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Home / Breaking News / श्राद्ध यानि पितृपक्ष (भाग तीन) का पुराणों में महत्व, कैसे श्राद्ध करने से मिलती है पितरों को मुक्ति? कैसे करें श्राद्ध? क्या मिलेगा फल? बता रहे हैं श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज

श्राद्ध यानि पितृपक्ष (भाग तीन) का पुराणों में महत्व, कैसे श्राद्ध करने से मिलती है पितरों को मुक्ति? कैसे करें श्राद्ध? क्या मिलेगा फल? बता रहे हैं श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज

 

 

 

आज श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज श्राद्ध का तीसरा महत्त्वपूर्ण भाग बात रहे हैं जिसे जानने के बाद आपके जीवन की बहुत सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी।
पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को ‘श्राद्ध’ कहते हैं तथा तृप्त करने की क्रिया और देवताओं, ऋषियों या पितरों को तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं। तर्पण करना ही पिंडदान करना है।

 

“श्रद्धा- कृतज्ञता हमारे धार्मिक जीवन का मेरु दंड है। यह भाव निकल जाय तो धार्मिक समस्त क्रियाएं व्यर्थ, नीरस एवं निष्प्रयोजन हो जायेगी। श्रद्धा के अभाव में यज्ञ करना और भट्टी जलाना एक समान है।”

 

हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि जो स्वजन अपने शरीर को छोड़कर चले गए हैं चाहे वे किसी भी रूप में अथवा किसी भी लोक में हों, उनकी तृप्ति और उन्नति के लिए श्रद्धा के साथ जो शुभ संकल्प और तर्पण किया जाता है, वह श्राद्ध है। माना जाता है कि सावन की पूर्णिमा से ही पितर मृत्यु लोक में आ जाते हैं और नवांकुरित कुशा की नोकों पर विराजमान हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में हम जो भी पितरों के नाम का निकालते हैं, उसे वे सूक्ष्म रूप में आकर ग्रहण करते हैं। केवल तीन पीढ़ियों का श्राद्ध और पिंड दान करने का ही विधान है।

पुराणों के अनुसार मुताबिक मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। श्राद्ध पक्ष में मांसाहार पूरी तरह वर्जित माना गया है।

 

 

श्राद्ध यानि पितृपक्ष के दो भाग स्वामी जी पहले ही बता चुके हैं तीसरे भाग में श्राद्ध के रहस्यों को जानेंगे, और साथ ही जानेंगे कि श्राद्ध करने से क्या फल मिलते हैं और कैसे कष्टों से मुक्ति मिलती है।

 

पितृपक्ष यानि श्राद्धकर्म (भाग दो) में तर्पण का मतलब, कैसे करें गुरु, इष्टदेव, पितरों को प्रसन्न? पितृदोष को दूर करने से क्या होगा जीवन में लाभ? : बता रहे हैं श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज

 

 

तो आइये स्वामी जी से जानते हैं कि वो श्राद्ध के तीसरे भाग में क्या बता रहे हैं और किन महत्त्वपुर्ण बातों का जिक्र कर रहे हैं?

 

[भाग-3]

 

प्रचलित पितृपक्ष इस वर्ष 2018 में कब प्रारम्भ होंगे और कब समाप्त होंगे और पितरों की सम्पूर्ण कृपा प्राप्ति को स्वयं पितृ भक्ति से रचित सिद्ध पितर आरती- के विषय में स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी बता रहे है की..

पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के रूप में जाना जाता है, पितृपक्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को प्रारम्भ होता है और सर्वपितृ अमावस्या पर 16 दिनों के बाद समाप्त होता है। पितृ पक्ष में हिन्दू अपने पूर्वज (पितृ) की पूजा करते हैं,विशेषकर उनके नाम पर भोजन दान और तर्पण के द्वारा।जो की मैं सहज और सरल रूप में पीछे के लेखों में बता चूका हूँ।अतः निम्न 16 दिनों में आप अपने पितरों के लिए जप तप दान और यज्ञ करते हुए अपने और पितरों को बल देकर सुख शांति प्राप्त करें।

