अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में लगी जिन्ना की तस्वीर पर विवाद थमने का नाम नही ले रहा है। हर दल इसको भुनाने में लगा हुआ है। बता दें कि आजादी के पहले से अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय में टँगी जिन्ना की तस्वीर पर जबरदस्त विवाद छिड़ गया है। एक पक्ष इसको हटाने की मांग कर रहा है तो दूसरा पक्ष वहाँ टंगी तस्वीर का समर्थन कर रहा है।
इन्ही विवादों के चलते अब एक और नए विवाद ने जन्म ले लिया है। सोमवार को ताजा घटनाक्रम में जिले के खैर कस्बे के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में एएमयू संस्थापक सर सैयद अहमद खां की तस्वीर हटाकर उनके स्थान पर पीएम मोदी का फोटो लगा दिया गया है।
सर सैयद की तस्वीर हटाने और वहां प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाने का आदेश किसने दिया है, इस पर अभी कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एएमयू में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर के विवाद के बीच ही यहां से भी तस्वीर हटाई गई है। अब गेस्ट हाउस से सर सैयद की तस्वीर हटाए जाने का मामला भी तूल पकड़ता दिख रहा है।
स्थानीय सांसद सतीश कुमार गौतम ने भी माना कि जब वे पिछली बार बैठक में गेस्ट हाउस गए थे तो सर सैयद की तस्वीर वहां लगी थी। उन्होंने कहा कि यह तस्वीर क्यों हटाई गई है, इस बारे में उन्हें भी कोई जानकारी नहीं है।
आइये अब जानते हैं कि जिन्ना का जिन्न आखिर भारत में कर क्या रहा है : –
भारत की आजादी को 70 साल हो गए लेकिन एक बार फिर भारतीय राजनीति में एक ऐसा तूफान खड़ा हो गया है जो संभाले नहीं संभल रहा है। दरअसल भारत के दो टुकड़े करने वाले महाखलनायक जिन्ना का जिन्न फिर अचानक बोतल से बाहर आ गया है। जिन्ना के इस जिन्न का वहीं स्वरूप है जो आजादी से पहले और बंटवारे के समय था। बस अंतर यह है कि उस समय जिन्ना जिनका पूरा नाम मोहम्मद अली जिन्ना था। जिसने अंग्रेजों के बहकावे में आकर भारत के दो टुकड़े करने के लिए पूरे देश को दंगों की आग में झौंक दिया था। अंग्रेज जाते-जाते भी ऐसी फुट डालकर गए जिसे हम आजतक झेल रहे हैं। ये वही जिन्न थे जिनकी एक कट्टर सोच ने मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान का निर्माण करा दिया। बेशक भारत से अलग होकर पाकिस्तान बना लेकिन वहाँ आज भी भारत विरोधी गतिविधियों में कोई कमी नहीं आयी बल्कि दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं।
“अब ऐसे में इन तल्खियों के बीच भारत में जिन्ना की तस्वीर आग में घी डालने का काम कर रही है।”
दूसरी तरफ एएमयू के एक प्रोफेसर ने बीबीसी से बातचीत में बहुत सारे खुलासे किए। एएमयू में इतिहास के प्रोफ़ेसर मोहम्मद सज्जाद कहते हैं, ”एएमयू के स्टूडेंट यूनियन हॉल में जिन्ना की तस्वीर साल 1938 से लगी हुई है, विश्वविद्यालय ने जिन्ना को आजीवन सदस्यता दी थी। ये आजीवन मानद सदस्यता एएमयू स्टूडेंट यूनियन देता है। पहली सदस्यता महात्मा गांधी को दी गई थी। बाद के सालों में डॉ भीमराव आंबेडकर, सीवी रमन, जय प्रकाश नारायण, मौलाना आज़ाद को भी आजीवन सदस्यता दी गई। इनमें से ज़्यादातर की तस्वीरें अब भी हॉल में लगी हुई हैं।”
ऐसे में सवाल ये कि 80 साल बाद एएमयू में जिन्ना की तस्वीर पर बवाल क्यों हो रहा है?
मोहम्मद सज्जाद ने कहा, ”जो लोग बंटवारे में जिन्ना की भूमिका को लेकर ये सवाल कर रहे हैं कि 1947 के बाद से इस तस्वीर को क्यों नहीं हटाया गया। उन्होंने कहा कि एएमयू इतिहास को मिटाने में यकीन नहीं रखता है। जैसे कि आजकल आप ऐतिहासिक इमारतों के साथ होता देख रहे हैं।”
वो कहते हैं, ”एएमयू में 2 मई को हामिद अंसारी को आजीवन मानद सदस्यता दी जानी थी, हामिद अंसारी को इन लोगों ने पहले से ही साइड किया हुआ है, सोच ये भी है कि भारत के मुसलमानों को गिल्ट में डालो। गिल्ट कि मुस्लिम बंटवारे के लिए ज़िम्मेदार हैं और देशविरोधी हैं। ताकि इसके नाम पर ध्रुवीकरण किया जा सके। कैराना उपचुनाव, कर्नाटक विधानसभा और 2019 लोकसभा चुनाव सामने हैं। बेरोजगारी, मंहगाई पर कुछ किया नहीं है। बस ध्रुवीकरण करना ही इनका मकसद है।”
खैर इस तस्वीर की वजह से जिस तरह का विवाद पैदा हुआ है या हो रहा है, ऐसे विवादों से जितना बचा जा सके, बचना चाहिए ताकि लोगों के बीच मनमुटाव पैदा न हो, आपसी तनाव को जन्म देने से पहले ही उसे रोक देना चाहिए। आज देश में जिस तरह के संवेदनशील हालात हैं ऐसे में सभी धर्मों के बुद्धिजीवियों को आगे आकर पहल करनी चाहिए ताकि ऐसे विवादों पर राजनीति न हो सके।
हम सभी उस ज्वालामुखी पर बैठे हैं जहां एक मामूली सी चिंगारी एक बड़े विस्फोट में बदल सकती है। अगर जिन्ना की तस्वीर हटाने से मामला शांत हो सकता है तो इसे हटा देना चाहिए, जिन्ना का पाकिस्तान की आज़ादी के अलावा अंग्रेजों से लड़ाई या भारत की आज़ादी में कोई योगदान नहीं रहा है।
हम सबको यहीं रहना है एक दूसरे के साथ रहना है तो ऐसे विवादों को जन्म देने से पहले ही उन्हें खत्म कर देना चाहिए, या उन्हें पनपने ही नहीं देना चाहिए।
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मनीष कुमार
खबर 24 एक्सप्रेस