ये सब सवाल हमारे नहीं बल्कि यूपी की पब्लिक के हैं। यूपी की जनता आज सीएम योगी से चीख-चीखकर जबाव मांग रही है। सीएम योगी ने सपथ लेते वक़्त कहा था कि वो यूपी को बदलकर रख देंगे, लेकिन इतना बदल देंगे यह किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
यूपी अपराधों का गढ़ बनती जा रही है। यहां पर सरेआम हत्याएं कोई नई बात नही थी। महिलाओं से सरेआम छेड़छाड़, बलात्कर, लूट इत्यादि सब यूपी की कहानी हैं।
लेकिन जब वर्दी वाले ही हत्यारे बन जाएं, रक्षक ही भक्षक बन जाये तो और ज्यादा सवाल उठने लाजमी हैं।
एप्पल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक त्यागी ऑफिस की पार्टी से रात में अपनी सहयोगी को छोड़ने के लिए घर जा रहे थे कि तभी उनकी कार को एक कांस्टेबल प्रशांत चौधरी ने रोकना चाहा लेकिन विवेक ने कार नहीं रोकी तो प्रशांत चौधरी ने सामने से गोली चला दी। जिसके बाद विवेक त्यागी की मौके पर भी मौत हो गई।
लेकिन इस फ़र्ज़ी एनकाउंटर या हत्या पर बहुत से सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल पुलिस के इस फ़र्ज़ी एनकाउंटर पर उठ रहे हैं जो इस पर अपनी कहानी बनाती जा रही है।
एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या में पुलिस की सेल्फ डिफेंस की थ्योरी किसी के भी गले नहीं उतर रही है। घटना स्थल चीख-चीखकर पुलिसिया कहानी की धज्जियां उड़ा रहा है।
जिस जगह बाइक सवार सिपाहियों को रौंदने की बात कही जा रही है। वहां से विवेक की कार करीब चार सौ मीटर दूर दुघर्टनाग्रस्त हुई।… तो क्या यह माना जाए कि हादसे के बाद दोनों सिपाही एसयूवी के पीछे चार सौ मीटर तक गये और सामने से गोली मार दी।
गोमतीनगर विस्तार स्थित मकदूमपुर पुलिस चौकी से चंद कदम दूरी पर एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की कार खड़ी थी। कार में विवेक के साथ उसकी महिला सहकर्मी सना भी थी।
देर रात गोमतीनगर थाने में तैनात सिपाही प्रशांत कुमार चौधरी और संदीप कुमार वहां पहुंचे। उन्होंने एसयूवी के पास बाइक रोकी और पूछताछ करने का प्रयास किया। इसी बीच विवेक अपनी एसयूवी लेकर भागने लगा।
वह खुद को बचाने के लिए इतनी तेजी से आगे बढ़ा तो बाइक सवार पुलिसकर्मियों को रौंद दिया। हादसे में गंभीर रूप से घायल पुलिसकर्मियों ने एसयूवी सवार विवेक तिवारी का पीछा करना शुरू किया। करीब चार सौ मीटर दूरी तक पीछा करने के बाद पुलिसकर्मियों ने विवेक को गोली मार दी।
मकदूमपुर पुलिस चौकी के सामने एसयूवी ने बाइक सवार पुलिसकर्मियों को रौंदा। पुलिस के मुताबिक यहीं पर सेल्फ डिफेंस में गोली मार दी। गोली लगने के बाद विवेक तिवारी अपनी एसयूवी लेकर चार सौ मीटर तक का सफर तय किया। वह भी दो खतरनाक मोड़ को आसानी से पार करते हुए।
इसके बाद एसयूवी अनियंत्रित होकर अंडर पास के दीवार से जा टकराई। हादसे में विवेक तिवारी के सिर से खून निकलने लगा। इसके बाद वह बेहोश हो गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने बेहोश विवेक को लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उसकी मौत हो गई।
उसके शरीर पर सिर्फ एक गोली लगने की चोट छोड़कर एक भी खरोच नहीं थी। वहीं उसकी महिला सहयोगी भी सुरक्षित थी। यह सवाल खुद ब खुद खड़ा हो रहा है कि आखिर किस तरह इतनी दूरी विवेक ने तय की।
