पहले चुनाव आयोग और अब राष्ट्रपति महोदय। यह साबित हो गया कि केजरीवाल के 20 विधायक साफ हो गए। यानी 20 विधायक जो अयोग्य ठहराए गए थे, राष्ट्रपति ने उन पर अपनी मोहर लगा दी।
लगभग सभी समाचारों में दिखाया जा रहा है कि एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा इत्यादि में भी ऐसा हो चुका है और हो रहा है लेकिन चुनाव आयोग ने इनकी कभी शिफारिश नहीं की और न कभी राष्ट्रपति ने संज्ञान लिया। फिर आज ऐसा क्या हो गया कि चुनाव आयोग और राष्ट्रपति ने आम आदमी पार्टी की दलील को बिना सुने आपके 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया। कहीं यह साजिश तो नहीं?
हो सकता है कि यह साजिश का हिस्सा हो या सरकार के कहने पर यह कार्रवाई हो। लेकिन एक बात साफ हो गयी कि चुनाव आयोग ने सरकार या भाजपा के खिलाफ जरा भी ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की है जिससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता को सच माना जा सके। चुनाव आयोग ने बार बार अपनी निष्पक्षता की कसमें खाई हैं लेकिन उन पर भरोसा कौन करे? 2014 के बाद भाजपा के खिलाफ हर चुनावों में छोटी बड़ी शिकायतें आयीं लेकिन चुनाव आयोग ने उन सभी शिकायतों को सिरे से खारिज कर दिया या अनसुना कर दिया।
आज उसी चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ के पद के मामले में अयोग्य ठहराने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश की जिसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ के पद के मामले में अयोग्य घोषित करार दे दिया है। ये केजरीवाल सरकार के लिए एक बड़ा झटका है।
दरअसल 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया था, जिसके बाद चुनाव आयोग ने इनकी सदस्यता को लेकर राष्ट्रपति को सिफारिश शुक्रवार को भेजी, जिस पर आज यानि रविवार को राष्ट्रपति ने इस पर मोहर लगा दी है। यानि अब ये विधायक नहीं मानें जाएंगे। आगे चुनाव आयोग इन सीटों पर चुनाव कराएगा।
आपको बता दें कि वैसे तो दिल्ली सरकार को कोई खतरा नहीं है, अभी आप के पास 46 विधायक है और बहुमत के लिए 36 सीटों की जरूरत होती है। लेकिन आम आदमी पार्टी के 3 राज्यसभा में से अब शायद 2 ही राज्यसभा जा सकेंगे।
***
मनीष कुमार
खबर 24 एक्सप्रेस