मकर संक्रांति के दिन से कुम्भ में पहला स्नान शुरू हो जाता है। बता दें कि मकर संक्रांति का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। और इस दिन बहुत सारे शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।
गंगा नहान और दान-दक्षिणा इस दिन विशेषतर किया जाता है। आजके दिन गंगा नहाना या दान दक्षिणा करना बड़ा महत्व रखता है। इस दिन गरीबों को कंबल, खाना, दाल, चावल, रेवड़ियां इत्यादि दी जाती हैं।
महीनों की तैयारियों के बाद प्रयागराज में अर्द्धकुम्भ का मेला भी आज से शुरू हो गया है। कुंभ में मंगलवार को मकर संक्रांति पर पहला शाही स्नान शुरू हुआ। शाही स्नान के लिए सबसे पहले संगम तट पर श्री पंचायती अखाड़ा महानिवार्णी का जुलूस पहुंचा। अखाड़े के देव भगवान कपिल देव तथा नागा संन्यासियों ने अखाड़े की अगुवाई की। पंचायती अखाड़ा महानिवार्णी ने सबसे पहले डुबकी लगाई। परंपरा के मुताबिक सबसे पहले अखाड़े के भालादेव ने स्नान किया। उसके बाद नागा साधुओं ने फिर आचार्य महामंडलेश्वर और साधु-संतों ने स्नान किया। श्री पंचायती अखाड़ा महानिवार्णी के बाद अटल अखाड़े के संतों ने शाही स्नान किया। दोनों अखाड़ों का स्नान पूरा हो चुका है। दोनों अखाड़ों के संत अपने शिविर की ओर प्रस्थान कर रहे हैं।
श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा और तोपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़े के संतों का स्नान पूरा हो चुका है। दोनों अखाड़ों के संत अपने शिविर की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। वहीं अब शाही स्नान के लिए सबसे बड़ा अखाड़ा श्री पंच दशनाम जूना के साथ अग्नि अखाड़ा और अवाहान अखाड़े के संत संगम तट पर पहुंच रहे हैं। इसके बाद तीनों वैष्णव अणी अखाड़े दिगम्बर, निमोर्ही और निवार्णी अखाड़ा स्नान करेगा।
इसके बाद दोनों बैरागी अखाड़े नया उदासीन और बड़ा उदासीन अखाड़े स्नान करेंगे। सबसे अंत में निर्मल अखाड़े के संत स्नान करेंगे। आज करीब डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं के संगम में डुबकी लगाने का अनुमान है।
मकर संक्रांति के मौके पर कुंभ मेले का आगाज होने के साथ हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी का मिलन स्थल माने जाने वाले पवित्र संगम में डुबकी लगाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विविधताओं का गवाह बनने के लिए भक्तों से आग्रह किया कि वे इस वर्ष भारी संख्या में इसका हिस्सा बनें।
संगम में 5 किलोमीटर के स्नान घाट पर आने-जाने के लिए विस्तृत सुरक्षा व्यवस्था की गई है और पोंटून पुलों का निर्माण किया गया है।
कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए इन पुलों के सभी प्रवेश और निकास द्वारों पर सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।