Breaking News
BigRoz Big Roz
Home / Breaking News / क्या है जन्मकुंडली में ग्रहों का प्रभाव? हमारे जीवन पर क्या है युरेनस का प्रभाव? बता रहे हैं सद्गुरु स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज

क्या है जन्मकुंडली में ग्रहों का प्रभाव? हमारे जीवन पर क्या है युरेनस का प्रभाव? बता रहे हैं सद्गुरु स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज

जब भी आपकी जन्मकुंडली के पंडितों को बार बार दिखाने पर उनके द्धारा आपके जीवन मे हो रही भयंकर उथल पुथल का कोई भी सही उत्तर नही मिल रहा हो, तो अब उन्हें खुद ये बात बताये की-पण्डित जी आप परम्परागत ग्रहों के आंकलन से पाए फलादेश से ऊपर उठकर जरा ये नए परन्तु प्राचीन ग्रह युरेनस यानी हर्षल यानी अरुण ग्रह ओर नेप्च्यून यानी वरुण ग्रह का भी मेरी जन्मकुंडली में प्रभाव देखें,तो अवश्य ही आपके सारे प्रश्नों का सही सटीक उत्तर आपको मिल जाएगा,बस पण्डित जी को इस ग्रह युरेनस यानी हर्षल यानी अरुण के बारे में ज्ञान हो।

क्योकि इसके विषय मे भारतीय ज्योतिष में विशेष अध्ययन नहीं किया गया है,सब परम्परागतवादी बनकर बस पैसा कमाने का साधन पर ही ध्यान दिए है,नतीजा विदेशियों ने इस ग्रह को अपनी वैज्ञानिक खोज देकर अपना नाम देकर रजिस्टर करा लिया और वहां के ज्योतियों ने इस पर अपनी ज्योतिष लेखों से नई खोजो को जनता के सामने नया ज्ञान रखा,जबकि ये हमारे यहां पहले से प्रमाणित है,वेदव्यास जी ने महाभारत में इसका उस समय की ज्योतिष गणनाओं में कैसे इस युद्ध पर इस ग्रह का प्रभाव है,ये संछिप्त में उल्लेख किया है।

👉 यह वीडियो देखें 👇

असल मे विदेशी खोज का विषय पौराणिक कथाओं में वैज्ञानिक आधार क्या है,ये विषय रहता है और वे जब इसे खोज लेते है,जैसे इसी युरेनस ग्रह के बारे में ही ले,की उन्होंने यूनानी पौराणिक कथा में लिखा देखा की,जिया यानी पृथ्वी ने बिन किसी पति पुरुष के अपने से ही एक पुत्र पैदा किया और बाद होने पर उसी से पति सम्बन्ध बनाकर अनेक सन्तान पैदा की ओर बाद में अपनी ही सन्तानों से युरेनस का भयंकर विवाद हो गया और उसी सम्बन्ध में उसकी सन्तान ने समुंद्र किनारे उसका लिंग काट उसे नपुंसक बना दिया,इन सबमे उसकी माता व पत्नी जिया यानी पृथ्वी का बड़ा भारी हाथ रहा,खेर अंत मे ये बहुत दूर चला गया।

ठीक इसी कथा में छिपे इसी तथ्य से इन वैज्ञानिकों ने ये सहजता से खोज लिया कि-युरेनस पृथ्वी का ही हिस्सा था और बिना किसी बाहरी ग्रह के टकराव के पृथ्वी में ही किसी आंतरिक सरचना में विस्फोटक स्थिति बनने से ही ये टुकड़ा युरेनस बना और साथ ही मंगल ग्रह ओर चंद्रमा भी बने,चूंकि पौराणिक कथाओं में केवल पृथ्वी को ही जीवित ग्रह माना गया है,सबसे पहले पृथ्वी ही ईश्वर ने बनाई यानी मूल तत्व से पृथ्वी ही पहले जन्मी,ओर इसके बाद ही प्रकाश हेतु सूर्य आदि ग्रह बने,ये आज झूट लगता है,पर अध्ययन होगा,तब ये भी विदेशी इस क्षेत्र में प्रमाणित करके इस बात को अपने नाम कर लेंगे,यो तब पृथ्वी व युरेनस के नजदीक होने के संघर्ष से ही अनेक ग्रह व अनेक आश्चर्य जनक भयंकर तूफान बने,ओर अनन्तकाल की घटना के इस पौराणिक कथानुसार चलते ये युरेनस पाताल यानी अंधकार में अनन्त दूर हो गया।पर इसका पृथ्वी से वैर नही गया,ओर ये वहीं से अपना प्रभाव पृथ्वी निवासियों पर अच्छा व बुरा डालता है।

