
सयाबु ताडाम मामूली पढ़ा लिखा इंसान था उसे ज्यादा पढ़ना नहीं आता था। इसी का फायदा उठाकर का काकोडे ने बड़े ही चालाकी से सयाम से गिरवी नामा पेपर की जगह बिक्री नामा पेपर पर उसके हस्ताक्षर ले लिए।
इसकी भनक सयाबु और उसके परिवार को नहीं लगने दी। जब पैसे का इंतजाम होने पर सायबु ताडाम ने ककोड़े के घर ब्याज सहित रकम वापस करने पहुंचा तो काकोडे ने बाइक देने से साफ इनकार कर दिया और कहा की यह बाइक मुझे बेची दी है। अब बाइक नहीं मिलेगी।
सायबु ताडाम के लाख कहने पर भी काकोडे नहीं माना और सायबु ताडाम के साथ बदसलूकी करते हुए घर से बाहर धकेल दिया साथ ही उसे जान से मारने की धमकी भी दी।
उसके बाद सायबु निकट की पुलिस चौकी में अपनी गुहार लेकर नंदनवाड़ी पहुंच गया और वहां आवेदन चौकी प्रभारी रमेश नारे को दिया सायबु को चौकी SI नरेंद्र चौधरी ने चौकी के 8 दिन तक चक्कर कटवाए लेकिन पुलिस की तरफ से कोई भी एक्शन नहीं लिया गया।
ताडाम ने काकोड़े के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराना चाहा तो दरोगा साहब ने साफ इंकार कर दिया और उल्टा सायबु ताडाम को अपशब्द कहे, और गाली देकर चौकी से भगा दिया। गरीब बेसहारा सायबु ताडाम अब अपना दर्द लेकर खबर 24 एक्सप्रेस के जिला चीफ ब्यूरो धीरज सिंह चंदेल के पास गया और अपनी आपबीती सुनाई। धीरज सिंह चंदेल ने सायबु को मदद का आश्वासन देते हुए एसपी के नाम पत्र लिखवाया। साथ ही सायबु की आवाज पुलिस और मध्यप्रदेश सरकार तक पहुंचाई। अब पुलिस ने मदद का आश्वासन तो जरूर दिया है लेकिन गरीब आदिवासी की बाइक उसे कब मिलेगी, कब उसे न्याय मिलेगा यह तो छिंदवाड़ा जिले की पुलिस ही बेहतर बता सकती है।
सौसर से धीरज सिंह चंदेल एवं तरुण राव चंदेल की रिपोर्ट
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