
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का कहना है कि देश ने उन्हें जूते मारे हैं। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि देश ने उन्हें सिखाने के लिए उन्हें जोरों से मारा और हिंसा तक की। राहुल ने यह भी कहा कि भारत उनके लिए एक प्रेमिका जैसी है जिसे वो एक प्रेमी की तरह प्यार करते हैं और उसे समझने की कोशिश करते हैं। राहुल ने एक पुस्तक विमोचन समारोह में दावा किया कि उन्हें आज भई सत्ता से दूर-दूर तक कोई मोह नहीं है। केरल के वायनाड से सांसद ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ लोग सुबह से लेकर रात यही सोचते रहते हैं कि सत्ता कैसे मिलेगी, लेकिन सत्ता के बीच में पैदा होने के बावजूद उन्हें इसमें दिलचस्पी नहीं है।
राहुल गांधी ने द दलित ट्रूथ: द बैटल्स फॉर रियलाइजिंग आंबेडकर्स विजन नामक पुस्तक के विमोचन समारोह में कहा, ‘देश ने सिर्फ मुझे प्यार नहीं दिया, देश ने मुझे जूते भी मारे। नहीं, आप समझ नहीं सकते। कितने जोरों से, कितनी हिंसा से इस देश ने मुझे मारा है, पीटा है। तो मैंने सोचा कि हो क्यों रहा है और जवाब मिला- देश मुझे सिखाना चाहता है। देश मुझे कह रहा है कि तुम सीखो, तुम समझो। दर्द हो तो कुछ नहीं, सीखो और समझो।’
राहुल गांधी ने कहा,’ “मैं अपने देश को उसी तरह समझने की कोशिश करता हूं”, जैसे एक प्रेमी जिससे प्रेम करता है, उसे समझना चाहता है।’ उन्होंने अपनी चुनावी सफलताओं और विफलताओं की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘मेरे देश ने जो मुझे प्यार दिया है, वो मेरे ऊपर कर्ज है। इसलिए मैं सोचता रहता हूं कि इस कर्ज को कैसे उतारूं। देश ने मुझे सबक भी सिखाया है… देश मुझे कह रहा है कि तुम सीखो और समझो।’ उन्होंने कहा, ‘मेरे देश ने बिना कोई कारण मुझे इतना प्यार दिया। यह देश का कर्ज है मेरे ऊपर इसलिए मैं देश को लगातार समझने की कोशिश में जुटा हूं। हालांकि देश ने मुझे बहुत जूते भी मारे, मुझे दर्द भी हुआ पर मैं जानता हूं विदेश मुझे सिखाना चाहता है इसलिए मैं देश को समझने की कोशिश करता हूं।’
राहुल ने अपने चिरपरिचत अंदाज में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा (BJP) पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आरएसएस और बीजेपी पर देश की संस्थाओं को नियंत्रित करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘संविधान हिंदुस्तान का हथियार है। मगर संस्थाओं के बिना संविधान का कोई मतलब नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘हम यहां संविधान लिए घूम रहे हैं, आप और हम कह रहे हैं कि संविधान की रक्षा करनी है, लेकिन संविधान की रक्षा संस्थाओं के जरिए की जाती है। आज सभी संस्थाएं आरएसएस के हाथ में हैं।’
उन्होंने दावा किया कि संविधान पर यह आक्रमण उस समय शुरू हुआ था जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सीने पर तीन गोलियां मारी गईं थीं। राहुल गांधी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी और कांग्रेस नेता के. राजू की पुस्तक ‘द दलित ट्रूथ: द बैटल्स फॉर रियलाइजिंग आंबेडकर्स विजन’ के विमोचन के मौके पर हालिया उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के संदर्भ में यह टिप्पणी की। उन्होंने दलितों के साथ भेदभाव का उल्लेख करते हुए कहा, ‘दलित और उनके साथ होने वाले व्यवहार से सबंधित विषय मेरे दिल से जुड़ा हुआ है। यह उस वक्त से है जब मैं राजनीति में नहीं था।’
राहुल गांधी ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) चीफ मायावती को भी दलितों के हितों की अनदेखी करना का आरोप मढ़ा। उन्होंने कहा कि मायवती को उत्तर प्रदेश में गठबंधन करने और मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने बात तक नहीं की। राहुल ने यह दावा भी किया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और ‘पेगासस’ के जरिए बनाए जा रहे दबाव के चलते मायावती दलितों की आवाज के लिए नहीं लड़ रहीं और भाजपा को खुला रास्ता दे दिया।कांग्रेस नेता ने मायावती पर निशाना साधते हुए कहा, ‘कांशीराम जी ने खून-पसीना देकर दलितों की आवाज को जगाया। हमें उससे नुकसान हुआ, वह अलग बात है। आज मायावती जी कहती हैं उस आवाज के लिए नहीं लड़ूंगी। खुला रास्ता दे दिया। इसकी वजह सीबीआई, ईडी और पेगासस है।’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘अगर मैंने एक रुपये भी लिया होता तो यहां भाषण नहीं दे पाता।’ ध्यान रहे कि हाल में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की। कांग्रेस सिर्फ दो और बसपा एक सीट ही हासिल कर सकी।
ब्यूरो रिपोर्ट : पूनम सिंह, नई दिल्ली
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