
पहले आरबीएल, फिर यस बैंक, फिर बंधन बैंक और उसके बाद इंडसइंड बैंक… प्राइवेट बैंक एक एक करके डूब रहे हैं। इन बैंकों के साथ डूब रहे हैं निवेशक, उनका भरोसा, उनकी जमा पूंजी… उनकी मेहनत का कमाया हुआ धन खतरे में पड़ रहा है। भारतीय बैंकिंग सेक्टर एक दम ध्वस्त हो रहा है। बैंक से लोगों का विश्वास उठ रहा है।
इंडसइंड बैंक का स्टॉक 30% से ज्यादा डूब चुका है। इसका असर निफ्टी बैंकिंग इंडेक्स तक पर दिखा। ऐसे में अब निवेशकों को डर लगने लगा है कि क्या इसका हाल भी यस बैंक की तरह होगा और ये बैंक आखिरकार बंद हो जाएगा?
कभी 1000 रुपए के आस पास ये शेयर अब 600 रुपए के करीब पहुंच गया है।
सबसे पहले तो ये समझ लेना जरूरी है कि इंडसइंड बैंक पर मालिकाना हक ब्रिटिश भारतीय उद्योग समूह ‘हिंदुजा ग्रुप’ का है. ये ग्रुप ‘अशोक लीलैंड’ जैसी बड़ी ऑटोमोटिव कंपनी चलाता है। वहीं कई और पोर्टफोलियो में भी काम करता है। जहां तक इंडसइंड बैंक की बात है, तो इसकी शुरुआत 1994 में हुई। ये उन 9 प्राइवेट बैंक में से एक है जिन्हें 1994 में लाइसेंस मिला था। अब समझते हैं कि इंडसइंड बैंक में ऐसी क्या प्रॉब्लम हुई, जिससे उसका शेयर प्राइस इतना नीचे आ गया।
बीते एक साल में इंडसइंड बैंक का शेयर 40 प्रतिशत से अधिक गिरा है। जबकि मंगलवार को इसके शेयर प्राइस में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट देखी गई।इसकी बड़ी वजह इंडसइंड बैंक के फॉरेक्स डेरिवेटिव पोर्टफोलियो के अकाउंट्स में गड़बड़ी का पाया जाना है। अकाउंट्स में ये गड़बड़ी 1,600 से 2,000 करोड़ रुपये की बताई गई है, जो इंडसबैंड बैंक की पूरी नेटवर्थ का करीब 2.35 प्रतिशत है। इसी रिपोर्ट के सामने आने के रिस्पांस में बैंक का शेयर प्राइस इतना गिरा है। नवंबर 2020 के बाद बैंक का शेयर आज अपने सबसे निचले स्तर पर गया है।
वहीं बता दें कि यह मामला यस बैंक जैसा तो नहीं लेकिन उससे मिलता-जुलता जरूर है। यस बैंक में भी कॉरपोरेट गवर्नेंस की अनदेखी की गई थी और लोन से जुड़े अकाउंट्स में बड़ी गड़बड़ पाई गई थी। नतीजा ये हुआ कि यस बैंक का सिर्फ शेयर प्राइस क्रैश नहीं हुआ बल्कि बैंक ही बंद हो गया। बाद में सरकार को उसे बचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
भारतीय रिजर्व बैंक ने सितंबर 2023 में डेरिवेटिव्स पर अपने मास्टर सर्कुलर को अपडेट किया था। इसके बाद बैंक ने अपने लोन और डेरिवेटिव्स अकाउंट की जांच करने के लिए एक इंटरनल सर्वे कराया। इसकी रिपोर्ट ही 10 मार्च को स्टॉक एक्सचेंज को उपलब्ध कराई गई। इसमें ही 1,600 से 2,000 करोड़ रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गई, जिसका असर शेयर बाजार में 11 मार्च को देखने को मिला है।
इंडसइंड बैंक को अपने इंटरनल सर्वे में पता चला कि पूर्व में किए गए उसके फॉरेक्स ट्रांजेक्शन में बैंक ने हेजिंग कॉस्ट को कम आंका। इससे अकाउंट का वैल्यूशन खराब हुआ। जब रिपोर्ट में ये बात सामने आई तो निवेशकों के बीच बैंक के ऑपरेशंस और कॉरपोरेट गवर्नेंस को लेकर एक निगेटिव संदेश गया।
इतना ही नहीं, कई ब्रोकरेज फर्म ने इंडसइंड बैंक के स्टॉक को लेकर अपने रुख में बदलाव किया है। Emkay Global ने जहां इसकी ‘बाय’ रेटिंग को बदलकर ‘एड’ कर दिया है। वहीं इसका टारगेट प्राइस 875 रुपये कर दिया है।
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