देशभर में पेट्रोल डीजल की कीमतें आसमान पर पहुँच चुकी हैं लोग महँगाई से त्रस्त हैं लेकिन इसको लेकर न कोई खबर है और न ही कहीं कोई सुनवाई ही है। डीज़ल की बढ़ती कीमतों का सीधा असर खाने पीने की चीजों पर पड़ता है।
डीजल की बढ़ती कीमतें माल ढुलाई का किराया बढ़ा देती हैं जिसकी वजह से जरूरत के सभी सामान की कीमतें बढ़नी शुरू हो जाती हैं।
खाने-पीने और जरूरत के सभी सामानों के दाम इस वक़्त बढ़ चुके हैं।
आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 25-60 डॉलर प्रति बैरल झूलती रही हैं लेकिन हमारे देश में ग्राहकों को इसका फायदा नहीं मिला।
तेल कंपनियों की दलील को मानें तो रुपये के मुकाबले डॉलर की बढ़ती कीमतें भी पेट्रोल डीजल के दामों पर असर डाल रही हैं लेकिन तेल कंपनियों की ये दलील भी लगभग खोखली निकली। इस वक़्त रुपया मजबूती पर है जब तेल के रेट तय किये गए थे उस वक़्त एक डॉलर की कीमत 66 रुपये थी। लेकिन आज एक डॉलर की कीमत 64 रुपये है यानी तब से अबतक रुपये में उछाल आया है।
पेट्रोलियम मंत्री ने पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में भी लाने की बात कही थी लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। यह भी कोरा जुमला निकला। सरकार से कोई सवाल जबाव किया जाता है तो वो पिछली सरकार को इसके लिए दोषी ठहरा देती है। लेकिन अब जब 4 साल बाद भी वर्तमान की सरकार पिछली सरकार को इसके लिए दोषी ठहराये तो यह कितना सही है ये जनता फैसला करे। लेकिन जिस तरह महँगाई आसमान छू रही है इस पर सरकार को जल्द सोचना होगा। जनता महँगाई से त्राहि-त्राहि कर रही है।
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