जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं के जवाब में पैलेट गन इस्तेमाल करने के मामले पर चल रही सुनवाई के दौरान शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर कश्मीरी लोग या उनके प्रतिनिधि घाटी में शांति व्यवस्था कायम करते हैं तो वो केंद्र को बातचीत का निर्देश दे सकती है।
शीर्ष अदालत ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं पर लगाम लगाने का भरोसा प्रतिनिधियों की तरफ से मिलता है तो वो केंद्र को 2 हफ्तों तक पैलेट गन का इस्तेमाल न करने के लिए कह सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने जम्मू कश्मीर के बार एसोसिएशन से पूछा कि वो ऐसे लोगों के नाम स्पष्ट करें जो कि मामले पर केंद्र सरकार के साथ बातचीत कर सकते हैं। वहीं इस मामले पर केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत के सामने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि सरकार बातचीत के लिए तो तैयार है लेकिन वो देश से आजादी मांगने वालों से कतई विचार-विमर्श नहीं करेंगे।
बार एसोसिएशन ने कोर्ट में कहा कि सरकार हुर्रियत नेताओं को बीच बातचीत में शामिल करे इसके साथ ही वो संवैधानिक दायरे की अपनी जिद भी छोड़ दे। वहीं केंद्र ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि वो उन्हीं लोगों से बातचीत करेंगे जो जम्मू कश्मीर के प्रतिनिधियों के तौर पर कानूनी हक रखते हों।
आपको बता दें कि इससे पहले जम्मू कश्मीर बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने की बात कही थी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा था।
इस मामले में केंद्र पहले ही पैलेट गन के इस्तेमाल का बचाव कर चुका है। केंद्र ने कहा था कि आखिरी विकल्प के तौर पर ही पैलेट गन का इस्तेमाल भीड़ को तितर-बितर करने के लिए किया जाता है और सरकार अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रही है।