पितृपक्ष 2018 तारीख
24 सितम्बर (सोमवार) पूर्णिमा श्राद्ध

25 सितम्बर (मंगलवार) प्रतिपदा श्राद्ध

26 सितम्बर (बुधवार) द्वितीया श्राद्ध

27 सितम्बर (बृहस्पतिवार) तृतीया श्राद्ध

28 सितम्बर (शुक्रवार) महा भरणी, चतुर्थी श्राद्ध

29 सितम्बर (शनिवार) पञ्चमी श्राद्ध

30 सितम्बर (रविवार) षष्ठी श्राद्ध

1 अक्टूबर (सोमवार) सप्तमी श्राद्ध

2 अक्टूबर (मंगलवार) अष्टमी श्राद्ध

3 अक्टूबर (बुधवार) नवमी श्राद्ध

4 अक्टूबर (बृहस्पतिवार) दशमी श्राद्ध

5 अक्टूबर (शुक्रवार) एकादशी श्राद्ध

6 अक्टूबर (शनिवार) मघा श्राद्ध, द्वादशी श्राद्ध

7 अक्टूबर (रविवार) त्रयोदशी श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध

8 अक्टूबर (सोमवार) सर्वपित्र अमावस्या

पितृ पक्ष का अंतिम दिन ‘सर्वपित्रू अमावस्या या महालय अमावस्या’ के रूप में जाना जाता है,यह पितृ पक्ष 2018 का यह सबसे महत्वपूर्ण दिन है।

।।पितर आरती।।

ॐ जय जय पितर हमारे,ॐ जय जय पितर हमारे।
शरण में तुमरे आये-2,कष्ट मिटें सारे।।ॐ जय जय पितर हमारे।।

सारा वंश तुम्हीं से मेरा,तुम रक्षक वंशधार-2..
धन सम्पत्ति तुम दाता-2,कृपा सदा अपार।।ॐ जय जय…

गांव देश परदेश तक फैला,तुम ही अंश आधार-2…
सन्तति सुख तुम बढ़ाओ-2,हे..पितर देव तुम हमार।।ॐ जय जय…

जब जब संकट वंश पे पड़ता,तुम सपने लो आय-2..
भक्षण करते विपदा कुल की-2,ले रूप अरूप सहाय।।ॐ जय जय..

काल अकाल मेरे जो पुरखें,उनकी मुक्ति होय-2..
रहें प्रसन्न सदा हम वंशज-2,दुःख मिट सब सुकति होय।।ॐ जय जय..

पितरदेव जब नाम हम लेवें,काम सिद्ध सब होय-2..
नींद जाग या कोई पहर हो-2,तुम रखवारे मोय।।ॐ जय जय..

श्रद्धा से पूजा हम करते,जला भाव की ज्योत-2..
जो बना वहीं है अर्पण तर्पण-2,तुम पुरखे आ न्यौत।।ॐ जय जय…

आरती करें हम सब वंशज,तुम कृपा हम पाये-2..
भूल चूक हो छमा तुम करना-2,हम प्रेम नमन सब ध्याय।।ॐ जय जय पितर हमारे।।

[स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी कृत-पितर आरती सम्पूर्ण]

ये आरती उन भक्तो के लिए है।जो गुरु मंत्र नहीं लिए तथा उन्हें किसी दैविक मंत्र का विशेष ज्ञान नहीं है और केवल पितरों की उपासना के लिए पितर आरती करने की विशेष इच्छा रखते है।और जो श्रद्धा से इसे करेंगे उन पर पितरों की कृपा अवश्य होगी।

पितरो के सम्बन्ध में और भी ज्ञान विज्ञानं आगामी लेख में बताऊंगा।

 

इस लेख को अधिक से अधिक अपने मित्रों, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों को भेजें, पूण्य के भागीदार बनें।”

अगर आप अपने जीवन में कोई कमी महसूस कर रहे हैं घर में सुख-शांति नहीं मिल रही है? वैवाहिक जीवन में उथल-पुथल मची हुई है? पढ़ाई में ध्यान नहीं लग रहा है? कोई आपके ऊपर तंत्र मंत्र कर रहा है? आपका परिवार खुश नहीं है? धन व्यर्थ के कार्यों में खर्च हो रहा है? घर में बीमारी का वास हो रहा है? पूजा पाठ में मन नहीं लग रहा है?
अगर आप इस तरह की कोई भी समस्या अपने जीवन में महसूस कर रहे हैं तो एक बार श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज के पास जाएं और आपकी समस्या क्षण भर में खत्म हो जाएगी।
माता पूर्णिमाँ देवी की चमत्कारी प्रतिमा या बीज मंत्र मंगाने के लिए, श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज से जुड़ने के लिए या किसी प्रकार की सलाह के लिए संपर्क करें +918923316611

ज्ञान लाभ के लिए श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज के यूटीयूब

https://www.youtube.com/channel/UCOKliI3Eh_7RF1LPpzg7ghA से तुरंत जुड़े

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जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः

श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज

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