बात सच है कि कोरोना वायरस अक्टूबर 2019 में चीन के वुहान से निकला और अब पूरी दुनिया में फैल गया है।’
कर्नल मनजीत आगे कहते हैं, ‘ताइवान के मसले पर भी शिंजो आबे हमेशा चीन का विरोध करते थे। वह ताइवान की मदद भी करते थे। आबे ने कहा था कि चीन को अपने पड़ोसियों को डराना बंद करना पड़ेगा और जमीन हथियाने की अपनी नीति को छोड़ना पड़ेगा। यहां तक की उन्होंने यह भी कहा था कि अगर जमीन पर कब्जा करने की नीति के तहत चीन कोई मिलिट्री एक्शन लेता है तो यह उसके लिए आत्मघाती साबित होगा।’