महिला सहयोगी सना के मुताबिक उसने गोली की आवाज तो सुनी पर उसे नहीं लगा कि एरिया सेल्स मैनेजर विवेक को ही गोली लगी है। एसयूवी 25 से 30 मीटर दूरी जाने के बाद विवेक बेहोश होकर सीट पर लुढ़क गया।
इसके बाद गाड़ी अनियंत्रित होकर शहीद पथ के अंडर पास की दीवार से टकरा गई। टकराते ही उसने देखा कि विवेक के सिर से खून निकल रहा था। सना एसयूवी से नीचे उतरी और आने-जाने वालों से मदद की गुहार लगा रही थी। इसी बीच वहां पुलिसकर्मी पहुंच गये। उन्होंने विवेक को लोहिया अस्पताल पहुंचाया। जहां उसकी मौत हो गई।
राजधानी पुलिस ने एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर की हत्या को सेल्फ डिफेंस साबित करने में जुटी रही। इस दौरान पुलिस ने जो पटकथा लिखी थी। उसकी धज्जियां चार सौ मीटर में ही उड़ गई। पुलिस के मुताबिक विवेक को रात में गश्त कर रहे बाइक सवार सिपाहियों प्रशांत कुमार व संदीप कुमार ने रोका। वह रूकने के बजाए उनसे भागने लगा।
इस दौरान विवेक ने खुद को बचाने केलिए एसयूवी की रफ्तार तेज कर दी। सिपाहियों को रौंद दिया। पुलिस केमुताबिक विवेक ने एसयूवी से सिपाहियों को एक बार नहीं तीन बार रौंदने का प्रयास किया। इसके बाद सिपाहियों ने खुद की सुरक्षा के लिए विवेक को गोली मार दी। लेकिन पुलिस की यह सेल्फ डिफेंस की थ्योरी महज चंद घंटो में धूल धूसरित हो गई। इसके बाद पुलिस बैक फुट पर आ गई।
एरिया सेल्स मैनेजर को गोली मारने वाले सिपाहियों के मुताबिक मकदूमपुर पुलिस चौकी केपास एसयूवी सवार विवेक ने उनको रौंद दिया। सिपाही प्रशांत के मुताबिक विवेक की कार बाइक में फंस गई।
उसने बैक कर भागने का प्रयास किया। जब वह उठ रहा था तो विवेक ने उसे दो बार और रौंदने का प्रयास किया। जब उसे अपनी जान को खतरा लगा तो सर्विस पिस्तौल निकालकर गोली मार दी। अहम सवाल है कि तीन बार सिपाहियों को मृतक विवेक ने रौंदा था। लेकिन दोनों सिपाहियों को खरोंच तक नहीं आई थी।
वारदात को अंजाम देने के बाद दोनों थाने पहुंचे। वहां मौजूद अधिकारियों को अपनी कारस्तानी की कहानी सुनानी शुरू कर दी। दोनों सभी अधिकारियों को कई बार अपनी वीरता की कहानी सुनाई। इस दौरान वह थाने के एक कमरे से दूसरे तक बिना किसी तकलीफ के ही आते-जाते रहें। किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही थी।
विवेक को डेढ़ बजे के बीच गोली मारने के बाद राजधानी पुलिस सिपाहियों को बचाने की जुगत में लग गई। यहां तक कि विवेक को इस घटना का दोषी बनाने के लिए पूरी पटकथा रची गई। यह पटकथा राजधानी के तेजतर्रार एसएसपी कलानिधि नैथानी सहित कई जिम्मेदार अधिकारियेां के सामने रची गई।
इसमें इन अधिकारियों के रायशुमारी भी शामिल थी। जब पुलिस की थ्योरी फेल हो गई। इसके करीब आठ घंटे बाद सुबह नौ बजे पुलिस को याद कि उसके सिपाहियों को विवेक ने एसयूवी से रौंदा था। वह गंभीर रूप से घायल हो गये हैं।
इसके बाद अधिकारियों के निर्देश पर दोनों को पुलिस लोहिया अस्पताल लेकर गई। जहां सरकारी जीप से नीचे उतारने के लिए दो-दो सिपाही लगाये गये। जो उनको गोद में उठाकर इमरजेंसी में पहुंचाया। इसके बाद पुलिस ने घेराबंदी कर ली। दोनों सिपाही कुछ देर तक तो मुंह छिपाते रहे। इसके बाद एक रटा-रटाया बयान देना शुरू कर दिया। और अपने सिपाही के बचाव में पुलिस ने लीपापोती शुरू कर दी जो काम न आई। और मीडिया के उठ रहे सवालों से परेशान डीआईजी ने प्रदेश की जनता से माफी भी मांगी।
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