!शुभ दीपावली की शुभकामनायें! देते हुए स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी कविता के माध्यम से एक गम्भीर संदेश दे रहें है की-क्या अयोध्या शापित है???? आओ कुछ प्रमाणिक तथ्य संछिप्त में इस कविता में देखें..,
!!शापित अयोध्या!!
दशरथ शापित श्रवण पिता
पाओ मुझ जैसा विरह पुत्र सन्ताप।
विकट तपस्या राम सुख पाये
कैकयी वचन कलह दशरथ शाप।।
राजा राम बन नहीं पाये
प्रसन्नता बनी सन्नता शाप।
अयोध्या धुरी रही अधूरी
दशरथ मरे पुत्र सन्ताप।।
विधवा वास हुआ अयोध्या
उदासीन बने भक्त भरत।
खिलते थे पुष्प गन्ध बिन
कर्म हो रहे बिन करत।।
बारह बरस अयोध्या रही प्यासी
लौटे पुनः अमृत ले राम।
पी भी नहीं पाये कर दर्शन
शाप शीघ्र लोटा पुनः अविराम।।
संतति सुख सीता गर्भ आया
तभी घटित हुआ धोबी कांड।
पुनः अमावस छायी अयोध्या
रश्मि विहीन सूर्य प्रकांड।।
राम संग सीता स्वर्ण मूरत।
बिन सीता हुआ अश्वमेघ यज्ञ।
पिता पुत्र मिलाप युद्ध भूमि
सीता समायी राम को त्यग।।
बिन श्री लिए अयोध्या आये
विरह वेदना ले कर राम।
चरम बिन पहुँच अंत अयोध्या
सरयू समाये एकल राम।।
बिन श्री नाम राम अकेला
चला राम नाम नमस्कार।
बिन श्री नाम अंत में गाया
राम नाम गत्य पुरुषकार।।
युग बीते पुनः शाप आया
और अयोध्या हुयी उजाड़।
गर्त पर्त हुयी राम जन्मभूमि
शाप बन अर्ध मस्जिद राड़।।
राम लला कहाँ पला
विरह अग्नि वेदना ठंड।
अयोध्या राज राजनीती बना
न्यायिक आस्वासन अर्ध दंड।।
राम नाम राजनीती बना
और राम नाम विवाद।
राम वोट पहचान बना
पर राम अयोध्या रही बरबाद।।
दीप जले पर रहे अंधियारे
राम भक्त रहे अन्याय सहारे।
दीपावली मन रही आस्वासन घोष
इस अयोध्या शाप को कैसे मारे।।
कौन शाप कौन ताप
ये चला कहाँ से अब तक।
निराकरण क्या और कैसे हो
राम सूर्य प्रकाशित धरा से नभ् तक।।
आओ करे प्रण हम इस क्षण
सम्मलित हो हम राम के रण।
मिटा कर शाप हम और आप
मंदिर बनाकर रहें दे रक्त कण।।
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श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
Happy diwali
Jay satya om siddhaye namah