वैसे भी ये मान्यताओं अनुसार देवो में ये प्रथम होने से इसे शनि का पिता और ब्रहस्पति का शनि पिता यो ये युरेनस यानी भारतीय नाम प्रजापति यानी जिसे सारी जीव व मनुष्य जाति पृथ्वी के संयोग से उत्पन्न हुई,ये पौराणिक अर्थ का अर्थ बना है।यो युरेनस प्रजापति ग्रह ब्रहस्पति ग्रह का भी दादा पितामह है,ओर पृथ्वी की बहिन शुक्र ग्रह होने से ये उससे प्रसन्न रहते है,तो समझ आया होगा कि-शनि व ब्रहस्पति का जन्मदाता होने से या इनसे ज्यादा प्रभावी होने से युरेनस प्रजापति कितना महत्त्वपूर्ण ग्रह है,चूंकि पथ्वी ओर उसकी सन्तान से इसका म्रत्यु तुल्य झगड़ा चला,इसी कारण इसे पृथ्वी और उसकी सन्तानों ने इसके प्रभाव को मानने से इंकार कर इसे अपनी स्मृति से ह हटा दिया।पर कितना ही हम ऐसा स्वीकार करे,पर इसका प्रभाव बहुत ही विशाल और अनगिनत वर्षो तक देने वाला है,यानी 84 साल का प्रभाव हम पर पड़ता है,क्योकि इसके दोनों गोलार्ध 42-42 वर्ष सूर्य के सामने रहकर इसपर दिन रात बनाते है।यानी मनुष्य पर इसकी 84 साल रुक रुक कर या इकट्ठी प्रभावी दशा रहती है,यो सोचो कि उम्र ही कहाँ इसके प्रभाव से बची,ओर वैसे ही इसके पौराणिक कथाओं अनुसार सन्तान रूपी 27 चंद्रमा हैं। जिनमे वैज्ञानिकों ने 18 ही खोजे हैं।

असल मे जब हम परम्परागतवादी व रूढ़िवादी बनकर अपनी बुद्धि को कुंद करके केवल जो है,वही देखते ओर सोचते है और उसी से खाते कमाते जीवन जीते है,तो ज्ञान भी अंधकार में चला जाता है।यो पृथ्वी ही मुख्य अनन्त विशाल ग्रह रही है,उसी के टुकड़े होते चले गए,मूल तत्व यानी ईश्वर ने पृथ्वी की ही रक्षा को अपने तेज नामक तत्व से सूर्य बनाया व पृथ्वी पर अपनी संतान कहो, उसके तेज नामक प्राण पोषक तत्व की व्रद्धि कर पोषण हेतु ये विशाल सूर्य दिया।तभी हमारे तत्वदर्शी ऋषियों ने इन सब ग्रहों को पँचत्तवी माना और पृथ्वी को इस सबका मूल आधार माना है।यहाँ परम्परागतवादी सोच का अर्थ है कि,पृथ्वी पर हम है,तो हम्म पर बाहरी प्रभाव पड़ने का गणितीय आधार है,पर केवल इसी पृथ्वी पर जीवन क्यो है?यो हमे इस सबके आधार है आदि आदि चिंतन ही वैज्ञानिकों का विषय रहा और विज्ञान में बार बार इसी चिंतन के चलते इनकी थ्योरियों में बदलाव आता है और आगे भी यहां कहा देखोगे,यो ये विदेशी अपना नाम रख रजिस्टर करा देते है,यो हमें भी अपने पौराणिक कथाओं में छिपे विज्ञान को अपनी नजर से खोजना होगा,क्योकि वो हमारे ऋषियों ने लिखा है और हमारी भाषा है,हममे उनका रक्त बहता है,यो हम जल्दी ही उसको प्राप्त कर लेंगे।

