इस दिवस अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से जनसंदेश देते स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी कहते है कि
31 मई को दुनिया भर में हर साल विश्व तंबाकू ओर धूम्रपान निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन दिवस के मनाने का उद्धेश्य तंबाकू सेवन के व्यापक प्रसार और नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों की ओर लोगो का ध्यान आकर्षित करना है, जो इस समय वर्तमान में विश्व भर में हर साल 70 लाख से अधिक मौतों का कारण बनता है, जिनमें से 890,000 लोग यानी बिन-धूम्रपान करने वालों का बुरा परिणाम दूसरे नंबर पर हैं।पहले 7 अप्रैल, 1988 से इस दिवस को मनाने का फ़ैसला किया गया।पर इसे रद्द करके फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के सदस्य देशों और राज्यों ने 1987 में विश्व तंबाकू निषेध दिवस बनाया। पिछले इक्कीस वर्षों में, दुनिया भर में सरकारों, सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों, धूम्रपान करने वालों, उत्पादकों से उत्साह और प्रतिरोध दोनों मिले हैं।
इसी संदर्भ में स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी ने अपनी ज्ञान कविता में तंबाखू के धूम्रपान के जन समाज के स्वास्थ विनाश पर इस प्रकार से कहा है की
31 मई धूम्रपान निषेध दिवस पर कविता,,,
बुला रहे मौत क्यों यारों
पी सिगरेट धुंए को छोड़।
खुद तो मरेंगें संग ओर भी मारे
दे धुंए घर बाहर हर मोड़।।
सिगरेट बीड़ी या हो तंबाखू
चाहे हो महंगा सिगार।
कोई कम कोई ज्यादा है
मौत शिकारी तुम्हे बना शिकार।।
बच्चे नजदीक बैठ नहीं सकते
न दे सकते उन्हें पुचकार।
इस नशे गुलाम बन कर वंचित
एक संगत से छूटे सुख चार।।
पीना है तो पीयों दूध
ओर खाओ मौसमी फल।
खुद संग परिजन सेहत भी
स्वस्थ जीवन बीते सफल।।
तनाव घटे न तंबाखू पीकर
ना होती समस्या हल।
धैर्य परिश्रम संग अच्छी सेहत
ओर अच्छी संगत मिलता कल।।
यो आज ही छोड़ो तंबाखू का संग
ओर अपनाओ रेहि क्रिया योग।
दुख बांटों परिजन की सुख संगत
धूम्रपान निषेध कर वियोग।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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