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International Monkey Day इंटरनेशनल मंकी डे 14 दिसम्बर 2020 ओर इस दिवस पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी बता रहें है कि,

14 दिसंबर को हर साल इंटरनेशनल मंकी डे International Monkey Day मनाया जाता है और इस दिवस के मनाने का मुख्य प्रयोजन के अंतर्गत इस दिन को बंदरों की अनेक लुप्त होती प्रजातियों के हित ओर सुरक्षा सहित उनकी बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिये भी जनसाधारण को समर्पित भी करना है। किन्तु इस दिवस को यूएन (United NAtion) द्वारा आधिकारिक तौर पर अभी तक घोषित नहीं किया गया है।इसके बाद भी संसार के बहुत से देशों में ये मंकी दिवस यानी बंदर दिवस को परस्पर कार्ड व संदेश भेजकर तथा चिड़ियाघरों में जाकर मनाया जाता है।
इस बंदर दिवस की शुरुवात केसी सॉरो और एरिक मिलीकिन (Sorrow & Eric Milikin) ने की थी।इन दोनों ने ही लोगों के मन में जानवरों के प्रति प्यार जगाने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय बंदर दिवस की शुरुआत की थी। सॉरो और एरिक दुनिया के लोगों को इस इस प्रजाति के प्रति अपना हिंसक रवैया बदलकर उनके प्रति ज्ञान व्रद्धि के साथ इनकी सुरक्षा हेतु जागरूक करना चाहते थे। इस लक्ष्य को लेकर उन्होंने वर्ष 2000 में अंतर्राष्ट्रीय बंदर दिवस मना कर इस दिवस की शुरुआत की थी।
इसी सबको मध्यनजर रखते हुए बंदर दिवस यानी मंकी डे 14 दिसंबर पर ज्ञान कविता इस प्रकार से है कि,

इधर कूद उधर फांद
लुढ़का फैला उलीच गांध।
बिगाड़ बगीचा पेड़ तोड़ कर
बंदर आये मचे चींखें नांद।।
एक पैर से कान खुजलाते
बीनते जूं एक दूजे तन।
झांक घर पीत आंख भांप लें
घुड़की देते घुड़क हर जन।।
लड़ते झगते खों खों करते
भागते चढ़ दीवालें ऊंच।
लगाकर लंबी छलांग दूर तक
नोंचें खींचें एक दूजे पूंच।।
आखिर क्यूं है ये उधमी इतने
वंशानुगत या परिस्थिति वश।
घर इनके पेड़ रोज मिट रहे
यों खाने को भटकें इस जसतस।।
अनेक प्रान्त ओर देश में
खा जाते है इन बंदर मार।
लुप्त कर दी प्रजाति इनकी
फिर लौट सकें न वे वानर डार।।
इन्हें बचाओ नियम कर पालन
इन्हें दें घर मिटा न जंगल।
जागरूक बनो बिन भावुक होकर
नर वानर बीच मचे न दंगल।।
आबादी इनकी बढ़ रही रोज
बढ़ती जा रही बंदरों की फ़ौज।
उपाय नाम ओपचारिकता रह गयी
यहां पकड़ छोड़ दें कहीं और खोज।।
फसल रात दिन बरबाद कर रहे
घर में घुस कर खाना छीनें।
अचानक पीछे से ये झपटे
डर गिर मरते लोग छत्त ओर झीनें।।
बंदर वानर मर्कट कपीश
हनुमान नाम बंदर हैं धीश।
गुड़ चने खिला सम्मान दें बंदर
बढा रहे आफत दिन दर निश।।
सरकार इस विषय नहीं पहल है
न अंकुश बंदर जन दहल है।
नसबंदी सफल न बंदर आबादी
इन्हें मारना जीव संरक्षण नियम मजल है।।
आओ आज बंदर दिवस मनाये
संकल्प करें न जोड़े व्यर्थ धर्म।
पालें नहीं भोजन दे इनको
दें बस जीव सहायता आवश्यक कर्म।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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