तो आओ मेरे इतने सालों की भक्त मंडली में आये इस सम्बन्धित अनगिनत प्रश्नों में इस युरेनस का प्रभाव क्या रहा है, वो संछिप्त में बताता हूं।

युरेनस यानी हर्षल यानी प्रजापति- वैसे हर्षल भी सूर्य की कक्षा का ग्रह है। सूर्य की एक प्रदक्षिणा करने में इस ग्रह को 84 वर्ष लगते हैं अर्थात यह ग्रह एक राशि में 7 वर्ष तक रहता है। यह ग्रह शनि से अत्यंत बलिष्ठ और तमोगुणी व घटनाकारक ग्रह है।जितनी भी विश्व भर में युद्ध की स्थितियां व ओर देवो दैत्यों से लेकर रामायण महाभारत से लेकर प्रथम व द्धितीय विश्व युद्ध हुए है,वे सबके इसी युरेनस के कारण हुए है और जितनी भी भौतिक खोजे हो या आध्यात्मिक जगत की खोजे व उनसे सम्बन्धित वैज्ञानिक हो या योगी विभूतियां हुई है,उनके होने में इसी ग्रह का सर्वोच्चतम हाथ है,ओर विश्व की सभी धर्मिक व राजनीतिक परिवर्तनशील क्रांतियां भी युरेनस ग्रह के प्रभाव से हुई और होती रहेंगी।इसे मेरी भाषा से शैतान या कालदेव ओर कालदेव या शैतान का लोक भी कह सकते है।और शैतान का जन्म जब भी पृथ्वी पर होगा,जो हो चुका है,जल्दी ही उसका प्रभाव दिखेगा,या जिन्नन जिन्नात बेताल श्मशान साधना की सिद्धि व चमत्कारिक शक्तियां तांत्रिक व अघोरी आदि सिद्ध व सिद्धि सब इसी ग्रह के प्रभाव से होती है,यो सभी आकस्मिक घटना तथा रोगोत्पादक, विलक्षण प्रकृति का संयोग देने वाला और स्थान परिवर्तन कराने पर लाभ हानि देने वाला ग्रह है। मोटर, रेलवे, तार, बिजली, टेलीफोन, यंत्रों का शोध, प्रयोगशाला, इन्फ्लूएंजा व परस्पर प्रेम और विवाह में विवाद और तलाक का यह कारक ग्रह है। इस ग्रह की राशि कुंभ है। इसका आशय यह नहीं कि शनि कुंभ का स्वामी नहीं है। जैसे वृष व तुला राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है और राहु को भी वृष का स्वामी माना जाता है। इसी प्रकार कुंभ राशि में युरेनस यानी हर्षल ग्रह रहता है तो उसे स्वगृही माना जाता है। यह दाम्पत्य का भी प्रमुख गुप्त सम्बन्धों का कारक ग्रह है। जिस पुरुष की कुण्डली में चंद्रमा हर्षल से युक्त होता है और स्त्री की कुण्डली में सूर्य ग्रह हर्षल से युक्त होता है, ऐसे पुरुष या स्त्री को दाम्पत्य सुख नहीं मिलता ये ग्रहस्थ सुख भंग योग व गुप्त सन्तान देता है। इसके अतिरिक्त पांचवें में सन्तान के योग को नष्ट करता है,शिष्यों से सम्बन्ध बदले के रहते है,प्रेम भंग,भयंकर पेट के कैंसर जैसे रोग देता है। यो सातवें स्थान में हर्षल होता है तो अनेक विपरीतलिंगीयो से विवाह से पहले भी व बाद में भी रहते है,क्योकि चित्तवृत्ति को भोगी बना चंचल बनाता है। हर्षल ग्रह मिथुन, तुला व कुंभ राशि में अत्यंत बलवान समझा जाता है,यहाँ ये सभी ग्रहों से बलवान विश्व प्रसिद्ध कीर्ति वाला सर्वश्रेष्ठ राजयोग देता है तथा मेष में ये जीवन को विध्वंश करा सदा दुख देता है व वृष राशि में यह भोगी बनाकर भोगों से उत्पन्न रोग व भौतिक असफलता के अत्यंत घातक फल देता है।


