चमकी बुखार के कारण बिहार में हाहाकार मचा है और अस्पतालों में बच्चों के भर्ती होने की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सबसे ज्यादा हालात मुजफ्फरपुर के ही खराब हैं, यहां पर मरने वालों का आंकड़ा भी ज्यादा है और अस्पतालों की हालत भी खस्ता है।

शुक्रवार सुबह तक पूरे राज्य में इस बीमारी की वजह से मरने वाले बच्चों की संख्या 200 के पार पहुंच गई। अकेले मुज्जफरपुर जिले में मरने मासूमों का आंकड़ा 150 के करीब है।
बीते कुछ दिनों से लगातार इस बीमारी का कहर बढ़ रहा है, जिसके कारण राज्य की नीतीश सरकार और केंद्र सरकार हर किसी के निशाने पर है।
बिहार के मुजफ्फरपुर में नेताओं के जाने का सिलसिला भी बढ़ रहा है, हर नेता हॉस्पिटल में पहुंचकर सिर्फ खानापूर्ती कर रहा है, लेकिन मासूमों के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किये जा रहे हैं।
यहां अब तक 150 से ज्यादा मासूम बच्चों की मौतें हो चुकी हैं, लेकिन न जाने नीतीश सरकार किस कौने में सोई हुई है?
केंद्रीय स्वास्थ मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन भी बढ़ती मौतों की वजह से मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में बीमार बच्चों को देखने पहुंचे थे। लेकिन वहां उनका जबरदस्त विरोध हुआ, डॉ. हर्षवर्धन, मंगल पांडेय व अश्वनी चौबे साथ थे, इन सबका चमकी बुखार से पीड़ित मासूमों के परिजनों ने जोरदार विरोध किया..
परिजनों ने डॉ हर्षवर्धन से अपने मासूमों की मौत पर सवाल पूँछे तो वे भी भागते नज़र आये। इस दौरान परिजनों ने आरोप लगाया कि उनके साथ मंत्री के बॉडीगार्ड ने बदसलूकी भी की..
अब सवाल यह उठता है कि अगर मंत्री जी इंसेफ्लाइटिस से पीडि़त बच्चों के परिजनों की व्यथा सुन नहीं सकते, तो फिर अपना इतना बड़ा काफिला लेकर वहां क्यों आये थे, क्या खानापूर्ती कर के वापस जाना था?
नेता महज़ दिखावे के लिए मुजफ्फरपुर क्यों जा रहे हैं?
बच्चों को बचाने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाये जा रहे हैं?
भारत में विदेशों से लोग अपना इलाज करवाने आते हैं। लेकिन भारत के गरीब मासूम बीमार बच्चों का इलाज कौन करेगा?
बिहार में चमकी बुखार से अब तक 200 से ज्यादा बच्चे दम तोड़ चुके हैं, लेकिन नेता जी का क्या जाता है, नेता हैं फिर अगली बार इसी को मुद्दा बनाकर चुनाव जीतकर आ जाएंगे। लेकिन असली दर्द तो उन माँओं से पूँछिये जिनके लाल उनकी गौद में दम तोड़ गए।