जीवन के सभी युद्ध में
सदा विजयी नहीं शक्तिशाली।
वहीं विजयी सदा होता है
जो करे विजयी भाव अभी निहाली।।
सफल व्यक्ति की छाप त्याग
विश्वास करे स्वयं व्यक्तित्त्व।
और ढूंढे स्वयं में अभ्यास कर
वही पाये सफलता गत्व।।
निज कमियों को स्वीकार का
जिसमें साहस हो स्वं शीघ्र।
वही क्षमा पा निष्पाप हो
वहीं मनुष्य पाये आत्म बिन छिद्र।।
समय ही जीवन आधार है
और उसका जो करता सम्मान।
यो समय मत गंवाइये
अभी समय उपयोग करो श्रीमान।।
बुद्धिमान उत्तर से मुर्ख
कभी सीखें नहीं कुछ ज्ञान।
पर मुर्ख के एक प्रश्न मात्र से
सदा उत्तर पाये बुद्धिमान।।
सीमा निर्धारित कभी नहीं करो
ना शरीर ना बौद्धिक ना ध्यान।
असीम मध्य कुछ ठहराव है
उन पार और अनंत है ज्ञान।।
इस संसार के लिए जीओ मत
जीओ स्वयं को जान।
अपनी इच्छाओं को विस्तार दो
उन पर स्वयं को सिद्ध करो श्रीमान।
है जो पल तुम्हारे सामने
उस पल का करो अभी उपयोग।
व्यर्थ पल का नहीं कोई कल
उपयोगी पल फल बन देगा भोग।।
ज्ञान देता है शक्ति सफल
और शक्ति सदुपयोग दे चरित्र।
सद्चरित्र दे जीवन सुखद
और सद्चरित्र ही सच्चा मित्र।।
चिंतन अधिक नहीं कीजिये
वहीं चिंता जाता बन।
चिंतन कर उपयोग करो
तभी अभी पाओ सुख धन।।
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ब्रूस ली तुम स्वयं कथन सिद्ध
कथनी करनी बनाई एक।
यो स्वयं कर्म धर्म बन तुम जीये
जन्मदिवस शुभकामना दे विश्व जन एक।।
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स्वामी सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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Bhut achi kavita h. Jai satya om sidhaye namah. Jai guru ji.
Jay satya om siddhaye namah