जन्मकुंडली में 12 भावो में इसका फल :- यह ग्रह पांचवें, नौवें, दसवें व ग्यारहवें स्थान में शुभ व सर्वश्रेष्ठ राजयोग का शुभ फल देता है और शेष अन्य 1,2,3,4,6,7,8,12 वेन स्थानों में अशुभ फल ही देता है।फिर भी यदि लग्न में हर्षल हो तो मनुष्य असाधारण व लौकिक जगत से हटकर चमत्कारिक व विलक्षण स्वभाव का होता है,साथ ही यदि ये यही मिथुन, तुला व कुंभ राशि का हो तो तीव्र बुद्धि और अन्वेषण करने वाला बनाता है। द्वितीय भाव में हो तो अपने कुटुंब से व व्यक्तित परिवार सुख भंग मिलता है और साथ ही द्रव्य हानि व आंखों व उल्टे मष्तिष्क में असाध्य रोग कराता है। तृतीय भाव में व्यक्तिगत पराक्रम से ही सभी उन्नति मिलेगी, भ्रातृ सुख,अधिकतर स्थानान्तरण होते रहते है और यांत्रिक विज्ञान से शिक्षा लाभ व वाहन से यात्राएं बहुत होती है,व सदृर निवास प्रवास का योग बनाता है। यदि हर्षल चतुर्थ भाव में होता है तो अपने अच्छे व्यवहार के चलते अंत मे एकदम से उग्रता आने से कहे अपशब्दों से शत्रुओं की संख्या बढ़ाता है और जीवन के उत्तरार्द्ध शिक्षा में व पारिवारिक व्यवसाय में द्रव्य हानि और पैतृक भूमि संबंधी विकट कलह व अग्निकांड व वाहन दुर्घटना से चोट कष्ट देता है। पंचम भाव में स्त्री में गर्भबन्धन से बांझ योग व संतति सुख नही,कृतिम गर्भाधान से भी संतति में असफलता या कई बार मे संतति सुख देता है। षष्ठम भाव में ननसाल में मातुल (मामा) के सुख का अभाव व ननसाल कमजोर दरिद्र व पीठ पीछे के असाध्य रोग व रीढ़ के रोगों में वृद्धि देता है। सप्तम भाव में गुप्तांग की बड़ी कमजोरी से वैवाहिक, दाम्पत्य सुख का नाश व तलाक देता या कथित झूठा ब्रह्मचर्य व्रत देता है,और विदेशी व गुप्त बाहरी लोगों से व जासूसी छल प्रपंची योजना से बड़ा लाभ और अंत मे चरम से पतन इन्ही गुप्त संबंध से बनाता है। अष्टम में अल्पायु में ही 13,18,26,31 वे वर्ष में आकस्मिक या एक्सीडेंट में मृत्यु देता है। नवम भाव में धार्मिक संस्था का गठन से क्रांतिकारी धर्म वैचारिक खोज से ऐतिहासिक सदियों की प्रसिद्धि देता है,अनगिनत धार्मिक स्थान बनते या बनाता है,विश्वविख्यात धर्म गुरु बनता है। दसवें भाव मे सामान्य घर मे पैदा होकर या प्राचीन कुल में पैदा होकर बड़ा राजा या सम्राट या देश का शासक बनाता है,पर यहां ये यदि राजा है,तो उस से भिखारी भी बनाता है,फिर बहुत काल बाद संघर्ष से राज्य लोटा देता है।
ग्यारहवें भाव में उच्चतर किसी एक या अपनी एक स्वतंत्र संस्था खड़ी करके या अनेक सहयोगी संस्थाओं से अच्छा संबंध बनाकर उच्चतम प्रसिद्धि सहित उच्चतम लाभ देता है। बारहवें भाव में आजीवन कारावास,विदेशों में भटकना,बड़ी भारी या धीरे धीरे किसी भी बिजनेस में लगाई धन राशि की छल से हानि देता है,कभी ऋण उतरता ही नहीं यानी सभी ऋण योग इसे से मिलते बनते ओर बिगड़ते है, और परिवारिक व बाहरी शत्रुओं से सदा कष्ट प्राप्त कराता है।अंत में बड़ी बीमारी से म्रत्यु पाता है,व सन्यास में भी मोक्ष नही मिलता है।
इसके उपाय:-जब भी आपके जीवन मे स्वस्थ सम्बन्धित हो या अकस्मात परिवारिक व अल्पायु में परिजनों व सन्तान की म्रत्यु हो या अकस्मात विवाद व अजसमत प्रमोशन पद से नीचे गिरना या भयंकर प्रयत्न करने पर भी उन्नति नहीं हो या विवाह के कोई योग नही बने,बड़ी उम्र हो हो जाये,ग्रहस्थ जीवन मे सेक्स शक्ति चली जाए ओर दवाई खाकर भी नही आये,जीवन अनगिनत उपायों के कराने पर भी अचानक होने वाली घटनाएं नहीं रुके, ओर सभी प्रकार के आतंकवाद युरेनस की देन है,ओर जीवन मे इस सम्बन्धित सभी 12 प्रकार के कालसर्प दोष तो केवल युरेनस ग्रह के कारण ही जानो या युरेनस का ही प्रभाव है।


