इस दिवस पर अपनी ज्ञान कविता से जनसंदेश देते स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी इस प्रकार से कहते है कि,
विश्व भर में छोटे बड़े राष्टीय अंतर्राष्टीय स्तर के संग्रहालयों की विशेषताऐं और उनके बनाये जाने के महत्व को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 1983 में 18 मई को ‘अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस’ के रूप में विश्व भर में मनाने का निर्णय किया। इसका उद्धेश्य था कि आम नागरिक भी जाने की संग्रहालयों के प्रति उसकी जागरुकता क्या है और उसे वो ज्ञान पाकर ओरो तक फैलाये और उन्हें संग्रहालयों में जाकर अपने अनदेखे विचित्र इतिहास को जानने के प्रति बड़े स्तर पर जागरुक बनाना है।
इस दिवस का उद्धेश्य:-
यह अन्तर्राष्टीय संग्रहालय दिवस विश्वभर में संग्रहालयों की महत्त्वपूर्ण भूमिका कितनी है,इस के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रतिवर्ष 18 मई को मनाया जाता है। ‘अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय परिषद’ के अनुसार, “इन संग्रहालय में ऐसी अनेक अद्धभुत प्राचीन अनसुलझी रहस्यमयी वस्तुएं सुरक्षित रखी जाती हैं, जो अनादिकाल के मानव सभ्यता की स्मरण दिलाती हैं। संग्रहालयों में रखी गई विचित्र अद्धभुत अधूरी पूरी वस्तुएं अनन्त प्रकृति और सांस्कृतिक धरोहरों को प्रदर्शित करती हैं।” इस दिवस का उद्धेश्य विकासशील समाज में संग्रहालयों की भूमिका के प्रति जन-जागरूकता को बढ़ाना है और यह कार्यक्रम विश्व में बहुत समय से मनाया जा रहा है। ‘अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय परिषद’ 1992 से प्रत्येक वर्ष एक विषय का चयन करता है एवं जनसामान्य को संग्रहालय विशेषज्ञों से मिलाने एवं संग्रहालय की चुनौतियों से ज्ञान कराने के लिए स्रोत सामग्री विकसित करता है। वर्ष 2012 का विषय बदलती दुनिया में संग्रहालय नई चुनौतियाँ ओर नई प्रेरणाएँ रहा।
यो इस दिवस पर अपनी ज्ञान कविता से जनसंदेश देते स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी इस प्रकार से कहते है कि,
पढ़ो विज्ञान संस्कृति ज्ञान
ओर जानो देश विदेश में क्या।
नया पुराना ओर बदलता जो हो
सब जानों एक ऐसी जगहां ध्या।।
यही जगहां नाम संग्रहालय कहते
जहां सभी अनदेखी वस्तु होती है।
कब कैसे बनी ये वहां लिखा सब
उस स्थान व्यवस्थित संग्रहित होती है।।
मिट्टी के दुर्लभ टूटे बर्तन
ओर अद्धभुत कलाकृति तस्वीर।
धार बेधार तलवार और भालें
पत्थरों पर अंकित धुंधल वीर।।
ऐसी वस्तु संजोकर रखते
जो दूर ग्रहों से आई धरती।
ऐसे जीव जो लुप्त हो गए
उनकी यहां सुरक्षित रखते अस्थि।।
कितना कठिन होता इन्हें संजोना
कितना खर्चा होता हर वस्तु।
सदा बनी रहें ये यथावत सुरक्षित
रासायनिक लेप चढ़ा रखते हर वस्तु।।
अनमोल धरोहर रक्षण रखना
ओर अंतरराष्टीय बनाकर स्तर।
संग्रहित की वस्तु पदार्थ सामग्री
प्रदर्शित करना प्रदर्शनी स्तर।।
कीमती रत्न अनदेखी धातु
विचित्र खोपड़ी मनुष्य प्राचीन।
डायनासोर समुंद्री जीव अंजाने
मिट्टी तरल पदार्थ मिले खोजबीन।।
इन संग्रहित वस्तु शोध होते
कराते शोधकर्ता उपलब्ध।
ताकि पता चले इतिहास इनका
कब कैसे प्रश्न जन करते स्तब्ध।।
यो जानो संग्रहालयों की महिमा
ओर देखने उन्हें अवश्य जाओ।
मनाओ दिवस वहां जाकर सब
ओर ज्ञान परस्पर एक दूजे समझाओ।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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