तब इसका एक मात्र उपाय है-अमावस की रात्रि पूजा जप ध्यान करना,स्मरण व चेतावनी है कि यज्ञ को प्रज्वलित करके बिल्कुल नहीं करे,बस अंगारी पर सामग्री ही खेवे,क्योकि युरेनस का अग्नि से विरोधी सम्बन्ध है,ये केवल युद्धाग्नि ही जलता है।
केवल गंगा जल में या किसी नदी पोखर में खड़े होकर अंहकार में दक्षिण दिशा को मुख करके मन्त्र जप करते उसके जल को अंजुली में लेकर सामने को छोड़ते हुए युरेनस देव या परम्कालदेव को अर्पित करें,तो वर्ष भर की सभी अमावस्या पर ऐसा करने से मनवांछित चमत्कारिक लाभ प्राप्त होगा।


रत्न:-युरेनस का रत्न है-हीरा,विशेषकर काला हीरा सर्वोत्तम रत्न है,उसे चांदी में जड़वाकर शनिवार को अंधकार प्रातः में या गहरी शाम होने पर ही पहने या अमावस की रात्रि में धारण करें ओर उसके उपरत्न व नीलम नहीं बल्कि नीली ओर फिरोजा है।ओर इन किसी भी रत्न को चांदी में जड़वाकर गले या बाजूबंद में पहने ताकि आपके रत्न पर नजर न पड़े,आपका पहना रत्न गुप्त रहना चाहिए।
दान:-अमावस को धूसर रंग के कुत्ते व घोड़े या अधिक से अधिक भिखारियों को काली दाल व रोटी से या फिर जो बने कुछ भी भोजन कराओ।धूसर रंग का कम्बल व वस्त्र दान करें।काली रंग की मिठाई प्रसाद में बांटे।
शनिमंदिर पर अमावस्या के दिन प्रातः या शाम 8 बजे ओर 9 बजे के बीच ही काले तिल का तेल या सरसो का तेल चढ़ाए,ध्यान रहे कि कैसा भी तेल आदि का दीपक वहाँ या पीपल पर नही जलाए।
चूंकि युरेनस गुरु ग्रह व शनि ग्रह के जनक है,यो इनके मंत्र यानी अपने गुरु का मंत्र जपना उन्हें अति प्रिय व प्रसन्नता देकर अक्षुण वरदान देने वाला बनाता है।
ये तपस्या के लिए जो भी जितने भी क्रिया योग अभ्यास है,ये उनमे क्रांतिकारी ऊर्जा यानी कुंडलिनी शक्ति के अधिष्ठाता देव भी होने से उनके रात्रि के महाक्षण यानी 11 बजे से 1 बजे के मध्य किये गए अभ्यास के फल को चरम पर पहुँचाकर देते है।
शेष ज्ञान फिर कभी दूंगा।
आशीर्वाद।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः

www.satyasmeemission.org

Follow us :

Check Also

कथित Dog Lovers ने जयेश देसाई को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी

आजकल एनिमल लवर्स का ऐसा ट्रेंड चल गया है कि जरा कुछ हो जाये लोग …

Leave a Reply

error

Enjoy khabar 24 Express? Please spread the word :)

RSS
Follow by Email
YouTube
YouTube
Set Youtube Channel ID
Pinterest
Pinterest
fb-share-icon
LinkedIn
LinkedIn
Share
Instagram
Telegram
WhatsApp